29 जून, 2020 को देशव्यापी "मनरेगा अधिकार अभियान" ने की अपने न्यायोचित मांग और बराबरी की भागीदारी की मांग की

29 जून, 2020 को देशव्यापी "मनरेगा अधिकार अभियान" ने की अपने न्यायोचित मांग और बराबरी की भागीदारी की मांग की

देशव्यापी "मज़दूर अधिकार अभियान" ने की दो सौ दिन काम और 600/- रूपये दैनिक मजदूरी की मांग

ना हमें कोरोना से मौत मंजूर, 
ना भूख और बेरोज़गारी से!

हमें चाहिए इंसानों जैसा जीवन और सम्मान!!

सरकार की जनविरोधी नीतियों के ख़िलाफ़ देशव्यापी "मनरेगा अधिकार अभियान" की टीमों ने की बढ़-चढ़कर भागीदारी

समस्तीपुर, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 04 जुलाई,2020 ) । सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ़ मनरेगा अधिकार अभियान का देशव्यापी आयोजन किया गया। इन प्रदर्शनों में मनरेगा मज़दूर एवं प्रवासी मजदूरों नें अभियान के आयोजक संगठनों के साथ एकजूटता का प्रदर्शन किया। हर किसी ने अपनी भागीदारी दर्ज की। कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए सरकार नें कुछ नहीं किया। आनन-फानन में थोपे गये लॉकडाउन के दौरान सरकार नें जनता से तालियाँ और थालियाँ बजवाने के अलावा व्यापक पैमाने पर टेस्टिंग, आइसोलेशन, क्वारंटाइन और उपचार की तैयारी करने की कोई ज़हमत नहीं उठायी। अब जब देश में कोरोना के मामले दिन दूनी रात चौगुनी रफ़्तार से बढ़ रहे हैं, तो मोदी सरकार ने अपने पूँजीपति आकाओं के मुनाफ़े की मशीनरी को चालू करने के लिए मज़दूरों को कारखानों में धकेलना शुरू कर दिया है। वहीं दूसरी ओर सरकार नें अपना हीं नारा बुलन्द करते हुए कोरोना को 'अवसर' में बदल कर श्रम कानूनों में तब्दीली शुरू कर दी है। बिहार चुनावों के मद्देनजर प्रवासी मज़दूरों के हक़ की पैरोकार होने का दम्भ भरती सरकार को शहरों से गाँव लौटते मज़दूर नज़र नहीं आये थे। अब मज़दूरों को 5 किलो चावल और 1 किलो दाल देने की घोषणा कर सरकार उन पर अहसान का पहाड़ तोड़ने जा रही है!

ज़ाहिर है, आज मजदूरों के सामने दो हीं विकल्प छोड़े गये हैं - या तो भूख-बेरोज़गारी से मौत या फिर कोरोना से! 
देश भर में ग़रीब आबादी हीं कोरोना संकट का सारा बोझ झेल रही है। भयंकर बेरोज़गारी, महँगाई और दवा-इलाज व राशन की कमी की मार आम मेहनतकश जनता पर हीं पड़ रही है। पूँजीपरस्त सरकार पूँजीपतियों के वारे न्यारे कर के गरीबों का जीना मुहाल कर रही है। अनियोजित और योजनाविहीन लॉकडाउन के कारण कोरोना महामारी का शिकार भी सबसे अधिक ग़रीब-गुरबा आबादी हीं हो रही है और मज़दूर बस्तियों में न कोविड-19 की जाँच का प्रबन्ध है और न उपचार का! इन हालातों में जनता का संगठित होकर शांतिमय प्रदर्शन हीं एकमात्र रास्ता बचता है। हम अपने एकजुट आन्दोलन के बूते हीं सरकार को जनता के पक्ष में झुकने को मजबूर कर सकते हैं।

मनरेगा मज़दूर अधिकार अभियान सरकार की जन-विरोधी नीतियों का विरोध करता है। हम माँग करते हैं कि :-

1) कोविड-19 से गहराये आर्थिक संकट की आड़ में मज़दूरों से ग़ुलामों के समान 12-12 घण्‍टे काम कराने, हड़ताल का अधिकार ख़त्‍म करने, यूनियन बनाने का अधिकार ख़त्‍म करने आदि के लिए श्रम क़ानूनों में किये जा रहे संशोधनों को तत्‍काल रद्द करो!

2) सभी मज़दूरों-मेहनतकशों को एपीएल-बीपीएल राशनकार्ड के बिना राशन की दुकानों से अनाज मुहैया कराओ!

3) कोरोना संक्रमण के ख़तरे के टलने तक मज़दूरों-मेहनतकशों को काम करने के लिए क़तई मजबूर न किया जाये! लॉकडाउन को ख़त्‍म करने के नाम पर मज़दूरों को कोरोना संक्रमण के जोखिम में डालना बन्‍द करो। उन्‍हें मज़दूरी सहित अवकाश व रोज़गार की पूर्ण सुरक्षा दो! कोरोना संकट के दौरान मज़दूरों की छँटनी तत्‍काल बन्‍द की जाये।

4) तथाकथित ‘स्‍वरोज़गार प्राप्‍त’ अनौपचारिक मज़दूरों जैसे ठेला चालक, रिक्‍शा चालक, रेहड़ी-खोमचे वालों, आदि के लिए 15,000 रुपये प्रति माह नक़द गुज़ारे भत्‍ते की व्‍यवस्था करो, उनकी नियमित व नि:शुल्‍क कोरोना जाँच की व्‍यवस्‍था करो, उन्‍हें आवश्‍यक सुरक्षा प्रदान करो!

5) घर जाने वाले प्रवासी मज़दूरों के लिए पूर्ण सुरक्षा के साथ नि:शुल्‍क परिवहन की व्‍यवस्‍था करो! अब तक प्रवासी मज़दूरों के लिए परिवहन की व्‍यवस्‍था में की गयी आपराधिक लापरवाही के लिए ज़ि‍म्‍मेदार रेल मंत्री व अन्‍य अधिकारियों के ख़ि‍लाफ़ दण्‍डात्‍मक कार्रवाई करो!

6) स्‍वास्‍थ्‍य सेवा समेत सभी मूलभूत सेवाओं व वस्‍तुओं के उत्‍पादन, जैसे परिवहन, बिजली उत्‍पादन व वितरण आदि में लगे मज़दूरों व कर्मचारियों और साथ हीं आम पुलिसकर्मियों को सुरक्षा के सभी आवश्‍यक उपकरण प्रदान करो, उनकी नियमित कोरोना जाँच व नि:शुल्‍क इलाज की व्‍यवस्‍था की जाये!

7) सभी मूलभूत वस्‍तुओं और सेवाओं की आपूर्ति की सार्वभौमिक सार्वजनिक व्‍यवस्‍था करो!

8) सरकारी योजनाविहीनता के कारण लॉकडाउन के दौरान सड़कों पर और श्रमिक एक्‍सप्रेस ट्रेनों में मरने वाले सभी मज़दूरों के परिवारों के एक-एक सदस्‍य को पक्‍की नौकरी और उचित मुआवज़ा प्रदान करे!

9) कोरोना संकट से निपटने के संसाधनों के लिए देश के पूँजीपतियों और अमीर वर्गों पर विशेष टैक्‍स और सेस लगाओ।

10) गुणवत्ता वाली सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्‍य सेवा का निर्माण किया जाये, व्‍यापक पैमाने पर सरकारी अस्पतालों, स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्रों व विशेष एपि‍डेमिक कण्ट्रोल सेण्‍टरों की स्‍थापना करो। इसके लिए भारत के पास पर्याप्त मानव संसाधन हैं, यानी पर्याप्‍त संख्‍या में डॉक्‍टर, नर्स, व अन्‍य मेडिकल प्रशिक्षित कार्यशक्ति है, जिन्‍हें इसी के ज़रिये रोज़गार भी प्राप्‍त होगा। हर नागरिक को सार्वभौमिक स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल का अधिकार मुहैया कराया जाये।

11) सभी निजी अस्‍पतालों, नर्सिंग होमों व पैथोलॉजी लैब का राष्‍ट्रीकरण किया जाये। कोरोना की नि:शुल्‍क जाँच और इलाज में आनाकानी करने वाले अस्‍पतालों और लैब के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाये। कोरोना संकट के चलते अन्‍य बीमारियों के इलाज के लिए बन्‍द किये गये ओपीडी आदि को तत्‍काल खोला जाये।

12) किरायाखोर मकान मालिक वर्ग को महामारी के जारी रहते किराया न लेने के लिए बाध्‍य करो। यदि कहीं विशेष स्थिति हो, तो वह किराया सरकार की ओर से दिया जाये।

13) कोरोना महामारी के दौरान 18 करोड़ बेघर भारतीय नागरिकों और 18 करोड़ झुग्गियों में रहने वाले भारतीय नागरिकों के पक्‍के आवास की व्‍यवस्‍था के लिए सभी ख़ाली सरकारी व निजी मकानों को अधिग्रहीत किया जाये और सरकार की ओर से आवास की सार्वजनिक व्‍यवस्‍था की जाये।

14) पीएम केयर फण्‍ड का सार्वजनिक ऑडिट करवाया जाये और उसमें जमा हज़ारों करोड़ रुपये को जन कमेटियों की निगरानी में कोरोना संकट से निपटने के लिए उपयोग किया जाये।

15) कोरोना संकट के दौरान प्रवासी मज़दूरों व अन्‍य मज़दूरों पर पुलिसिया दमन और अत्‍याचार पर लगाम लगाने के लिए सख़्त क़दम उठाये जायें और दोषी पुलिसकर्मियों को तत्‍काल दण्डित किया जाये।
 
16) कोरोना संकट के दौरान देशभर में जनता के लिए आवाज़ उठाने वाले सामाजिक- राजनीतिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों की गिरफ़्तारी और दमन पर रोक लगाओ और सभी राजनीतिक बन्दियों को तत्‍काल रिहा करो।

17) नियमित प्रकृति के कामों के लिए ठेका, अस्‍थायी व कैजुअल मज़दूरी करवाने पर तत्‍काल रोक लगायी जाये और ‘निर्धारित अवधि के रोज़गार’ (फिक्‍स्‍ड टर्म एम्‍प्‍लॉयमेण्‍ट) को बन्‍द किया जाये। 

18) कोरोना संकट की आड़ में श्रम विभाग में लम्बित मसलों को लटकाया न जाये और उनका जल्‍द से जल्‍द निपटारा किया जाये। 

19) पी.एफ. से धन निकासी की प्रक्रिया को आसान बनाया जाये और इसमें निहित तमाम बाधाओं को समाप्‍त किया जाये, ताकि मैनेजमेण्‍ट, मालिकान या ठेकेदारों द्वारा कमीशनखोरी व घोटालेबाज़ी पर रोक लगायी जा सके। 

20) राज्‍य सरकारें अभी तक केवल भवन निर्माण मज़दूरों के लिए पहचान कार्ड बनाती हैं। इस प्रावधान को कारख़ाना मज़दूरों और खेतिहर मजदूरों पर भी लागू किया जाये, क्‍योंकि अनौपचारिक व असंगठित क्षेत्र के मज़दूरों के पास आम तौर पर मज़दूर के तौर पर पहचान का कोई प्रमाण नहीं होता।

21) भारत के भारी-भरकम रक्षा बजट को कम से कम कर के कोरोना संकट से निपटने पर ख़र्च किया जाये।

समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा प्रकाशित ।

Published by Rajesh kumar verma

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