सहरसा को मिला 500 रैपिड एंटीजन कीट • रैपिड एंटीजन टेस्ट संक्रमण का फैलाव रोकने में सफल, 30 मिनट में मिलेगा रिपोर्ट
सहरसा को मिला 500 रैपिड एंटीजन कीट
• रैपिड एंटीजन टेस्ट संक्रमण का फैलाव रोकने में सफल, 30 मिनट में मिलेगा रिपोर्ट
• 5 तरीकों से की जाती है कोविड-19 की जांच : सिविल सर्जन डॉ० अवधेश कुुुमार
सहरसा जिला ब्यूरों बलराम कुमार शर्मा की रिपोर्ट
सहरसा,बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 19 जुलाई, 2020 ) । जिले में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के ओर से इससे बचाव को लेकर हर संभव प्रयास किया जा रहा है तथा नये-नये उपकरणों की भी उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है।जिले में अब रैपिड एंटिजन कीट से कोरोना का जांच की जा रही है। सहरसा जिले के 500 रैपिड एंटिजन कीट उपलब्ध करायी गयी है। इसमें रैपिड एंटीजन किट को कारगर अस्त्र माना जा रहा है। यह ऐसी किट है जो 30 मिनट में टेस्ट का परिणाम दे रही है। यही कारण है कि जहां भी कोरोना वायरस का मरीज मिल रहे हैं, उसे क्षेत्र में इसी किट का इस्तेमाल कर वायरस के संक्रमण विस्तार को रोका जा रहा है।
जिला सिविल सर्जन डाक्टर अवधेश कुमार ने कहा यह सबसे ज्यादा कारगर साबित है। मरीज मिलने का मुख्य कारण टेस्ट अधिक करना है। वहीं टेस्ट की रिपोर्ट भी जल्द आ रही है। सिविल सर्जन डॉ. अवधेश कुमार ने बताया कि जिले को रैपिड एंटीजन टेस्ट के लिए 500 किट मिली है। रैपिड एंटीजन टेस्ट किट हमारे लिए कारगर साबित होगा। यह कीट संक्रमण रोकने में सहायक हुई है।
कैसे होता है रैपिड एंटीजन टेस्ट:
इस टेस्ट के लिए नाक में एक पतली से नली से सैंपल ली जाती है। नाक से लिए गए उस लिक्विड को टेस्ट किट में डाला जाता है। यह किट थोड़ी ही देर में बता देती है कि जिसका सैंपल डाला गया है। वो कोरोना वायरस से संक्रमित है या नहीं। ये किट उसी तरह होती है, जैसे प्रेग्नेंसी टेस्ट किट होती है। सैंपल डालने के बाद अगर 2 रेड लाइन आती है तो इसका मतलब है कि व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव है और अगर सिर्फ एक लाइन आती है तो मतलब व्यक्ति कोरोना नेगेटिव है।
कोरोना संक्रमण टेस्ट में क्या-क्या शामिल हैं:
स्वाब टेस्ट: इस टेस्ट में लैब एक कॉटन स्वाब से गले या नाक के अंदर से सैंपल लेकर टेस्ट करता है.
नेजल एस्पिरेट: वायरस की जांच करने वाला लैब आपके नाक में एक सॉल्यूशन डालने के बाद सैंपल कलेक्ट कर उसकी जांच करता है ।
ट्रेशल एस्पिरेट: ब्रोंकोस्कोप नाम का एक पतला ट्यूब
आपके फेफड़े में डालकर वहां से सैंपल लेकर उसकी जांच की जाती है ।
सप्तम टेस्ट: यह फेफड़े में जमा मैटेरियल या नाक से स्वाब के जरिये निकाले जाने वाले सैंपल का टेस्ट होता है।
ब्लड टेस्ट: इस तरह के सभी सैंपल को जुटाने के बाद कोरोना वायरस के हिसाब से इसका विश्लेषण किया जाता है. कोरोना वायरस के सभी वेरिएंट के लिए इनका ब्लेंकेट टेस्ट किया जाता है ।
30 मिनट के भीतर आ जाते हैं रिजल्ट:
एंटीजेन टेस्ट में 30 मिनट के अंदर रिजल्ट मिल रहा है। वहीं आरटी-पीसीआर में रिजल्ट आने में 6 से 24 घंटे लग जाते हैं. तब तक तो संक्रमित व्यक्ति को पता नहीं होता कि वो पॉजिटिव है और वो कई लोगों को वायरस फैला चुका होता है। रैपिड एंटीजन में आधे घंटे के अंदर ही रिपोर्ट सामने आ जाती है, ऐसे में शख्स को आइसोलेट किया जा सकता है। संक्रमित शख्स को अस्पताल में भर्ती कराया जा सकता है।
रैपिड टेस्ट में पॉजिटिव आने पर संदिग्ध का आरटी-पीसीआर टेस्ट किया जाता है ।
रैपिड टेस्ट के नतीजों की पुष्टि के लिए आरटी-पीसीआर टेस्ट
अगर रैपिड टेस्ट पॉजिटिव आता है तो हो सकता है कि संदिग्ध कोरोना वायरस से संक्रमित हो. ऐसे में उसे घर में ही आइसोलेशन में रहने या अस्पताल में भर्ती करने की सलाह दी जाती है. अगर रैपिड टेस्ट निगेटिव आता है तो उसका रियल टाइम पीसीआर टेस्ट किया जाता है. रियल टाइम पीसीआर टेस्ट में पॉजिटिव आने पर अस्पताल या घर में आइसोलेशन में रखा जाता है. वहीं, रियल टाइम पीसीआर टेस्ट निगेटिव आने पर मान लिया जाता है कि उसमें कोरोना वायरस का संक्रमण नहीं हैं. कोरोना वायरस का सटीक पता लगाने के लिए रियल टाइम पीसीआर टेस्ट किया जाता है. इसमें संदिग्ध का स्वैब सैंपल लिया जाता है, जो आरएनए पर आधारित होता है. इस टेस्ट में मरीज के शरीर में वायरस के आरएनए जीनोम के सबूत ढूंढे जाते हैं । समस्त्तीपुुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा बलराम कुमार शर्मा की रिपोर्ट प्रकाशित । Published by Rajesh kumar verma
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