"क्या पेट्रोल ,डीजल और शराब सरकार के लिए दुधारू गाय है.. ? : कवि विक्रम क्रांतिकारी

"क्या पेट्रोल ,डीजल और शराब सरकार के लिए दुधारू गाय है.. ? : कवि विक्रम क्रांतिकारी 


                                           कवि विक्रम क्रांतिकारी

               (विक्रम चौरसिया-अंतरराष्ट्रीय चिंतक)
           दिल्ली विश्वविद्यालय/ आईएएस अध्येता /मेंटर

मैंने अपने जीवन में पहली बार ऐसा देख रहा हूं कि आज हमारे यहां डीजल की कीमत पेट्रोल से भी अधिक हो गई है, वह भी ऐसे समय में हुआ है जब धान के फसल को पानी की बहुत जरूरत होती है और बहुत से किसानों तक नहर और तालाब की पानी नहीं पहुंचने तब किसान अपने खेतों को डीजल वाली मशीनों से खेत की भराई करते हैं।

समस्तीपुर कार्यालय 

लॉकडाउन के कारण जब सारे उद्योग -धंधे बंद थे फिर भी हमारे अन्नदाता खेतों में दिन- रात एक किए हुए थे कि कोई भूखा ना सोए और देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर आए लेकिन आज डीजल के दाम को बढ़ाकर हमारे अन्नदाता के कमर को तोड़ा जा रहा है इस फैसले को वापस लेना होगा सरकार को डीजल, पेट्रोल के दाम को कम करना ही होगा ।

नई दिल्ली, भारत ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 02 जुलाई,2020 ) । आपको हम बता देते है कि मैंने अपने जीवन में पहली बार ऐसा देख रहा हूं कि आज हमारे यहां डीजल की कीमत पेट्रोल से भी अधिक हो गई है, वह भी ऐसे समय में हुआ है जब धान के फसल को पानी की बहुत जरूरत होती है और बहुत से किसानों तक नहर और तालाब की पानी नहीं पहुंचने तब किसान अपने खेतों को डीजल वाली मशीनों से खेत की भराई करते हैं। हम देख रहे हैं कि लगातार डीजल का दाम बढ़ते जा रहा है इससे आम आदमी पर तो बहुत  असर पड़ ही रहा है लेकिन सबसे अधिक हमारे अन्नदाता डीजल के दामों को बढ़ने से परेशान हैं । मुझे लगता है कि यह‌ इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि पेट्रोल की कीमत से अधिक डीजल की कीमत बढी है। आज फिर हमारे अन्नदाता कैसे आखिर खेती कर पाएंगे । जब खेती नहीं करेंगे तो तो कैसे हमारी खाद्य और उपभोक्ता मंत्री जी दंभ भरेगे कि किसी को परेशान होने की जरूरत नहीं है देश में अनाज की भंडारण पर्याप्त मात्रा मौजूद है ।और हमारे प्रधानमंत्री जी भी तो बोल रहे थे कि गरीबों को मुफ्त अनाज देने के योजना को और आगे बढ़ाया जा रहा है ,लेकिन यह सब संभव तभी है जब हमारे अन्नदाता दिन -रात करके मेहनत फसल को उपजा रहे हैं , लेकिन आज सरकार ने डीजल का दाम को ही सबसे ज्यादा बढ़ा दिया है।
मेरे दोस्तों जैसा कि हम सब जानते हैं कि पेट्रोल ,डीजल और शराब यह तीनों राज्य सरकारों के अंतर्गत आता है ।इसीलिए इन तीनों के दाम में अंतर होता है अलग-अलग राज्यो में जैसा कि हमने बोला कि अलग-अलग राज्यों में बिक्री कर अथवा वैट की दर अलग-अलग होती है इसलिए राज्य सरकार अपने राजस्व को बढ़ाने के लिए अपने अनुसार से वैट ,कर लगा देते है‌। जैसा कि हम सब ने पिछले दिनों देखा कि सभी राज्य सरकारों ने लॉकडाउन में भी शराब की दुकानें खोल दी और तर्क दे रहे थे कि लॉकडाउन के कारण हुए आर्थिक क्षति की पूर्ति करने के लिए, दिल्ली में तो हमने देखा कि जैसे ही शराब की दुकानें खोली गई उसके अगले दिन ही कोरोना वायरस का प्रसार तेजी से बढ़ने लगा और लोग एक -दूसरे के ऊपर चढ़ -चढ़  कर शराब खरीदने लगे और सभी कानूनों और नियमों को हवा मे उडा दिया गया और दिल्ली के हालात बदतर दिन पर दिन होती जा रही है ।
मेरा सवाल यह है कि जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम गिर रहे हैं तो फिर डीजल और पेट्रोल इतना मंहगा क्यों हो रहा है ?
वैसे अप्रैल-मई के दौरान जब पूरी दुनिया में कोरोना वायरस  की वजह से लॉकडाउन चल रहा था तब कच्चे तेल के दाम दो दशक के सबसे निम्न स्तर पर गिर गया था लेकिन जून की शुरुआत से हम देख रहे हैं कि जैसे ही आर्थिक गतिविधियां शुरू होने लगी और तेल के दाम धीरे-धीरे बढ़ने लगे और अब तो पेट्रोल से भी मांगा डीजल हो गया है जो कि इस वक्त किसानो को खेत पटाने का वक्त है जो अधिकतर किसान डीजल इंजन पर ही आज भी निर्भर है। आपको हम बता दे कि मेरा बात बहुत से किसानों से  हुआ जो बहुत ही निराश होकर बोल रहे थे कि इस साल हमारा खेत का पटवन नहीं हो पाएगा। आज बढ़ती डीजल के दाम ने मध्यम वर्ग के साथ-साथ हमारे अन्नदाता के कमर को तोड़ दिया है। आज हम कह सकते हैं कि जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें सबसे निचले स्तर पर है लेकिन देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है जो कि आम लोगों और किसानों पर अत्यधिक बोझ डाल रहा हैं । हम देख रहे हैं की जिस प्रकार से सरकार अपने राजस्व को संतुलित करने के लिए पेट्रोल, डीजल पर वैट,कर  बढ़ाकर आम जनता के साथ नाइंसाफी कर रही है इसको वापस लेना ही होगा और अपने खजाने को भरने के लिए कोई दूसरा उपाय निकालना होगा नही तो आम जनता और किसानों की कमर टूट जाएगी।
 जैसा कि हमने आपको बोला राज्य सरकारों की कमाई के मुख्य सोर्स है पेट्रोल ,डीजल पर लगने वाली वैट सेल्स, स्टेट जीएसटी, लैंड रिवेन्यू और एक्साइज ड्यूटी इसीलिए जैसे ही कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन पूरे देश में हुआ तो कुछ ही दिनों में राज्य सरकारें परेशान हो गई और केंद्र से बार-बार अपील करने लगी कि  शराब की दुकानें खोलने की अनुमति दी जाए और जैसे ही दुकानें खोली गई नियमों की धज्जियां उड़ाई गई और कोरोना वायरस का प्रसार हमारे यहां भी इतना तेजी से फैलने लगा कि  हम भी पूरे विश्व में कोरोना के मामले में चौथे स्थान पर आ गए ।
आपको एक डब्ल्यूएचओ का आंकड़ा बता रहा हूं डराने के लिए नहीं बल्कि  जागरूक करने के लिए कि 2016 में भारत में शराब पीने की वजह से 2.64  लाख से ज्यादा मौतें हुई थी फिर भी सरकारें अपनी राजस्व को बढ़ाने के लिए शराब परोस रही है, और अब जो कुछ बचा हुआ था गरीब ,मध्यमवर्ग और किसानों के पास उसको भी सरकार निकालने का प्रयास कर रही है। आखिर क्यों..? इस वैश्विक महामारी के कारण गिरती अर्थव्यवस्था को भी देखना हमारे अन्नदाता ही पटरी पर लाएंगे हमने देखा कि लॉकडाउन के कारण जब सारे उद्योग -धंधे बंद थे फिर भी हमारे अन्नदाता खेतों में दिन- रात एक किए हुए थे कि कोई भूखा ना सोए और देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर आए लेकिन आज डीजल के दाम को बढ़ाकर हमारे अन्नदाता के कमर को तोड़ा जा रहा है इस फैसले को वापस लेना होगा सरकार को डीजल, पेट्रोल के दाम को कम करना ही  होगा ।
कवि विक्रम क्रांतिकारी (विक्रम चौरसिया-अंतरराष्ट्रीय चिंतक) दिल्ली विश्वविद्यालय/ आईएएस अध्येता /मेंटर लेखक सामाजिक आंदोलनों से जुड़े रहे है व वंचित तबकों के लिए आवाज उठाते रहते हैं -स्वरचित मौलिक व अप्रकाशित लेख । समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा प्रकाशित ।

Published by Rajesh kumar Verma

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