"आज के राजनीति में युवाओं की भागीदारी कितना जरूरी है ": कवि विक्रम क्रांतिकारी

"आज के राजनीति में युवाओं की भागीदारी कितना जरूरी है ": कवि विक्रम क्रांतिकारी

देश के युवाओं का पलायन रोकना होगा हमें और उन्हें आत्मनिर्भर भारत के लिए प्रेरित करते हुए व्यवसाय से लेकर और सभी राजनीतिक दल अपने -अपने स्तर पर युवाओं को मौका दें । क्योंकि किसी भी देश के निर्माण में युवाओं का प्रमुख भूमिका होती है

युवाओं को देश के निर्माण के लिए  सबसे अधिक जिम्मेदारी दी जानी चाहिए

जो भी नेता 60 साल की उम्र के हो चुके हैं उनको मार्गदर्शन करना चाहिए युवा वर्ग को और युवाओं को आगे लाकर उन्हें प्रेरित करें : कवि विक्रम क्रांतिकारी (विक्रम चौरसिया-अंतरराष्ट्रीय चिंतक/पत्रकार ) दिल्ली विश्वविद्यालय/आईएएस अध्येता/मेंटर 

दोस्तों मुझे लगता है कि समाज को यह धारणा बदलनी होगी क्योंकि आज भारत युवा शक्ति के मामले में दुनिया में सबसे अधिक समृद्ध है...? 

@, Samastipur office Report

नई दिल्ली, भारत ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 15 जुलाई,2020 ) ।  मित्रों युवा ही देश के भविष्य है, यही निर्विवाद सत्य है । देखो  किस भी  देश के निर्माण में युवाओं की  प्रमुख भूमिका होती है ।
इसीलिए हम कहते हैं कि युवाओं को देश के निर्माण के लिए  सबसे अधिक जिम्मेदारी दी जानी चाहिए । बहुत जरूरत है कि अब सभी राजनीतिक दल में नेताओं की सेवानिवृत्ति की आयु सीमा निर्धारित किया जाए। जो भी नेता 60 साल की उम्र के हो चुके हैं उनको मार्गदर्शन करना चाहिए युवा वर्ग को और युवाओं को आगे लाकर उन्हें प्रेरित करें।
आज भी हम देख रहे हैं कि हमारा समाज राजनीति को अछूत जैसी नजर से देखता हैं, जो की वर्तमान परिदृश्य में सोचने की जरूरत है। आज देखें तो अपने घर में बच्चों को लोग पढ़ाते हैं और उन्हें डॉक्टर, इंजीनियर और प्रशासनिक अधिकारी बनाने की बात तो करते हैं। दोस्तों लेकिन आज  कोई भी परिवार या अभिभावक यह नहीं कहता अपने बच्चों से की खूब मेहनत से पढ़ो और तुम्हें राजनीति में जाकर देश के परिदृश्य को बदलना है !
दोस्तों मुझे लगता है कि समाज को यह धारणा बदलनी होगी क्योंकि आज भारत युवा शक्ति के मामले में दुनिया में सबसे अधिक समृद्ध है? ऐसी स्थिति बनती है तो भारत को विकास के लिहाज से महत्वपूर्ण दिशा दे सकती। लेकिन यह सपना तभी पूरा होगा जब देश ,समाज, राजनैतिक दल युवाओं को प्राथमिकता देंगे।
 युवाओं को मौका देंगे और साथ ही युवा विकास मॉडल तय करने के लिए अपने आपको देश और राजनीति को समर्पित करेगा हमारा युवा वर्ग। लेकिन दोस्तों हमारे देश में भाई भतीजावाद, धनबल ,बाहुबली और चापलूसी के कारण ही हमारे देश के बहुत से अभिभावक और युवा वर्ग राजनीति में आने से कतराते हैं। आपने पिछले दिनों ही देखा कि कैसे उत्तर प्रदेश के कानपुर का रहने वाला माफिया अपराधी विकास दुबे कई वर्षों से कई सारे राजनीतिक पार्टियों के लिए काम करता था और लगभग सभी राजनीतिक दल उसको संरक्षण दे रहे थे । इसी कारण से बहुत से लोग राजनीति जैसी दलदल में नहीं जाना चाहते हैं , लेकिन मेरे आत्मीय मित्रों अगर इसी तरह से सभी सभ्य व्यक्ति राजनीति में नहीं आना चाहेगा तो फिर गंदे लोग ही आएंगे और आए दिन लोकतंत्र का गला दबाते रहेंगे। यह सच है कि और हम सब देखते भी है कि अगर छात्र संघ का चुनाव होता है वहां पर भी भाई भतीजावाद , धनबल बाहुबल और चापलूसी को ही प्रमुखता दिया जाता है अधिकतर । लेकिन हमें अब  इस गंदी राजनीति को तोड़ना होगा और सभी को बराबरी का अधिकार मिलना चाहिए जैसा कि संविधान के अनुच्छेद 14 में लिखा गया है कि देश के सभी लोग बराबर हैं किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा। वैसे दोस्तों यह जरूरी नहीं है कि हम युवा राजनीति में आकर ही देश सेवा करें अपने स्तर पर सभी का देश निर्माण करने में भरपूर योगदान होता है। लेकिन आज जिस प्रकार से राजनीति में युवाओं को उपेक्षित किया जा रहा है और हमारा देश युवा देश है तो बहुत जरूरी है कि अब बुजुर्गों को मार्गदर्शन के रूप में रखा जाए और युवाओं को आगे मौका दिया जाए।
देश के सभी युवाओं से मेरा अनुरोध है कि आप जहां हैं वही अपने कर्तव्यों का पालन करें और देश के निर्माण में अपना सहयोग दें चाहे जैसे दे सकें। हम अक्सर देखते हैं कि लोकतंत्र में लोग अपने अधिकारों की बात तो करते हैं लेकिन कहीं ना कहीं कर्तव्यों को भूल जाते हैं ,ऐसा नहीं होना चाहिए आप जिस भी व्यवसाय और नौकरी में हैं या किसी सामाजिक संगठन से हैं या किसी राजनीतिक दल से हैं आप अपने अनुसार देश के निर्माण में अपना भरपूर योगदान देते रहिए।
आज भी राजनीतिक दलों की सोच व नीतियां दोनों पुरानी है जबकि विदेशों में इसके उलट है अगर हम विदेशों में देखे तो वहां पर उच्च शिक्षित लोग राजनीति करते हैं जबकि भारत में ऐसा नहीं यहां पर धनबल, बाहुबल ,भाई भतीजावाद और चापलूसी खूब चलती है। हमारे यहां तो दोस्तों अधिकतर लोग राजनीति में इसलिए आते हैं कि उनको सभी सुविधाएं मिले और वह अपनी गरीबी को मिटा दें जबकि विदेशों में राजनीति में तब आते हैं जब वहां के लोग शिक्षित और समृद्ध हो जाते हैं , तब जाकर आते हैं समाज के लोगों का सेवा करने के लिए जैसे कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा से लेकर वर्तमान के राष्ट्रपति ट्रंप को ही ले लो जो कि एक बहुत बड़े व्यवसाई है। लेकिन हमारे यहां लोग राजनीति में आते ही इसलिए है कि उन्हें समृद्धि मिल जाएगी और कई पीढ़ियां हमारी बैठकर खाएगी।
अब जरूरत है हमें अपने देश का माहौल ऐसा बनाने का जो हमारे देश की प्रतिभा अब पलायन कहीं ना करें। हमारा देश आत्मनिर्भर बने और देश के पढ़े -लिखे शिक्षित युवा राजनीति में आए। साथ ही जैसा कि आत्मनिर्भर भारत की पहल हम लोग कर रहे हैं इसलिए हम सबको रोजगार का अधिकतम सृजन करना होगा जिससे कि युवा पीढ़ी रोजी- रोटी के लिए कहीं पलायन ना करें और रोजी रोटी की लड़ाई से ऊपर उठकर देश और समाज के लिए क्रांतिकारी पहल कर सकें। आज हमारा राजनीतिक धारणा व परिपाटी दोनों विपरीत है दोस्तों इसमें अब हमें आमूलचूल परिवर्तन करना ही होगा।
सभी राजनीतिक दलों से मेरा विनम्र निवेदन है कि युवाओं के सामने सही व साफ, स्वच्छ नजीर पेश अब करें ताकि युवा वर्ग राजनीति में रुचि ले सके। जब आज हमारा पूरा देश बदल रहा है दोस्तों तो इसके साथ ही देश की राजनीति को भी बदलना होगा। पिछले कुछ दिनों से हम देख रहे हैं कि राजस्थान में जिस प्रकार से राजनीतिक उठापटक चल रही है यह देखकर कहीं ना कहीं देश और राज्य के युवाओं और आम जनता में एक भ्रम की स्थिति बन जाती है कि जब राजनीतिक दल ही जिसको हमने वोट दिया उनमें एकजुटता नहीं है उनमें इतना ज्यादा उथल-पुथल है तो फिर हम आम जनता का यह सेवा क्या करेंगे हमारे प्रतिनिधि लोग...?
आज हम देख रहे हैं कि पूरी दुनिया भारत की प्रतिभा के कायल है तो देश के युवाओं का पलायन रोकना होगा हमें और उन्हें आत्मनिर्भर भारत के लिए प्रेरित करते हुए व्यवसाय से लेकर और सभी राजनीतिक दल अपने -अपने स्तर पर युवाओं को मौका दें । क्योंकि किसी भी देश के निर्माण में युवाओं का प्रमुख भूमिका होती है। आखिर क्यों नहीं हमारा राजनैतिक दल साफ स्वच्छ राजनीति करते हैं क्यों यह राजनीतिक दल धनबल, बाहुबल और भाई भतीजावाद के साथ-साथ चापलूसी को ही प्रमुखता देते हैं यह सवाल मेरा  आप सभी से है??
कवि विक्रम क्रांतिकारी (विक्रम चौरसिया-अंतरराष्ट्रीय चिंतक/पत्रकार ) दिल्ली विश्वविद्यालय/आईएएस अध्येता/मेंटर . लेखक सामाजिक आंदोलनों से जुड़े रहे हैं व वंचित तबकों के लिए आवाज उठाते रहते हैं -स्वरचित मौलिक व अप्रकाशित लेख ।

समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा प्रकाशित  । Published by Rajesh kumar verma

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