"चीन की 'कठपुतली ' ना बनो आप ओली जी " : कवि विक्रम क्रांतिकारी

"चीन की 'कठपुतली ' ना बनो आप ओली जी " : कवि विक्रम क्रांतिकारी 

कवि विक्रम क्रांतिकारी (विक्रम चौरसिया-अंतरराष्ट्रीय चिंतक ) दिल्ली विश्वविद्यालय/आईएएस अध्येता/मेंटर

समस्तीपुर कार्यालय 

हम देख रहे हैं कि इस समय नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली जी पूरी तरह चीन के इशारों पर ही चल रहे हैं ।

हमने देखा कि नेपाल के एकमात्र सांसद सरिता गिरी जब इसका विरोध की तो सांसद और पार्टी से ही निकाल दिया गया

नई दिल्ली, भारत ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 08 जुलाई,2020 ) । हम देख रहे हैं कि इस समय नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली जी पूरी तरह चीन के इशारों पर ही चल रहे हैं ।
पिछले दिनों नेपाल ने एक नया नक्शा जारी करते हुए भारत के इलाकों को अपना हिस्सा बताया था ,और यह नक्शा नेपाल के दोनों सदनों में भी पास हो गया था । लेकिन हमने देखा कि नेपाल के एकमात्र सांसद सरिता गिरी जब इसका विरोध की तो सांसद और पार्टी से ही निकाल दिया गया इनको जबकि सरिता गिरी सच ही बोल रही थी  कि भारत के लिपुलेख लिपिया धुरा और कालापानी को नेपाल के नक्शे में शामिल करने का कोई आधार है ही नहीं फिर क्यों किया गया.. ? लेकिन नेपाल सरकार को यह सच्चाई बर्दाश्त नहीं हुआ और सरिता गिरी को सच बोलने की सजा अपना पद गवांकर भुगतनी पड़ी । दोस्तों सदियों से नेपाल  के साथ हमारा बेटी और रोटी का सबंध रहा है, लेकिन हम देख रहे हैं कि आज नेपाल चीन के बहकावे में आकर इस रोटी और बेटी के रिश्ते पर प्रश्न चिन्ह लगाने का प्रयास कर रहा है ।
 आज नेपाल के प्रधानमंत्री चीन के इशारे पर चल रहे हैं लेकिन अब इनकी सरकार गिरने वाली है , इसलिए हम‌ रहे  हैं कि चीन नेपाल की सरकार बचाने का पूरी कोशिश कर रहा है जिसमें सबसे बड़ा रोल निभा रही चीन के राजदूत जिसका नाम है 'हू यान की। वैसे भी कहा जाता है कि भारत और नेपाल के रिश्तो में दरार पैदा करने की पटकथा "हू यान की" ने लिखी है और इस विवादित नक्शा को भी इसी ने तैयार की है । खबरों के अनुसार चीन के यह राजदूत लगातार नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली समेत तमाम राजनेताओं से मुलाकात कर रही है ताकि नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी को टूटने से बचाया जा सके ।
आपको जानकर हैरानी होगी कि यह" हू यान की"अपने आपको नेपाल का पर्यटन एंबेसडर समझती है ।क्योंकि अक्सर चीन की यह राजदूत अपने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए दिखाती रहती है कि नेपाल और नेपाल की संस्कृति को वह कितना पसंद करती है और तो और इसको नेपाल में सोशल मीडिया स्टार का दर्जा भी हासिल  हो चुका है और तो और नेपाल की मीडिया पर भी इसका अच्छा -खासा दबदबा है साथ में यह लगातार नेपाल के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के दफ्तर का दौरा भी करती रहती है। वैसे अब नेपाल के जनता भी चीन की इस तरह से दखलअंदाजी का विरोध कर रहे हैं और सड़कों पर उतरकर चीन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं । दोस्तों आज कोविड-19 ने दुनिया के लगभग सभी देशों के शक्तिशाली नेताओं की परीक्षा ले लिया है। मेरे आत्मीय मित्रों कहा जाता है कि  किसी भी नेता की पहचान तभी होती है जब उसका देश संकट के दौर से गुजर रहा होता है। विपरीत परिस्थितियों में ही एक नेता का नेतृत्व देखा जाया करता है कि आगे की दशा और दिशा क्या होगी देश का ?
पिछले दिनों जिस प्रकार के नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली जी ने भारत को निशाना बनाकर अनाप-शनाप बोले और तो और दोनों सदनों में नए नक्शा जारी किए जिसके बाद से हमने देखा कि वह  अपनी ही पार्टी के शीर्ष नेताओं के निशाने पर आ गए थे। इसी को देखते हुए नेपाल की सत्तारुढ़  नेपाल  कम्युनिस्ट पार्टी मे खुलकर सामने आई दरारो के बीच में ही पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष पुष्प कमल दहल  'प्रचंड' ने 2 जुलाई को ही राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी से मिले और संसद के बजट सत्र को स्थगित करने की सिफारिश किए । अब पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड'केपी शर्मा ओली से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि ओली का ना तो राजनीतिक तौर पर और ना ही कूटनीति तौर पर यह टिप्पणी करना उचित है। पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड ने तो यहां तक कहा  कि इस प्रकार की ओली का बयान देने से पड़ोसी देश के साथ हमारा संबंध खराब हो सकता है जो की बेटी और रोटी का संबंध है हमारा वर्षों से ।
जैसा कि मैंने कहा कि नेपाल ने संसद में प्रस्ताव पारित कर संविधान संशोधन के जरिए तीन भारतीय इलाके कालापानी, लिपुलेख और लिपायाधुरा को अपने नक्शे में शामिल कर लिया था । लेकिन भारत ने बहुत पहले ही इसको खारिज कर चुका है । तनाव उस वक्त शुरू हुआ था  भारत और नेपाल के बीच जब 8 मई को उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रे को धारचूला से जोड़ने वाली रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण 80 किलोमीटर लंबी सड़क का उद्घाटन रक्षा मंत्री जी ने किया था। लेकिन हमने देखा कि कुछ दिनों के बाद चीन के इशारा करने  पर नेपाल ने इस सड़क के उद्घाटन पर तिखी  प्रतिक्रिया देते हुए दावा किया था कि यह सड़क नेपाली  क्षेत्र से होकर गुजरती है जबकि उसी वक्त भारत ने नेपाल के दावों को खारिज करते हुए यह कहा कि यह सड़क पूरी तरह से भारत के भू भाग में है । जबकि दोस्तों नेपाल इसको कित्रिम रूप से बढ़ा -चढ़ा कर पेश करने का प्रयास कर रहा है ,चीन  के इशारे पर जो कि आज भारत और नेपाल के बीच बेटी और रोटी के संबंध पर प्रश्न चिन्ह लगाने का प्रयास वर्तमान प्रधानमंत्री जी कर रहे हैं। मेरा कहने का तात्पर्य यही  है कि चीन के बहकावे में नेपाल ना आए और जो भी मसला है उसको बातचीत के माध्यम से सुलझाया जाए नहीं तो वर्षों  के बेटी और रोटी के रिश्ते पर प्रश्नचिन्ह लग जाएगा ।
कवि विक्रम क्रांतिकारी (विक्रम चौरसिया-अंतरराष्ट्रीय चिंतक )दिल्ली विश्वविद्यालय/आईएएस अध्येता/मेंटर 
सामाजिक आंदोलनों से जुड़े रहे हैं व वंचित तबकों के लिए आवाज उठाते रहते हैं -स्वरचित मौलिक व अप्रकाशित लेख । समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा प्रकाशित । Published by Rajesh kumar verma

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