पंजाब बिरादरी अध्यक्ष को संगठन के एक पदाधिकारी द्वारा लाखों रुपए की हेराफेरी करने की आरोप लगाते हुए शिकायत पत्र पंजाबी बरादरी के उपाध्यक्ष कुलदीप सिंह बग्गा ने पूरी बिरादरी के हितकारी सुझाव देते हुऐ पूरी बिरादरी के तरफ से दिया हार्दिक शुभकामनाएं

पंजाब बिरादरी अध्यक्ष को संगठन के एक पदाधिकारी द्वारा लाखों रुपए की हेराफेरी करने की आरोप लगाते हुए शिकायत पत्र पंजाबी बरादरी के उपाध्यक्ष कुलदीप सिंह बग्गा ने पूरी बिरादरी के हितकारी सुझाव देते हुऐ पूरी बिरादरी के तरफ से दिया हार्दिक शुभकामनाएं 

आपके तीन साल के कार्यकाल में 60 लाख रुपये का घोटाला हो चुका है । अगर इसके बाद भी आपने पूर्व जनरल सेक्रेटरी को ( संजय सलुजा) को पद पर बैठाए रखा तो यह आंकड़ा कोरोना की तरह बरादरी में बढ़ता जाएगा ।

कहावत है कि शिकारी आएगा जाल बिछाएगा परन्तु फंसना नहीं, क्योंकि अभी तक आपकी छवि बेदाग है लेकिन जैसे ही दागी व्यक्ति को बचाने की कोशिश करेंगे तो निश्चित तौर पर आपकी छवि पर भी खराब असर पड़ेगा । 

यह कितना बड़ा दुर्भाग्य है कि 60 करोड़ की प्रॉपर्टी हो और बरादरी को एक रूपये की आमदनी नहीं हो । अगर यह प्रॉपर्टी किसी व्यक्ति की अपनी होती तो इससे कम से कम 20 लाख रुपये की आमदनी प्रतिमाह होती।

कहावत है निन्दक नियरे राखिये आंगन कुट्टी छवाये न कि जो सच बोले उसी की आवाज बन्द कर दी जाय । 

समस्तीपुर कार्यालय रिपोर्ट 

पटना,बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 20 जुलाई,2020 ) । बिहार राज्य पंजाब बिरादरी अध्यक्ष को संगठन के एक पदाधिकारी द्वारा लाखों रुपए की हेराफेरी करने की आरोप लगाते हुए शिकायत पत्र पंजाबी बरादरी के उपाध्यक्ष कुलदीप सिंह बग्गा ने दिया है । उन्होंने सबसे पहले अध्यक्ष को इस बात के लिए अपनी एवं पूरी बरादरी की ओर से आप को धन्यवाद दिया कि जिस मिशन के लिए आपको बरादरी का अध्यक्ष बनाया गया था उस मिशन में वाहेगुरु जी की कृपा से आपको सफलता मिली, बरादरी का लोन चुकता हुआ और बरादरी कर्ज मुक्त हो गई । इसी खुशी में आपको लगा कि बरादरी में सब ठीक ठाक चल रहा है, परन्तु समाज में आपकी स्वच्छ छवि के सहारे आपके कन्धे पर बन्दूक रखकर आपको अंधेरे में रख कर एक सदस्य लगातार आपके कार्यकाल से बरादरी से नाजायज फायदा उठा रहा है ताकि जो भी भविष्य में बदनामी हो अध्यक्ष महोदय की हो मेरी नहीं हो । उपरोक्त बातें कुलदीप सिंह बग्गा उपाध्यक्ष पंजाबी बरादरी के द्वारा अध्यक्ष, पंजाबी बरादरी (रजि•) लाला लाजपत राय स्मारक भवन टी •एन•बनर्जी रोड, पटना-- 800 001के पते से शिकायत सह सुझाव पत्र देते हुऐ कहा है की बरादरी के वरिष्ठ सदस्य, वर्तमान कमिटी में उपाध्यक्ष, एवं बरादरी हित को ध्यान में रखते हुए आपको बता रहा हूं जिसे सुनने के बाद आप हतप्रभ रहें जायेंगे ।
बरादरी के बहुत पुराने एवं विश्वासी स्टाफ मानस चक्रवती ने बताया कि भूतपूर्व जनरल सेक्रेटरी (संजय सलुजा) द्वारा हाल की प्रत्येक बुकिंग में 20000/=(बीस हजार) रुपये की आमदनी की जाती है । जिसका बरादरी में कहीं कोई जिक्र नहीं होता है और न ही अध्यक्ष को जानकारी दी जाती है क्योंकि यह टेबल के नीचे की डीलिंग है न देनेवाला बोलता है और न ही लेने वाला।
बरादरी में मोटा मोटी हर साल 100 बुकिंग होती है, इस प्रकार उसके हिसाब से आपके तीन साल के कार्यकाल में 60 लाख रुपये का घोटाला हो चुका है । अगर इसके बाद भी आपने पूर्व जनरल सेक्रेटरी को ( संजय सलुजा) को पद पर बैठाए रखा तो यह आकड़ा कोरोना की तरह बरादरी में बढ़ता जाएगा । इसलिए सविंधान के विरुद्ध जाकर आपको continue कराने के लिए कार्यकारिणी में इस तरह का प्रस्ताव लाकर आपके सामने पारित करवा दिया गया कि अगर आप बने रहियेगा तो उसका काम बनता रहेगा। इसलिए आपके लिए सोंचने का विषय है कि अगर आप हाऊस में होते और दुसरा कोई अध्यक्ष इस तरह का प्रस्ताव पारित करवाता तो क्या आप करने देते, मेरे हिसाब से कभी नहीं करने देते क्योंकि आप बुद्धिजीवी हैं और आपको सविंधान की जानकारी है।इसलिए मेरा आपसे अनुरोध है कि तत्कल प्रभाव से उनके हाथ से बूकिंग का प्रभार वापस लिया जाए और एक तीन सदस्यीय कमिटी गठित कर निष्पक्ष जांच करवाई जाए, तब तक अपने स्तर से अपनी देख रेख में बुकिंग का काम करवाया जाए ।
कहावत है कि शिकारी आएगा जाल बिछाएगा परन्तु फंसना नहीं, क्योंकि अभी तक आपकी छवि बेदाग है लेकिन जैसे ही दागी व्यक्ति को बचाने की कोशिश करेंगे तो निश्चित तौर पर आपकी छवि पर भी खराब असर पड़ेगा । 
अगर यही 60 लाख रुपये किसी कैटरर को दिया जाता या बैंक लोन में दिया जाता तो बरादरी को काफी राहत मिलती। यह कितना बड़ा दुर्भाग्य है कि 60 करोड़ की प्रॉपर्टी हो और बरादरी को एक रूपये की आमदनी नहीं हो । अगर यह प्रॉपर्टी किसी व्यक्ति की अपनी होती तो इससे कम से कम 20 लाख रुपये की आमदनी प्रतिमाह होती।
यह सब एक साजिश की तरह चल रहा है, जिस रास्ते पर चल रहे हैं इससे कभी भी बरादरी कर्ज मुक्त नहीं हो सकती क्योंकि बरादरी में तरह-तरह के जोंक लगे हुए हैं । 
बातचीत में तो बरादरी हित की बात करते हैं लेकिन व्यवहारिक में अपने अपने निज स्वार्थ सिद्ध करते हैं । कहावत है कि एक राजा का एक घोड़ा था जो कमजोर होता जा रहा था, इसकी जानकारी जब राजा को हुई तो राजा इस काम के लिए जो पहले से घोड़े की देख रेख कर रहा था उसके उपर एक और व्यक्ति को नियुक्त कर दिया ताकि घोड़े की पूरी देख भाल हो सके लेकिन घोड़ा फिर भी कमजोर होता गया और निगरानी के लिए आदमी पर आदमी रखा गया लेकिन वास्तव में हुआ क्या आप सब लोग जानते हैं कि जितने भी आदमी निगरानी में रखे गये सबों ने घोड़े के उस रसद से अपना अपना कमीशन लेना शुरु कर दिया जिससे नतीजा यह हुआ कि घोड़ा दिनों दिन कमजोर होता गया और एक दिन ऐसा हुआ कि घोड़ा मर गया । सबसे अहम बात जो समझने की है कि आर•सी•मल्होत्रा एव्ं आलोक तकियार का घोटाला हमलोगों ने उजागर किया लेकिन उस समय एस•के•मल्होत्रा किसी भी कमिटी में नहीं थे उनका घोटाले से कोई लेना देना भी नहीं था लेकिन संजय सलुजा ने जबरदस्ती उसका नाम डाला, उसका कहना था कि यह बहुत चलाक आदमी है इसलिए इसका नाम डालना बहुत जरूरी है और बरादरी से बाहर करना बहुत जरूरी है । हमलोगों को यह बात बाद में समझ आई कि इन्होंने अपनी जाति खुंदस निकालने के लिए जबरदस्ती एस• के• मल्होत्रा का नाम केस में डलवाया, इनका कहना था कि इन्हीं के इशारे पर घोटाला किया गया है यह हमलोगो की दब्से बड़ी भूल थी ।हमलोगों के कन्धे पर बन्दूक रख कर इसने यह काम किया है । मुझे आज इस बात का दुख है कि आर•सी•मल्होत्रा एव्ं आलोक तकियार की बात तो समझ में आती है कि उन्होँने घोटाला किया है लेकिन एस•के•मल्होत्रा को फ़साना गलत बात है हमलोग संजय सलुजा के झांसे में आ गए ।हालांकि इन सारी बातों की आपको जानकारी तो है ही और सारा प्रयोजन आपके ऑफिस से और आपकी नजरों के सामने होता था इसलिए सिर्फ याद दिलाने के लिए आपको लिख रहा हूं ।
अब हमलोग आज के दिनों की बात करें वर्तमान कमिटी क्या सच में कमिटी है,अगर है तो जनरल सेक्रेटरी की पोस्ट अभी तक खाली क्यों है। दुसरी बात अगर किसी विषय पर चर्चा होती है तो जरूरी नहीं कि सभी बातें आपके मन के अनुसार हों मतभेद हो सकता है प्रजातंत्र की यही खुबसूरती है। कोई भी व्यक्ति अपनी बात रखने के लिए स्वतंत्र है अगर आपके मन की बात नहीं करेगा और कोई सदस्य आपसे जानकारी मांगेगा तो आप उसे बरादरी से निकाल दीजिएगा यह कहां की परंपरा है किसी भी संस्था में ऐसा नहीं होता है, वाद विवाद में बहुत कुछ होता है । अगर आपको निकालना ही है तो सिर्फ उसे ही निकालें जिसने बरादरी का माल खाया हो, दुसरा यह क्या मतलब है की वाट्स एप ग्रुप से जिसको मन हुआ रख लिया और जिसको चाह निकाल दिया यह बरादरी का ग्रुप है न कि किसी व्यक्ति का पर्सनल ग्रुप है । यह एक सुसाईटी है न कि किसी विशेष व्यक्ति की दुकान। आज देखने को मिल रहा है कि कोई लुधियाना से बोल रहा है यह क्या हो रहा है यह सब गलत परंपरा है। देखना है तो उसे देखिए जो कुर्सी पर बैठ कर घोटाला कर रहा है क्योंकि मल्होत्रा, आलोक तकियार ने जो किया उसका किस्सा कहानी सबको समझ में आ रहा है लेकिन यह जो जोंक लगा हुआ है इसे कैसे पकड़ेंगे । यहां आपको अवगत करा रहा हूं कि आप अपने विवेक से उचित कारवाई करेंगे कहीं ऐसा न हो कि जो आपको शीशा दिखाये उसी पर कारवाई कर बैठे क्योंकि कहावत है निन्दक नियरे राखिये आंगन कुट्टी छवाये न कि जो सच बोले उसी की आवाज बन्द कर दी जाय । हम चाहते हैं कि पंजाबी बरादरी काफी आगे जाय आप अध्यक्ष जी MLC बने, राजसभा जाएं लेकिन एक जगह कुंडली मार कर पड़े रहना अच्छा नहीं होता है। हम लोगों को समझ में आ रहा है कि यह कुर्सी क्यों नहीं छोड़ना चाहते हैं क्योंकि 20 लाख रुपये साल की आमदनी है । आपकी छवि का फायदा उठाकर और अपने निजी लाभ के लिए सविंधान में रद्दोबदल करना यह अच्छी बात नहीं है । ठीक है आप के मुताबिक इनकी 20 लाख़ रूपये की कमाई कम हो जायेगी परन्तु अभी तक 60 लाख रूपये का इनको फायदा हो चुका है । अब बरादरी का ज्यादा नुक्सान न हो आप से हाथ जोड़कर निवेदन है कि इसके झांसे में न आएं और जितनी जल्दी हो सके इन्हें पद से विमुक्त करें, और कोई उचित हल निकालें। दिल बड़ा करें बहुत आगे जाएंगे, अपनी भावना से आपको अवगत कर दिया है बाकी आपको जैसा उचित लगे करें । उपरोक्त जानकारी सुरेश कुमार अरोड़ा अधिवक्ता ने वाट्सएप माध्यम से प्रेस को दिया । समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा प्रकाशित । Published by Rajesh kumar verma

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