" हिंदी साहित्य में प्रेमचंद जी का कद काफी ऊंचा है" : कवि विक्रम क्रांतिकारी

" हिंदी साहित्य में प्रेमचंद जी का कद काफी ऊंचा है" : कवि विक्रम क्रांतिकारी 

 महान उपन्यासकार और कहानीकार मुंशी प्रेमचंद की   जयंती हर साल हम लोग 31 जुलाई को मनाते हैं 

हिंदी  साहित्य में प्रेमचंद जी का कद काफी ऊंचा है और उनका लेखन कार्य एक ऐसी विरासत है जिसके बिना हिंदी के विकास को अधूरा ही माना जाएगा : कवि विक्रम क्रांतिकारी ( विक्रम चौरसिया - चिंतक/पत्रकार/आईएएस अध्येता /मेंटर - दिल्ली विश्वविद्यालय-  अध्येता 

जनक्रांति कार्यालय 

न ई दिल्ली, भारत ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 31 जुलाई,2020 ) । 

दोस्तों हिंदी  साहित्य में प्रेमचंद जी का कद काफी ऊंचा है और उनका लेखन कार्य एक ऐसी विरासत है जिसके बिना हिंदी के विकास को अधूरा ही माना जाएगा।।ये संवेदनशील लेखक के साथ ही सचेत नागरिक, कुशल वक्ता और बहुत ही सुलझे हुए संपादक भी थे।। दोस्तों मुंशी जी गरीबी से लड़ते हुए अपनी पढ़ाई मैट्रिक तक पहुंचाएं। बचपन में इनको गांव से दूर वाराणसी पढ़ने के लिए नंगे पांव जाना पड़ता था। इनको पढ़ने का बहुत शौक था, आगे चलकर वकील बनना चाहते थे लेकिन गरीबी ने बहुत परेशान किया। दोस्तो बचपन में ही सर से पिता का साया छीन जाना बहुत से अभाव के बावजूद प्रेमचंद सदा मस्त रहने वाले और सरल जीवन के मालिक थे।

जीवनभर विषमताओं और कटुताओ से खेलते रहे , इस खेल को तो उन्होंने बाजी मान लिया था , जिसको हमेशा जीतना चाहते थे। कहा तो यह भी जाता है इनके बारे में की यह हंसने वाले प्रकृति के मालिक थे । इनके ह्रदय में दोस्तों के लिए उधार भाव था , और साथ में गरीबों व पीड़ितों के लिए भरपूर सहानुभूति थी। आडंबर और दिखावे से मिलो दूर रहने वाले थे । महापुरुषों की तरह अपना काम स्वयं करना पसंद करते थे। इसलिए आप सब से भी मेरा अनुरोध है कि आडंबर और दिखावे वाला जीवन से आप भी दूर हो दोस्तों और सरल जीवन जीने का प्रयास करो ।। कवि विक्रम क्रांतिकारी ( विक्रम चौरसिया - चिंतक/पत्रकार/आईएएस अध्येता /मेंटर -दिल्ली विश्वविद्यालय-  अध्येता 

समस्तीपुर कार्यालय रिपोर्ट राजेश कुुुमार 

वर्मा द्वारा प्रकाशित । Published by Jankranti ....

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