"यह कैसा सुशासन है ..??" : कवि विक्रम क्रांतिकारी बिहार में कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर यह मुझे कहने में जरा भी गुरेज नहीं हो रहा है कि यहां का सिस्टम अगर इसी तरह अपनी जवाबदेही से बचता रहा तो आने वाले दिनों में बिहार को ग्लोबल हॉटस्पॉट बनने से कोई भी नहीं रोक सकता है ..???
"यह कैसा सुशासन है ..??" : कवि विक्रम क्रांतिकारी
बिहार में कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर यह मुझे कहने में जरा भी गुरेज नहीं हो रहा है कि यहां का सिस्टम अगर इसी तरह अपनी जवाबदेही से बचता रहा तो आने वाले दिनों में बिहार को ग्लोबल हॉटस्पॉट बनने से कोई भी नहीं रोक सकता है ..???
आप को भी मालूम ही होगा बिहार में किसकी सरकार है ? यह सवाल अगर हम सरकार में बैठे लोगों से पूछेंगे तो उनका जवाब होगा कि बिहार में तो 'सुशासन बाबू ' की सरकार है । वहीं अगर हम विपक्ष में बैठे नेताओं से पूछते हैं तो उनका जवाब होता है कि बिहार में तो भ्रष्ट सरकार है , वही और कोई कहता है कि यहां डबल इंजन की सरकार है और कुछ लोग तो कुछ भी कह रहे हैं।
पिछले 01 सप्ताह से हमारे बिहार के अलग-अलग जिलों से जो तस्वीरें हमें देखने को मिल रहा है वह दोस्तों यह बताने के लिए काफी है कि बिहार में सब कुछ अच्छा नहीं है : कवि विक्रम क्रांतिकारी (विक्रम चौरसिया- अंतरराष्ट्रीय चिंतक /पत्रकार) दिल्ली विश्वविद्यालय अध्येता /आईएएस मेंटर
दूसरी तरफ देख रहे हैं कि बिहार में बाढ़ ने भी तबाही मचाना शुरू कर दिया है । दोस्तों हमारे देश में दो महानगरों में कोरोना के सबसे अधिक मामले दिन -प्रतिदिन बढ़ रहे थे
एक तरफ जहां बिहार में कोरोना वायरस का विस्फोट दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है । देखें तो पिछले 5 दिनों में तो बिहार में महाराष्ट्र और दिल्ली से भी ज्यादा कोरोना के नए मामले आए हैं । वहीं दूसरी तरफ देख रहे हैं कि बिहार में बाढ़ ने भी तबाही मचाना शुरू कर दिया है ।
@Samastipur office Repirt
नई दिल्ली, भारत ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 21 जुलाई,2020 ) ।आप को भी मालूम ही होगा बिहार में किसकी सरकार है ? यह सवाल अगर हम सरकार में बैठे लोगों से पूछेंगे तो उनका जवाब होगा कि बिहार में तो 'सुशासन बाबू ' की सरकार है । वहीं अगर हम विपक्ष में बैठे नेताओं से पूछते हैं तो उनका जवाब होता है कि बिहार में तो भ्रष्ट सरकार है , वही और कोई कहता है कि यहां डबल इंजन की सरकार है और कुछ लोग तो कुछ भी कह रहे हैं। आखिर क्यों यह सवाल मै कर रहा हूं.. ?
यह सवाल इसलिए मैं लोगों से पूछ रहा हूं की पिछले 01 सप्ताह से हमारे बिहार के अलग-अलग जिलों से जो तस्वीरें हमें देखने को मिल रहा है वह दोस्तों यह बताने के लिए काफी है कि बिहार में सब कुछ अच्छा नहीं है।
दोस्तों हम देख रहे हैं कि एक तरफ जहां बिहार में कोरोना वायरस का विस्फोट दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है । देखें तो पिछले 05 दिनों में तो बिहार में महाराष्ट्र और दिल्ली से भी ज्यादा कोरोना के नए मामले आए हैं । वहीं दूसरी तरफ देख रहे हैं कि बिहार में बाढ़ ने भी तबाही मचाना शुरू कर दिया है । दोस्तों हमारे देश में दो महानगरों में कोरोना के सबसे अधिक मामले दिन -प्रतिदिन बढ़ रहे थे , एक हमारे देश के राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और दूसरी देश की आर्थिक राजधानी मुंबई लेकिन हमारे बिहार की राजधानी पटना और उसके आसपास के राज्यों में जिस प्रकार से लगातार पिछले 1 सप्ताह से कोरोना वायरस के मामले बढ़ रहे हैं .यह कहीं ना कहीं सुशासन सरकार के लापरवाही का ही नतीजा है। क्योंकि दिल्ली और महाराष्ट्र में कोरोना का कहर जब अपने चरम पर था और अभी भी है तो क्या बिहार ने इससे कुछ सीखा नहीं और अपने यहां पहले से ही क्यों नहीं स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत किया ..?
आज बिहार में कोरोना की विस्फोटक स्थिति पर काबू पाने के लिए पूरे राज्य में 30 जुलाई तक लॉकडाउन लगा दिया गया है, जो कि दुनिया भर में फैले कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए घर में रहने और बाहर नहीं निकलने के उपाय को सबसे बेहतर माना जा रहा है। लेकिन मेरा सवाल यह है कि वह लोग घर में कैसे रहेंगे जिनके घरों में बाढ़ का पानी घुस गया है? आज गोपालगंज से लेकर सीतामढ़ी ,मधुबनी, शिवहर, सुपौल और दरभंगा जिले के सैकड़ों गांव जलमग्न हो चुके हैं । अपने बिहार का एक तस्वीर तेजी से वायरल हो रही है जिसमें एक डॉक्टर साहब ठेले पर बैठकर कोविड केयर सेंटर में इलाज करने जाते हुए दिखाई दे रहे हैं। तस्वीर में साफ दिख रहा है कि नीचे घुटने के ऊपर तक पानी है। आखिर यह कैसा विकास है.. ?
एक ओर आज जहां बिहार में कोरोना वायरस का विस्फोट हो चुका है पिछले 01 सप्ताह से देख रहे हैं कि रोजाना हजार से भी ज्यादा नए मामले आ रहे हैं ,कोरोना वायरस के वहीं दूसरी तरफ अस्पतालों में बेड की व्यापक कमी है । देशव्यापी जब लॉकडाउन लगाया गया था तब क्या सरकार सोई हुई थी ,उस वक्त अपने स्वास्थ्य संरचनाओं को सुदृढ़ नहीं कर सकती थी क्या ? आज हम देख रहे हैं कि बिहार के अस्पतालों को कोरोना संक्रमण ने आईसीयू में पहुंचा दिया है । देखने में आ रहा है कि जांच कराने के लिए हजारों लोग अस्पताल दर अस्पताल भटक रहे हैं, रजिस्ट्रेशन कराने के 4 से 5 दिनों के बाद सैंपल देने की बारी आ रही है और रिपोर्ट आने में तो 8 से 10 दिन लग जा रहा है। अब बिहार में जिस प्रकार से कोरोना वायरस के संक्रमण तेजी से बढ़ रहे हैं यह बहुत ही चिंता का विषय है। बिहार में हमने देखा कि पहला पॉजिटिव मामला 22 मार्च को आया था यहां पर 3 मई तक 500 पॉजिटिव मामले थे। लेकिन हमने देखा इसके बाद जिस तेजी से आज संक्रमण का प्रसार हुआ बिहार अब पूरे देश भर का चिंता का विषय बनता जा रहा है। बिहार में देखें तो 31 मई तक 3807 मामला था कोरोना वायरस के वही जून खत्म होते-होते 10 हजार के आस- पास पहुंच गया था। लेकिन इसके बाद अब जिस प्रकार से बिहार में संक्रमण का मामला तेजी से बढ़ रहा है इससे पूरे देश को अब चिंता सताने लगी है। 18 दिनों के अंदर ही बिहार में 15223 नए मामले मिले हैं , अब संक्रमण की मामला बढ़कर लगभग 25000 हो गई है। पहले से बिहार में रिकवरी रेट में भी अप्रत्याशित रूप से गिरावट आई है जो 30 जून को रिकवरी रेट 77 फ़ीसदी था वहीं अब 18 जुलाई को घटकर 63 .17 फिसदी पर आ गया है ,जबकि रिकवरी रेट बढ़ना चाहिए था ।
आखिर क्यों बिहार में अभी तक केवल 3,68,232 जांच ही हो पाया है.. ? जो की आबादी के लिहाज से केवल यह 3 फीसदी ही है । बिहार के अस्पतालों में भर्ती होना मतलब जंग जितने ही जैसा है ..? पिछले दिनों बिहार सरकार ने नियम बनाया कोरोना पॉजिटिव मामलों के इलाज के लिए जिसमें कहा गया कि वह मरीज जिनमे संक्रमण की पुष्टि तो हो चुकी है लेकिन लक्षण नहीं है वह अपने घर पर ही आइसोलेशन में रहे । लेकिन मेरा सवाल अब यह है कि बिहार सरकार से की वह मरीज कैसे अपने घर में आइसोलेट करके रहेगा जिसका एक ही कमरा हो और वह एक ही कमरा में पूरे परिवार के साथ रहता हो ,ऐसे लोगों की संख्या हजारों में है, और अब तो बिहार में जिस प्रकार से बाढ़ का कहर बढ़ता जा रहा है इससे बहुत लोग बेघर हो चुके हैं ,उनका क्या होगा..?
दोस्तों देखने में आ रहा है कि किसी की तबीयत बिगड़ने पर और कोरोना के लक्षण होने के बावजूद भी कोई बिहार में तत्काल जांच करा लें और अस्पताल में भर्ती हो जाए यह केवल हमें लगता है कि उन्हीं लोगों के लिए संभव है आज जिसके पास पहुंच है ,पावर है और पैसा है । हमारे जैसे गरीब, मजदूर ,मध्यमवर्ग और किसानों के लिए तो यह एक जंग जीतने के बराबर ही हैं ।। आज हम देख रहे हैं कि अस्पताल परिसर का हाल भयावह है, मरीजों के परिजन इस काउंटर से उस काउंटर का चक्कर लगा रहे हैं, और तो और परिसर में इधर-उधर जहां तहां इस्तेमाल किए गए पीपीई किट , मास्क ,ग्लव्स आदि फेंके हुए है। आज बिहार के कोरोना अस्पताल के परिसर का हालात देखकर मुझे लगता है कि जिस तरह कि आज व्यवस्था है, अगर संक्रमण फैलना होगा तो केवल अस्पतालों के परिसर में प्रवेश कर जाने से फैल जाएगा । दोस्तों बिहार में सब कुछ मुझे लगता है कि डब्ल्यूएचओ और परिवार और स्वास्थ्य कल्याण मंत्रालय की गाइडलाइन के उल्टा ही चल रहा है। पिछले दिनों एक वीडियो वायरल हो रहा था ,दोस्तों जो पटना के एम्स का है जिसमें हमने देखा कि बिहार सरकार के पूर्व सचिव की पत्नी अपने पति को भर्ती कराने के लिए अस्पताल कर्मियों से गुहार लगाती दिख रही थी लेकिन बाद में पूर्व सचिव का मौत हो गई। और इस पूर्व सचिव के बेटे ने मौत का कारण भी कोरोना संक्रमण को नहीं बल्कि देर तक इलाज नहीं मिल पाने को और अस्पताल में भर्ती नहीं करने को बताया अब आप सोच सकते हैं कि बिहार की स्वास्थ्य ढांचे की हालात क्या है? जब बिहार के पूर्व सचिव को समय पर इलाज नहीं मिला गुहार लगाने के बाद भी तो आप समझ सकते हैं कि गरीब, मजदूर ,किसान मध्यमवर्ग जैसे आम लोगों की हालत क्या होगी..?
बिहार के स्वास्थ्य मंत्री पिछले दिनों बोल रहे थे कि अस्पतालों में आइसोलेशन बेड राज्य के सभी छह मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में 100-100 बेड कोरोना मरीजों के लिए सुरक्षित किया गया है । स्वास्थ्य मंत्री जी के अनुसार राज्य में कुल 39,000 लगभग आइसोलेशन वार्ड तैयार किया गया । अब स्वास्थ्य मंत्री जी से मेरा यह सवाल है कि क्या एक अस्पताल में सिर्फ 100 बेडो का इंतजाम काफी है ? क्योंकि दोस्तों रिपोर्ट के मुताबिक 38 जिलों में से बिहार का कोई ऐसा जिला नहीं है जहां 100 से कम संक्रमित व्यक्ति हो । दूसरा मेरा सवाल है कि इन लगभग 39000 आइसोलेशन बेडो को आखिर किस काम के लिए तैयार किया गया, जबकी आज अस्पतालों में मरीजों को भर्ती होने के लिए इतनी मुश्किल हो रही है और सरकार ने अब बिना लक्षण वाले संक्रमित मरीजों को होम आइसोलेशन में भी रहने का आदेश जारी कर दिया हैं सोचना आप जरूर। दोस्तों बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी करने में व्यस्त है और कोरोना अपना तेजी से पैर पसार रहा है आप कृपया करके अपना और अपनों का ध्यान रखें। आखिर यह कैसी लोक कल्याणकारी सरकार है जो अपनी जनता का ध्यान नहीं रख कर चुनाव में व्यस्त है ? दोस्तों अभी का जो हालात है बिहार में कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर यह मुझे कहने में जरा भी गुरेज नहीं हो रहा है कि यहां का सिस्टम अगर इसी तरह अपनी जवाबदेही से बचता रहा तो आने वाले दिनों में बिहार को ग्लोबल हॉटस्पॉट बनने से कोई भी नहीं रोक सकता है । आप सभी से दोस्तों मेरा विनम्र निवेदन है कि आप अपना और अपनों का ध्यान रखें साथ ही जो भी वंचित तबका आपको दिखे आप अपने सामर्थ्य अनुसार उसका मदद करने का जरूर प्रयास करें इस वैश्विक महामारी में।
कवि विक्रम क्रांतिकारी (विक्रम चौरसिया- अंतरराष्ट्रीय चिंतक /पत्रकार) दिल्ली विश्वविद्यालय अध्येता /आईएएस मेंटर लेखक सामाजिक आंदोलनों से जुड़े रहे है व वंचित तबकों के लिए आवाज उठाते रहते है -स्वरचित मौलिक व अप्रकाशित लेख !
समस्तीपुर कार्यालय रिपोर्ट राजेश कुमार वर्मा द्वारा प्रकाशित । Published by Rajesh kumar verma
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