समस्तीपुर के पूसा प्रखंड पहुंचा टिड्डी कीट दल जरूरत है टिड्डी कीट से सतर्क रहने की प्रखंड मुख्यालय के प्रशासन ने जनता को सचेत रहने की अपील की

समस्तीपुर के पूसा प्रखंड पहुंचा टिड्डी कीट दल जरूरत है टिड्डी कीट से सतर्क रहने की 

प्रखंड मुख्यालय के प्रशासन ने जनता को सचेत रहने की अपील की 

                 घरों के छत के उपर मंडरा रहा टिड्डी कीट दल

बचाव हेतु ढोल ताशा नगाड़ा थाली रसायनिक दवा इत्यादि का प्रबंध कर तैयार रहे संभावना है कि आज ही पूसा प्रखंड के पूर्वोत्तर क्षेत्र में प्रवेश करने की संभावना है

रजनीश कुमार की रिपोर्ट 

समस्तीपुर, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 01 जून,2020 )। समस्तीपुर जिले के प्रखंड प्रशासन ने प्रखंड वासियों को टिड्डी कीट दल से सचेत रहने की अपील किया है । जारी अपील में कहा गया है कि आप सभी प्रखंड कृषि पदाधिकारी, कृषि समन्वयक, प्रखंड तकनीकी प्रबंधक सहायक, तकनीकी प्रबंधक प्रखंड उद्यान पदाधिकारी, पौधा संरक्षण पर्यवेक्षक, किसान सलाहकार जिला समस्तीपुर को सूचित किया जाता है कि टिड्डी दल कीट का आक्रमण पूसा प्रखंड अंतर्गत हो गया है । आप सभी से अनुरोध है कि आप सभी अविलंब अपने-अपने पंचायतों के अपने-अपने क्षेत्रों के कृषकों को सूचित करें तथा इसके बचाव हेतु ढोल ताशा नगाड़ा थाली रसायनिक दवा इत्यादि का प्रबंध कर तैयार रहे संभावना है कि आज ही पूसा प्रखंड के पूर्वोत्तर क्षेत्र में प्रवेश करने की संभावना है अतः आप लोग अपने-अपने क्षेत्र में रहें तथा किसानों को इसकी सूचना अविलंब दें । टिड्डी कीट के नाम से अधिकतर लोग परिचित होंगे, यह लगभग दो से ढाई इंच लम्बा कीट होता है। यह बहुत ही डरपोक होने के कारण समूह मे रहते हैं। टिड्डी दल किसानों का सबसे बड़ा शत्रु है। टिड्डियाँ 1 दिन में 100 से 150 किलोमीटर की दूरी तय कर सकती हैं हालांकि इनके आगे बढ़ने की दिशा हवा की गति पर निर्भर करती है। टिड्डी दल सामूहिक रूप से लाखों की संख्या में झुंड/समूह बनाकर पेड़ - पौधे एवं वनस्पतियों को भारी नुकसान पहुंचाते हैं। यह दल 15 से 20 मिनट में आपकी फसल के पत्तियों को पूर्ण रूप से खाकर नष्ट कर सकते हैं। यह सभी प्रकार के हरे पत्तों पर आक्रमण करते हैं। ये टिड्डी दल किसी क्षेत्र में शाम 6 से 8 बजे के आस-पास पहुँचकर जमीन पर बैठ जाते हैं। टिड्डी दल शाम के समय समूह में पेड़ों, झाड़ियों एवं फसलों पर बसेरा करते हैं और वही पर रात गुजारते हैं तथा रात भर फसलों को नुकसान पहुँचाते हैं और फिर सुबह 8 -9 बजे के करीब उड़ान भरते हैं। अंडा देने की अवधि में इनका दल एक स्थान पर 3 से 4 दिन तक रुक जाता है।
आप लोगों को अवगत कराना है कि बड़े आकार का टिड्डी दल राजस्थान राज्य से होते हुए मध्य प्रदेश से सटे बुंदेलखंड क्षेत्र की तरफ से उत्तर प्रदेश में प्रवेश कर चुका है। अत: सभी कृषक बंधुओं से अनुरोध है इस समय सजग रहें एवं टिड्डी दल की लोकेशन ज्ञात करते रहें। टिड्डी दल के आने पर निम्नलिखित उपाय करके आप लोग अपनी फसल को बचा सकते हैं।
#आक्रमण हो तो करें निम्न उपाय:-
✓बचाव:
1. टिड्डी दल का समूह जब भी आकाश में दिखाई पड़े तो उनको उतरने से रोकने के लिए तुरंत अपने खेत के आस-पास मौजूद घास - फूस का उपयोग करके धुआं करना चाहिए अथवा आग जलाना चाहिए जिससे टिड्डी दल आपके खेत में ना बैठकर आगे निकल जाएगा।
2. टिड्डी दल दिखाई देते ही ध्वनि विस्तारक यंत्रों के माध्यम से आवाज कर उनकों अपने खेत पर बैठने न दें। अपने खेतों मे पटाखे फोड़कर, थाली बजाकर, ढोल- नगाड़े बजाकर आवाज करें, टैक्टर के साइलेसंर को निकाल कर भी तेज ध्वनि कर सकते हैं।कल्टीवेटर या रोटावेटर चलाकर के टिड्डी को तथा उनके अंडों को नष्ट किया जा सकता है। इनको उस क्षेत्र से हटाने या भगाने के लिए ध्वनि विस्तारक यंत्रों के माध्यम से भोर का समय उपयुक्त होता है। प्रकाश प्रपंच लगाकर एकत्रित करके नष्ट कर सकते हैं। क्योंकि एक डरपोक स्वभाव का कीट होता है अतः तेज आवाज से डरकर आपके फसल व पेड़ पौधों को किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचा पायेगा।
✓रासायनिक नियंत्रण:
यह टिड्डी दल शाम को 6 से 7 बजे के आसपास जमीन पर बैठ जाता है और फिर सुबह 8 -9 बजे के करीब उड़ान भरता है। अतः इसी अवधि में इनके ऊपर शक्ति चालित स्प्रेयर की मदद से कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव करके इनको मारा जा सकता है। रसायन के छिड़काव का सबसे उपयुक्त समय सबसे उपयुक्त समय रात्रि 11:00 बजे से सुबह 8:00 बजे तक होता होता है
1. टिड्डी के नियंत्रण हेतु क्लोरपाइरीफास 20 % ईसी या बेन्डियोकार्ब 80 % 125 ग्राम 1200 मिली या क्लोरपाइरीफास 50 % ईसी 480 मिली या डेल्टामेथरिन 2.8 % ईसी 625 मिली या डेल्टामेथरिन 1.25 % एस. सी. 1400 मिली या डाईफ्लूबेनज्यूरॉन 25 % डब्ल्यूपी 120 ग्राम या लैम्ब्डा-साईहेलोथ्रिन 5 % ईसी 400 मिली या लैम्ब्डा-साईहेलोथ्रिन 10 % डब्ल्यूपी 200 ग्राम प्रति हैक्टेयर कीटनाकों का उपयोग किया जा सकता है। 
2. मैलाथियान 5 % धूल अथवा फेनवेलरेट धूल की 25 किलो मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से डस्टर द्वारा बुरकाव करें। बुरकाव के लिए प्रातः काल का समय अधिक उपयुक्त होता है क्योंकि इस समय पत्तियों पर ओस पड़ी रहती है जिसके कारण धूल पत्तियों पर चिपक जाती है। बुरकाव को खेत के बाहरी हिस्से से प्रारंभ करते हुए अंदर की तरफ करना चाहिए।
यदि आपके क्षेत्र में टिड्डी दल दिखाई देता है तो उपरोक्त उपाय को अपनाते हुए तत्काल अपने क्षेत्र के कृषि विभाग के अधिकारियों व कृषि समन्वयकों /किसान सलाहकारों अथवा कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों से संपर्क करें।
समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा रजनीश कुमार की रिपोर्ट प्रकाशित ।
Published by Rajesh kumar verma

Comments

Popular posts from this blog

महज सोलह दिनों में छह रेल सिग्नल-कर्मचारी कार्य करते हुए हो गए रन-ओवर

पुलवामा अटैक में शहीद हुए जवानों को ब्लड फ़ोर्स टीम के सदस्यों द्वारा दी गई भावभीनी श्रद्धांजलि

दो दिवसीय इंटरनेशनल सेमिनार का आयोजन विद्या शोध संस्थान संस्कृति विभाग द्वारा किया गया आयोजित