अन्तर्राष्ट्रीय न्याय दिवस पर विशेष .... " गरीबों पर कानून राज करती है ,और कानून पर अमीर राज करता है" : Kavi Vikram Krantikari

अन्तर्राष्ट्रीय न्याय दिवस पर विशेष ....

" गरीबों पर कानून राज करती है ,और कानून पर अमीर राज करता है" : Kavi Vikram Krantikari

हमें लोगो को न्याय के समर्थन के लिए  जागरूक और एकजुट करने की आवश्यकता है : कवि विक्रम क्रांतिकारी (विक्रम चौरसिया-अंतरराष्ट्रीय चिंतक/पत्रकार) दिल्ली विश्वविद्यालय अध्येता/आईएएस अध्येता /मेंटर

@Samastipur Office Reporte

New Delhi,India ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 16 जुलाई,2020 ) ।  हमें लोगो को न्याय के समर्थन के लिए  जागरूक और एकजुट करने की आवश्यकता है ।दोस्तों आज हम सब अंतरराष्ट्रीय न्याय के लिए  विश्व  दिवस को अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्याय दिवस के रूप में प्रतिवर्ष 17 जुलाई को आज  ही अंतरराष्ट्रीय न्याय दिवस के रूप में मनाते हैं।
पूरे विश्व में आज ही के दिन हम सब अंतरराष्ट्रीय न्याय दिवस मनाते हैं ।  इसका मुख्य उद्देश्य पीड़ितों के अधिकारों को लेकर जागरूकता लाने के लिए मनाते हैं।
    कानून व्यवस्था में  न्यायिक प्रणाली का योगदान बहुत ही ज्यादा होता है , जो अपराधो को कम करने का प्रयास करता है। पर न्याय मिले या नहीं मिले यह बात अलग ही है। देखने में आता है कि न्याय में स्थान जैसे कि थाना क्षेत्र , कोर्ट नेता के घर को देखते हुये भेदभावपूर्ण व्यवहार किया जाता है ।
अक्सर हम सब देखते हैं कि न्याय को लेकर धार्मिक तौर पर भेदभाव तो होता ही है ,साथ ही सबसे अधिक भेदभाव आर्थिक रूप से भी हमारे देश में होता है। कोई भी देश का नागरिक अगर वह परेशान है तो सबसे पहले वह पीड़ित व्यक्ति थाने में जाकर न्याय के लिए उम्मीद  करता है चाहे देश का अमीर व्यक्ति हो या गरीब ।
लेकिन देखने में आता है कि एक अच्छे और गाड़ी वाला व्यक्ति अगर किसी थाने में जाता है तो उसको आदर के साथ बैठाकर  सम्मान  दिया जाता हैं चाहे वह अपराधी  ही क्यो ना हो ? अमीर को हर तरफ से सहार ही दिया जाता हैं l 
 वहीं दूसरी तरफ अगर निर्दोष गरीब इंसान लोग थाने में न्याय  के लिए जाते हैं तो उससे बात तक नहीं की जाती है आखिर क्यों? इस वजह से की  वह इंसान  गरीब है ।
जैसा की हम सब जानते है कि संविधान के अनुच्छेद 14 में सभी इंसान को कानून के नजरो में सभी के बराबरी की बात कही गई है फिर क्यों यह भेदभाव है ? देश में आज लगभग 90 फीसदी संपति पर 10 फीसदी अमीरों का कब्जा है । वहीं देश के लगभग 90 फीसदी  लोग 10 फीसदी संपति पर किसी तरह से गुजर -बसर कर रहे है आखिर इतना भेदभाव क्यों...?
 कोर्ट में लाखो केश दर्ज किए जाते है पर न्याय क्यों नहीं किया जाता है ? आखिर अपराधियों को मोहलत क्यों दिया जाता है , शायद इसीलिए की वह अपराधी अभी कम महान काम किया है अभी तो जमानत होकर और भी काम करना है। जैसा कि हमने देखा कि राजनीतिक संरक्षण पाए हुए कुख्यात अपराधी विकास दुबे के साथ भी ऐसा ही था ।जो हमारे 8 पुलिसकर्मियों को भी मार डाला था , वर्षों से अपना अत्याचार नेताओं के साथ सांठगांठ करके करते आ रहा था।
कानून का उल्लघंन करने के लिए भी कई कानून बनाए जाते है पर उसका फायदा क्या ?आखिर कानूनों को लागू करने के बाद भी उसको माना क्यों नहीं जाता है? दोस्तों कानून हमारे संविधान का अंश है । क्या फिर संविधान हमारा इतना कमजोर है या उसको लोकतंत्र के रख वालों ने बना दिया है ?अगर ऐसा नहीं है तो क्यों अपराध बढ़ते जा रहे हैं ? इसलिए दोस्तों गरीबों के साथ न्याय नहीं होता है, और आज न्याय व्यवसाय बनता जा रहा है।

'महलो में रहने वालों से अच्छी जिंदगी है मेरी दोस्तों ,दो वक्त की रोटी साथ मे खाते हैं ,झोपड़े की नींद उनसे अच्छी है जो पैसे को छुपाकर रात भर जगते है एक कहानी सुनाता हूं ....??.


                 ##@@##गरीबी की दासता .@#@...

लोग यह सोचते लगे है आज की जरा पैसे कमा ले तभी तो इंसाफ देंगे ,नहीं तो वकीलों ,पुलिस वालो का खर्चा कैसे चलेगा l  इसी तरह दोस्तों कई लोग इंसाफ की दहलीज पर आते ही नहीं हैं  क्योंकि दोस्तों यहां तो इंसाफ को पैसों से तोला  जाता है,अपराधों से नहीं आखिर क्यों ..?
कवि विक्रम क्रांतिकारी (विक्रम चौरसिया-अंतरराष्ट्रीय चिंतक/पत्रकार) दिल्ली विश्वविद्यालय अध्येता/आईएएस अध्येता /मेंटर मौलिक ,अप्रकाशित व स्वरचित लेख ।।

समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा प्रकाशित । Published by Rajesh kumar verma

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