कोविड -19 नई बीमारी है और दुनियां भर में फैली है। सवाल ये है कि किस देश की सरकार नें इसे गम्भीरता से लिया और कोरोना कंट्रोल को प्राथमिकता दी।

कोविड -19  नई बीमारी है और दुनियां भर में फैली है।

सवाल ये है कि किस देश की सरकार नें इसे गम्भीरता से लिया और कोरोना कंट्रोल को प्राथमिकता दी।

कोरोना पॉजिटिव मरीज अस्पताल में भर्ती हैं उनके पास कोई डॉक्टर नर्स फटकता नहीं है

जनक्रान्ति कार्यालय रिपोर्ट 

संवैधानिक संस्थाओं को ध्वस्त करने, सार्वजनिक उपक्रमों को कौड़ी के भाव बेचने, सार्वजनिक संस्थानों को गिरवी रखने, मानवीय मूल्यों पर हमला करने जैसे तकनीकी इजाद करने वाली सरकारों को सत्ता से बाहर करने हेतु देश के नौजवानों को एकजुट होना होगा : सुरेन्द्र कुमार 

समस्तीपुर, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 04 अगस्त, 2020 ) ।  बेशक  कोविड -19  नई बीमारी है और दुनियां भर में फैली है। सवाल ये है कि किस देश की सरकार नें इसे गम्भीरता से लिया और कोरोना कंट्रोल को प्राथमिकता दी।  जाहिर है जब चीन में कोरोना आ चुका था और कोरोना की प्रकृति को कुछ हद तक जान लिया गया था, तब मोदी सरकार के पास इंतजाम करने का वक्त था। लेकिन नहीं !मोदी जी नें कोरोना कंट्रोल के बदले अपने विरोधियों को कंट्रोल करने पर ज्यादा ध्यान दिया। एक्टिविस्टों को निबटाने और सबक सिखाने में लगे रहे। मध्यप्रदेश में विधायकों की खरीददारी में लगे रहे।  अपनी झूठी शेखी बघारने के लिए नमस्ते ट्रम्प करने में लगे रहे।  शुरुआती दौर में गम्भीर प्रयास करने के बजाय ताली थाली बजाने, बत्ती बुझाकर बत्ती जलाने और कोरोना को तब्लीगी जमात और मुसलमानों की साजिश बताने में लगे रहे । कोरोना काल में नई शिक्षा नीति लाने, रेल सहित अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम बेचने में लगे रहे और अभी भी लगे हैं।


 शुरुआती दौर में अपनी पीठ अपने थपथपाने में भी लग गये कि हमने कोरोना को कंट्रोल कर लिया है, रोज स्वास्थ्य विभाग प्रेस कांफ्रेंस करते रहा। आज जब पूरा स्वास्थ्य महकमा फेल कर गया है, जांच के लिए मरीज चक्कर पर चक्कर लगा रहे हैं। जो मरीज अस्पताल में भर्ती हैं उनके पास कोई डॉक्टर नर्स फटकता नहीं है। बिहार में तो पटना एम्स नेताओं और बड़े अधिकारियों के लिए हीं रिजर्व कर लिया गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चार महीनों से आवास से बाहर नहीं निकले हैं और अपने आवास पर हीं डॉक्टर और नर्स की ड्यूटी लगा ली है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह सरकारी अस्पताल के बजाय निजी अस्पताल में भर्ती हैं, आज अमित शाह का भी निजी अस्पताल में भर्ती होने की खबर है। हमारे यहां स्थिति ये है कि कोरोना मरीज टहलते बुलते जांच के लिये जाते हैं वैसे हीं लौटते हैं। पॉजिटिव पेशेंट को जिनके पास घर नहीं है, उसे भी घर पर रहने बोल दिया जाता है। जिस मरीज को होम कोरंटिन किया गया है वे घर पर रहते हैं, बाजार घूमते हैं, कोई देखने वाला नहीं है। कोरोना मरीज बाजार घूमते और अन्य काम करते देखे गए हैं। ये सरकार पूरी तरह से फेल हो चुकी है। अपनी नाकामियों को छुपाने के लिये ये नया-नया हथकंडा अपना रही है। रोज नवीन नौटंकीबाज  की खोज हो रही है। हवा में ताल ठोक चीन का नाम लेकर राष्ट्रवाद का सिक्का नहीं चला। असलियत की पोल खुल गई तो अंतिम सहारा राम का। कोर्ट का फैसला है, राम मंदिर बनना है तो बने, लेकिन राम मंदिर निर्माण को मोदी सरकार नें अपनी नाकामियों को ढ़कने का औजार बना लिया है। दिक्कत यहाँ है। सवाल कोरोना कंट्रोल का नहीं स्वास्थ्य सुविधाओं के फेल्योर का है। सिस्टम के नकारा होने का है। लोकतांत्रिक व्यवस्था ध्वस्त करने के लिए हरेक हथकंडा सरकारें अपना रही है। संवैधानिक संस्थाओं को ध्वस्त करने, सार्वजनिक उपक्रमों को कौड़ी के भाव बेचने, सार्वजनिक संस्थानों को गिरवी रखने, मानवीय मूल्यों पर हमला करने जैसे तकनीकी इजाद करने वाली सरकारों को सत्ता से बाहर करने हेतु देश के नौजवानों को एकजुट होना होगा।

समस्तीपुर कार्यालय रिपोर्ट राजेश कुमार वर्मा द्वारा प्रकाशित । Published by Jankranti....

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