स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 : आखिर इंदौर कैसे देश में लगातार चार बार से सबसे साफ शहर का दर्जा पाया.. ??? कवि विक्रम क्रांतिकारी

 स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 : आखिर इंदौर कैसे देश में लगातार चार बार से सबसे साफ शहर का दर्जा पाया.. ??? कवि विक्रम क्रांतिकारी

दोस्तों हमारे देश के शहर इंदौर ने स्वच्छ सर्वेक्षण में एक के बाद एक 04 साल से लगातार देश के सबसे साफ शहर का खिताब हासिल कर रहा है। : कवि विक्रम क्रांतिकारी ( विक्रम चौरसिया - चिंतक /पत्रकार /आईएएस मेंटर / दिल्ली विश्वविद्यालय - अध्येता

सूरत और नवी मुंबई को मिला दूसरा व तीसरा स्थान और बड़े शहरों की सूची में देखा जाए तो स्वच्छता के मामले में उत्तर प्रदेश के 07 शहरों का नाम जिसमें गंगा किनारे बसे प्रधानमंत्री जी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी सबसे साफ सुथरा है। 

लगातार 04 वर्षों से स्वच्छता सर्वेक्षण में इंदौर शहर को सबसे देश का स्वच्छता का खिताब हासिल करने के पीछे वहां के आम जनता के साथ-साथ ही सरकार का भी सराहनीय पहल रहा है। इंदौर शहर की स्वच्छता के मामले में शुरुआत की बात करें तो यहां पहले डस्टबिन के हटाए जाने और हर एक घर से कचरा इकट्ठा कर उसके निस्तारण से हुई। देखें तो 2016 में इस शहर में पूरे 85 वार्ड में  से  हर एक घर में से  कचरा उठाया जाने लगा था।

✍️ Jankranti office Report

नई दिल्ली/भारत ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 22 अगस्त, 2020 ) ।

दोस्तों हमारे देश के शहर इंदौर ने स्वच्छ सर्वेक्षण में एक के बाद एक 4 साल से लगातार देश के सबसे साफ शहर का खिताब हासिल कर रहा है। वहीं दूसरी तरफ सूरत और नवी मुंबई को मिला दूसरा व तीसरा स्थान और बड़े शहरों की सूची में देखा जाए तो स्वच्छता के मामले में उत्तर प्रदेश के 7 शहरों का नाम जिसमें गंगा किनारे बसे प्रधानमंत्री जी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी सबसे साफ सुथरा है।

जैसा कि दोस्तों हम जानते हैं कि प्रत्येक वर्ष स्वच्छता सर्वेक्षण देश में की जाती है, इस वर्ष सर्वेक्षण में 4242 शहरों को शामिल किया गया जिसमें की स्वच्छ महोत्सव में 129 शहरो को पुरस्कृत भी किया गया है। वर्ष 2020  के स्वच्छ सर्वेक्षण में स्थान पर अपना नाम दर्ज कराने वाले शहरो के शासको और प्रशासको के साथ वहां नागरिक भी प्रशंसा के पात्र हैं। 
देखो मेरे आत्मीय मित्रों किसी भी देश या शहर में स्वच्छता अभियान को  सफलता तभी मिलती है जब सभी मिलकर अपने शहर को साफ सुथरा बनाने में योगदान देते हैं। इसका आपके सामने उदाहरण इंदौर शहर है, जिसने 2017 में देश के सबसे साफ सुथरा शहर का दर्जा हासिल किया था, तभी  से दोस्त यह शहर लगातार शीर्ष पर बना हुआ है।
मेरा कहने का मतलब है कि अगर सफाई की बेहतर कार्य योजना पर अमल करने की इच्छाशक्ति का परिचय दिया जाए और इसके साथ ही में लोगों को अपने साथ जोड़ा जाए तो उदाहरण पेश किया जा सकता है।
एक बात याद रखना दोस्तों की हम सभी देशवासियों को यह परिचय केवल इसीलिए नहीं दिया जाना चाहिए कि स्वच्छता सेहत के साथ पर्यावरण की रक्षा करती है, बल्कि इसलिए भी कि इससे हमारे देश की छवि भी निखरती है।
लगातार 04 वर्षों से स्वच्छता सर्वेक्षण में इंदौर शहर को सबसे देश का स्वच्छता का खिताब हासिल करने के पीछे वहां के आम जनता के साथ-साथ ही सरकार का भी सराहनीय पहल रहा है। इंदौर शहर की स्वच्छता के मामले में शुरुआत की बात करें तो यहां पहले डस्टबिन के हटाए जाने और हर एक घर से कचरा इकट्ठा कर उसके निस्तारण से हुई। देखें तो 2016 में इस शहर में पूरे 85 वार्ड में  से  हर एक घर में से  कचरा उठाया जाने लगा था।
दोस्तो देश के सभी शहर और गांव स्वच्छ हो सकते हैं अगर हम कचरा इकट्ठा करते समय ही इसे गीला कचरा और सूखा  कचरे के रूप में अलग अलग रखें। आपको बता दें कि इंदौर में आमतौर पर सड़के साफ और चमकती हुई दिखाई देती है इसका सबसे बड़ा वजह सफाई के काम में लगी मशीनें हैं जो हर रात करीब 800 किलोमीटर सड़क , डिवाइडर और फुटपाथ की सफाई करती है, जिसके लिए लगभग 400 लीटर पानी लगता है लेकिन इस पानी का भी यहां रिसाइकल किया जाता हैं।
दोस्तों सड़कों की धुलाई के बाद सांस के साथ जाने वाले धुल के कणों की मात्रा 76 माइक्रोग्राम तक कम हो गई जो कि वर्ष 2014 में इस शहर में 142 माइक्रोग्राम थी। देखे तो इससे पर्यावरण का स्तर काफी  सुधरा  है । आखिर क्यों नहीं हम देश के सभी शहरों और गांव को इसी प्रकार से स्वच्छ और साफ रखें ?
हमे इसके साथ ही थैला बैंक और बर्तन  बैंक की शुरुआत करने चाहिए देश के सभी शहरों में जैसा कि इंदौर में शुरू किया गया है इससे आम लोग कागज और जूट के बने थैले और किसी बड़े आयोजन के लिए स्टील के बर्तन ले सकते हैं, इस तरह से दोस्तों कचरे की मात्रा में कमी आएगी जैसा कि लगातार इंदौर में कमी आ रही है। हमें देशव्यापी पॉलिथीन पर पाबंदी लगानी होगी और लोगों को अपना थैला लेकर चलने के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत है। आपको बता दें कि हम सारे युवा मिलकर दिल्ली विश्वविद्यालय में भी प्लास्टिक मुक्त कैंपस का अभियान चला रहे हैं जिसमें सारे युवा छात्र - छात्रा बढ़-चढ़कर भाग ले रहे हैं।
दोस्तों जो सब्जी मंडी में कचरा बच जाता है इसे हम लोग बायो सीएनजी गैस बना सकते हैं, इसी सीएनजी  गैस से दोस्तों उस शहर के बसे चलेगी जिससे पर्यावरण में काफी सुधार होगा। अब हमें चेतना ही होगा  अपने शहर और गांव को दोस्त तभी हम लोग पर्यावरण के साथ तालमेल बैठाकर चल पाएंगे।।
हर शहर और गांव में अब हमें ऐसी ठोस नीति  बनानी होगी कि आज का कचरा आज ही खत्म किया जाए और उसको रिसाइकल कर के देश को स्वच्छ और स्वस्थ बनाया जाए।

कवि विक्रम क्रांतिकारी ( विक्रम चौरसिया - चिंतक /पत्रकार /आईएएस मेंटर / दिल्ली विश्वविद्यालय - अध्येता
लेखक सामाजिक आंदोलनों से जुड़े रहे हैं व वंचित तबकों के लिए आवाज उठाते रहते हैं -स्वरचित मौलिक व अप्रकाशित लेख ।

समस्तीपुर कार्यालय रिपोर्ट राजेेेश कुमार वर्मा द्वारा प्रकाशित । Published by jankranti

Comments

Popular posts from this blog

महज सोलह दिनों में छह रेल सिग्नल-कर्मचारी कार्य करते हुए हो गए रन-ओवर

पुलवामा अटैक में शहीद हुए जवानों को ब्लड फ़ोर्स टीम के सदस्यों द्वारा दी गई भावभीनी श्रद्धांजलि

दो दिवसीय इंटरनेशनल सेमिनार का आयोजन विद्या शोध संस्थान संस्कृति विभाग द्वारा किया गया आयोजित