"खाद्यान्न से भरा गोदाम और भुखमरी का दाग " बोलो जय सिया राम !!!

"खाद्यान्न से भरा गोदाम और भुखमरी का दाग " बोलो जय सिया राम !!! 

                                                                                   कवि विक्रम क्रांतिकारी 

"खाद्यान्न से भरा गोदाम और भुखमरी का दाग " बोलो जय सिया राम !!

जिस देश का एक पावं तरक्की के चांद पर पहुंचने को आतुर है, वही दूसरा पांव  गरीबी के दलदल में गहरे फंसा हो तो इसके लिए गरीबी विषय पर ही शोध  के लिए दिया जाने वाला नोबेल पुरस्कार विशेष मायने रखता है। 

कोविड़ 19 से उपजी वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के लगभग आधी आबादी गरीबी काल  में पहुंच जाएगी 

पिछले वर्ष में ही हमारे देश में खाद्यान्न भंडारण फटने की हद तक भरे पड़े हुए थे। ऐसे में भी हमने देखा कि 2019 के लिए जारी किए गए वैश्विक भुखमरी सूचकांक सूची में हमारा भारत 117 देशों में 102 में स्थान पर था जो कि हैरानी वाली बात है। 

जनक्रान्ति कार्यालय रिपोर्ट

"दोस्तों मेरे बात को याद रखना गरीबी से मुक्ति पाना भी गुलामी से मुक्ति पाने जितना महत्वपूर्ण ही है " : कवि विक्रम क्रांतिकारी ( विक्रम चौरसिया - चिंतक / पत्रकार / आईएएस मेंटर / दिल्ली विश्वविद्यालय अध्येता 

नई दिल्ली, भारत ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 05 अगस्त, 2020 ) । जिस देश का एक पावं तरक्की के चांद पर पहुंचने को आतुर है ।  वही दूसरा पांव  गरीबी के दलदल में गहरे फंसा हो तो इसके लिए गरीबी विषय पर ही शोध  के लिए दिया जाने वाला नोबेल पुरस्कार विशेष मायने रखता है। दोस्तों आज कोविड़ 19 से उपजी वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के लगभग आधी आबादी गरीबी काल  में पहुंच जाएगी । पिछले वर्ष में ही भारतीय मूल के अभिजीत बनर्जी फ्रांस मूल की इनकी शोध छात्रा रहीं पत्नी एस्टर डफ्लो और अमेरिकी अर्थशास्त्री माइकल क्रेमर इन तीनों लोगों को एक साथ गरीबी पर शोध करने के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था । "दोस्तों मेरे बात को याद रखना गरीबी से मुक्ति पाना भी गुलामी से मुक्ति पाने जितना महत्वपूर्ण ही है " ।


दोस्तों कई बार वस्तु के अधिक होने के बावजूद भी जरूरतमंदों तक वह वस्तु पहुंच नहीं पाती है। देखो ना पिछले वर्ष में ही हमारे देश में खाद्यान्न भंडारण फटने की हद तक भरे पड़े हुए थे। ऐसे में भी हमने देखा कि 2019 के लिए जारी किए गए वैश्विक भुखमरी सूचकांक सूची में हमारा भारत 117 देशों में 102 में स्थान पर था जो कि हैरानी वाली बात है। क्योंकि दोस्तों इस रैंकिग के मुताबिक यह पायदान भूखमरी के गंभीर श्रेणियों में आता है । हम सब देख रहे हैं कि इस वर्ष तो वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण जितने भी गरीब वंचित, किसान और मध्यम वर्ग है वह तो और ज्यादा गरीबी के दल-दल में फंसता जा रहा है ।

हम सभी ने देखा कि इस महामारी से निजात पाने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन किया गया जिसमें सबसे अधिक हमारे प्रवासी मजदूर, गरीब किसान और मध्यमवर्ग ही परेशान हो रहा है। बड़े लोगों को तो मैंने देखा कि वह इस इंतजार में थे कि कब लॉकडाउन खत्म हो और हम जाएं बड़े-बड़े मॉलों और क्लबों में जाकर पार्टियां और मस्तियां करें। वहीं दूसरी तरफ हमारे गरीब मजदूर और किसान दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष करते हुए दिख रहे हैं ।

आखिर हमारे देश में इतना भेदभाव क्यों है? हम देखते हैं कि कुछ लोग ओवरन्यूट्रिशन से परेशान हैं तो वही कुछ लोग कुपोषण का शिकार है । आज देश के  पूरी संपत्ति पर देखा जाए तो लगभग 10 फ़ीसदी समृद्ध लोगो का  90 फिसदी  संपति पर कब्जा है वहीं दूसरी तरफ़ देश में 90 फीसद वंचित गरीब लोग  10 फ़ीसदी संपति पर किसी तरह से गुजर बसर कर रहे हैं। जबकि हमारे संविधान के अनुच्छेद 14 में सभी के बराबरी की बात कही गई । फिर आख़िर इतना भेदभाव क्यों है ..?


हम देख रहे हैं कि आज बहुत से लोगों को दो वक्त की रोटी नहीं है वहीं दूसरी तरफ हमारे देश के बड़े-बड़े दानबीर करोड़ों रुपया प्रतेक महीने मंदिर बनाने के लिए देने का दंभ भर रहे हैं । दोस्तों मैं मंदिर बनाने के विरोधी नहीं हूं। मैं खुद प्रतिदिन सुबह में नहा धोकर भगवन हनुमान जी और श्री राम जी का पूजा करके ही घर से बाहर निकलता हूं।

लेकिन मेरे दिमाग में यह बात चल रहा है की जब आज वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से इतने  अधिक लोग मर रहे हैं और बहुत से  लोगों का काम धंधा चौपट हो गया है। ऐसे में पहले हम क्यों नहीं अपने स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करें और इसके साथ ही  वंचित तबका को मजबूत किया जाए? क्योंकि हमारे प्रभु श्री राम जी हमारे दिलों में बसते हैं और हम प्रभु श्री राम जी का मंदिर कुछ महीनों के बाद बनाते जब कोरोना वायरस का कहर कम हो जाता ।

फिलहाल मुझे लगता है कि हमारे नीति निर्माताओं को पहले इस वैश्विक महामारी को खत्म करने पर अपना पूरा ध्यान लगाना चाहिए। इसके साथ ही जो भी वंचित तबका हो चाहें हमारे प्रवासी मजदूर हो या कोई भी गरीब किसान या बेरोजगार व्यक्ति हो उस पर काम करने का वर्तमान में बहुत जरूरी  है।।


दोस्तों बढ़ती गरीबी और विषमता के कारण ही देश में अपराधीकरण में अभूतपूर्व वृद्धि लगातार होती जा रही है। पिछले दिनों ही हम लोगों ने कानपुर के कुख्यात अपराधी विकास दुबे का कांड देखा। अगर हम राष्ट्रीय अपराध सूचकांक  की रिपोर्ट में जारी आंकड़ों के अनुसार देखें तो 2007 से 2017 के बीच 66 फ़ीसदी से भी अधिक अपराध बढ़े हैं। आज दोस्तों अपने ही देश में 6 से 8 माह के शिशुओं में लगभग 90 फ़ीसदी कुपोषण के शिकार हैं। जहां अत्यंत भूख गरीबों पर मार करती है वहीं पर मौन त्रासदी की भेंट सबसे कीमती मानव श्रोत यानी हमारे नौनिहाल चढ़ते है और यह तमाम  वाकया  बेआवाज होकर गुजर जाता है। आंकड़ों के मुताबिक प्रत्येक 1 सेकंड में कोई ना कोई एक बच्चा अबिकसित या कुपोषित बन जाता है ।। दोस्तों हमारे देश में अन्नदाता के मेहनत से अनाज का एक बड़ा भंडार होने के बावजूद भी अंतरराष्ट्रीय भुखमरी सूचकांक में हमारा भारत अपने पड़ोसी मुल्कों से भी पिछे है । क्या यह आंकड़ा भूख और कुपोषण से लड़ने के तमाम सरकारी दावों को अंगूठा नहीं दिखा रही है...? आपके जवाब का प्रतीक्षा रहेगा। जय श्री राम ।। जय श्रीराम।। जय श्रीराम ।।।।


कवि विक्रम क्रांतिकारी ( विक्रम चौरसिया - चिंतक / पत्रकार / आईएएस मेंटर / दिल्ली विश्वविद्यालय अध्येता लेखक सामाजिक आंदोलनों से जुड़े रहे है व वंचित तबकों के लिए आवाज उठाते रहते है - स्वरचित ,मौलिक अप्रकाशित लेख ।

समस्तीपुर कार्यालय रिपोर्ट राजेश कुमार वर्मा द्वारा प्रकाशित । Published by jankranti...

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