"कोरोना काल में और बढ़ता भूजल संकट " : कवि विक्रम क्रांतिकारी

 "कोरोना काल में और बढ़ता भूजल संकट " : कवि विक्रम क्रांतिकारी

आज पूरी दुनिया कोविड-19 से उपजी वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के आतंक से जहां परेशान है वही पानी से भी परेशान होने वाली है। 

हम अगर भारत की बात करें तो क्या इस पर हैरत नहीं होना चाहिए कि बारिश के महीनों में जो क्षेत्र बाढ़ से जूझते हैं , वे ही इलाके बाकी के महीेनों में पानी की किल्लत में रहने लगते हैं।

जनक्रान्ति कार्यालय रिपोर्ट 

हाल ही के वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टिट्यूट के ' वॉटर रिस्क एटलस ' के मुताबिक 184 में से 17 देशों में आज ऐसा  हालात है कि जो जल संकट की अति गंभीर श्रेणी में आ चुके हैं। यह देश वह है जहां कहा जा रहा है कि अब जीरो डे दूर नहीं है।
डे ज़ीरो मतलब की वह दिन जब सभी नल सूख जाएंगे। इन देशों में देखें तो कतर ,इजराइल ,लिबिया ,जॉर्डन, ईरान, कुवैत, ओमान जैसे देश शामिल है : कवि विक्रम क्रांतिकारी (विक्रम चौरसिया - चिंतक /पत्रकार / आईएएस मेंटर/ दिल्ली विश्वविद्यालय अध्येता 

नई दिल्ली, भारत ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 24 अगस्त, 2020 ) । हम अगर भारत की बात करें तो क्या इस पर हैरत नहीं होना चाहिए कि बारिश के महीनों में जो क्षेत्र बाढ़ से जूझते हैं , वे ही इलाके बाकी के महीेनों में पानी की किल्लत में रहने लगते हैं।
दोस्तों आज घटते  भूजल की चिंता पूरे विश्व में बढ़ती जा रही है। पिछले वर्ष में ही दुनिया के 94 देशों के 1000 से ज्यादा वैज्ञानिकों  व जल विशेषज्ञों और संबंधित जानकारों ने इस ओर ध्यान दिलाते हुए दुनिया भर की सरकारों और गैर सरकारी संगठनों के नाम एक बयान जारी किया था।
दोस्तों अभी हाल फिलहाल में यह मसला आपको उतना बड़ा हो सकता है नहीं दिख रहा हो लेकिन साल दर साल जिस तरह भू जल संकट बड़ा बनता जा रहा है ,इसके मद्देनजर फौरन ही चेत जाना चाहिए ।


आज पूरी दुनिया कोविड-19 से उपजी वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के आतंक से जहां परेशान है वही पानी से भी परेशान होने वाली है। आप ही देखो ना पहले से ज्यादा हम लोग बार-बार हाथ धो रहे हैं, विशेषज्ञ भी यही सलाह दे रहे हैं कि कहीं बाहर से आने पर तुरन्त  पूरे कपड़े को साफ करना और नहाने का सलाह दिया जा रहा है। अब आप समझ सकते हैं कि पूरी दुनिया में पहले से ज्यादा कहीं ना कहीं हम लोग पानी का उपयोग तो कर ही रहे। इसलिए दोस्तों मैं यहां  यह कह रहा हूं कि आने वाला वक्त में पानी को लेकर पूरी दुनिया में हालात बदतर हो सकती है ।
आंकड़े देखे तो पिछली सदी के 80 के दशक से आज तक दुनिया में पानी की खपत हर साल कम से कम एक फीसदी के रफ्तार से लगातार बढ़ती जा रही है ।इस हिसाब से यह अंदाजा भी लगा सकते हैं कि कितनी भी  किफायत हम बरत ले आज की तुलना में 2050 तक दुनिया को कम से कम 30 प्रतिशत अतिरिक्त पानी की जरूरत पड़ेगी ही पड़ेगी ।।
इस आंकड़े के मुताबिक चेतावनी देकर कह रहा हूं कि इसे दूर  की बात ना माने बल्कि निकट भविष्य में भी खतरे की घंटी बजने को है। वैसे भी ऐसा बिल्कुल नहीं है कि जल संकट कोई नई चिंता है, ध्यान से देखें तो पिछले तीन दशक से चेताया जा रहा है।
दोस्तों आज बढ़ती आबादी जलवायु परिवर्तन और अति दोहन से घटते भूजल के कारण प्रति व्यक्ति जल मौजूद पिछले दशकों के मुकाबले तेजी से घट रही है ।
दोस्तों आज पानी की किल्लत से सिर्फ हम नहीं, बल्कि ध्यान से देखें तो दुनिया के कई इलाके पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र की 'वर्ल्ड वाटर डेवलपमेंट' रिपोर्ट के मुताबिक करीब 400 करोड़ लोग यानी दुनिया की दो तिहाई आबादी ऐसे क्षेत्रों में रह रही है, जहां दोस्तों साल के कई महीनों में पानी की भारी किल्लत रहती है और इनमें से 200 करोड़ लोग ऐसे हैं जो पूरे साल ही पूर्ण रूप से पानी का संकट झेल रहे हैं।
इन क्षेत्रों को दोस्तों वॉटर स्ट्रेस्ड के नाम से हम सब जानते हैं, गंभीर बात यहां यह है कि पानी की बेहद कमी वाले इन क्षेत्रों में  वे क्षेत्र भी शामिल है जहां बारिश से देखा जाए तो पर्याप्त जल मिलता है। दोस्तों पर्याप्त वर्षा के बावजूद जल संकट का मुख्य कारण वहां बारिश के पानी का सीमित भंडारण नहीं होना है। गौर करे तो बारिश से मिलने वाले पानी को पूरा पूरा रोककर रखने में ज्यादातर छोटे और विकासशील देश आज भी असमर्थ नजर आते हैं। दरअसल वर्षा जल भंडारण एक खर्चीला काम है, जिन गरीब और विकासशील देशों को अपने विकास में पानी का महत्व समझ में आ रहा है ,वें इस ओर ध्यान तो देना चाहते हैं , लेकिन उनकी माली हालत आड़े आ जाती है। लेकिन यहां मेरा सवाल यह है कि जीवन के लिए सबसे जरूरी चीज पानी के इंतजाम के लिए क्या आर्थिक संसाधन का तर्क दिया जा सकता है?
 हम यहां आज भूजल संकट की बात कर रहे हैं , इसका पुख्ता करने के लिए हम संयुक्त राष्ट्र की  अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट पर नजर डाले तो इसके मुताबिक इस समय दुनिया में दो अरब लोग पीने के पानी के लिए भूजल पर ही आश्रित हैं। यही नहीं दोस्तों खेती के लिए भी  40 फीसद पानी जमीन से लिया जा रहा है। यहां तक कि कई नदी तालाबों का स्रोत भी भूजल ही है । हाल ही के वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टिट्यूट के ' वॉटर रिस्क एटलस ' के मुताबिक 184 में से 17 देशों में आज ऐसा  हालात है कि जो जल संकट की अति गंभीर श्रेणी में आ चुके हैं। यह देश वह है जहां कहा जा रहा है कि अब जीरो डे दूर नहीं है।
डे ज़ीरो मतलब की वह दिन जब सभी नल सूख जाएंगे। इन देशों में देखें तो कतर ,इजराइल ,लिबिया ,जॉर्डन, ईरान, कुवैत, ओमान जैसे देश शामिल है।
आज जिस प्रकार की तस्वीर हमें देखने को मिल रहा है हम कह सकते हैं कि भारत भी इन्हीं में से एक है।।
कवि विक्रम क्रांतिकारी (विक्रम चौरसिया - चिंतक /पत्रकार / आईएएस मेंटर/ दिल्ली विश्वविद्यालय अध्येता 
लेखक सामाजिक आंदोलनों से जुड़े रहे हैं व वंचित तबकों  के लिए आवाज उठाते रहते हैं - स्वरचित मौलिक व अप्रकाशित लेख।।

समस्तीपुर कार्यालय रिपोर्ट राजेश कुमार वर्मा द्वारा प्रकाशित । Published by Jankranti...

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