राशन कार्ड वितरण के नाम पर की जा रही है अवैध पैसों की उगाही

 राशन कार्ड वितरण के नाम पर की जा रही है अवैध पैसों की उगाही 

जनक्रांति कार्यालय रिपोर्ट 

पटना, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 09 अगस्त,2020 ) ।  बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने राज्य में चल रहे लाॉकडाउन की वजह से हो रही परेशानियों को कम करने के लिए कई प्रकार के सहायता पैकेज की घोषणा की है। बिहार सरकार ने राज्य के 94.85 लाख राशन कार्ड धारको के बैंक खातों में 948.50 करोड़ रुपये स्थानांतरण किए गये है। राशन कार्ड धारको को 1000 रुपये की आर्थिक सहायता अपनी दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति कर सके इस उम्मीद पर सरकार भुगतान कर रही थी। बिहार सरकार सभी राशन कार्ड धारक चाहे एपीएल हो या बीपीएल दोनो कार्ड धारकों को 1000 रुपये भत्ता स्वरूप दे कर आर्थिक मदद करने का भरसक प्रयास किया है।

 बताते चले कि माननीय मुख्यमंत्री के आदेशानुसार राशन कार्ड का वितरण हर हाल में 30 जुन तक हो जाना था जिसकी जिम्मेदारी उन्होंने पदाधिकारियों को दी थी ।इसके लिए कमिटी भी गठित कि थी पर अब तक ये सारी बात बैमानी साबित हो रही है। समस्तीपुर नगर परिषद क्षेत्र कि बात करे तो इन दिनों राशन कार्ड वितरण के नाम पर बहुत बड़ी धांंधली कि बात सामने आ रही है, कुछ लोगों का दबी जुबान से कहना है कि वार्ड पार्षद द्वारा अप्रैल के महिने में नया राशन कार्ड बनवाने हेतु फार्म भरवाया गया था। अब जब राशन कार्ड बन कर तैयार हो गया है, तो राशन कार्ड मांगने जाने पर वार्ड पार्षद रोज- रोज टाल मटोल भरा जवाब देकर लभागतुको को अपने घर का चक्कर लगवाते है।

वार्ड पार्षद का साफ - साफ कहना है कि राशन कार्ड वितरण करने का कार्य नगर परिषद द्वारा विकास मित्र एवं जीविका दीदी को दिया गया है ।  उनसे संपर्क करे जब लोगों ये जवाब पाकर नगर परिषद कार्यालय पहुँचते है तो वहां बाकायदा कार्यपालक पदाधिकारी के आदेशानुसार सुचना चिपकाया गया है कि राशन कार्ड संबंधित सवाल कर कर्मियों को बेवजह परेशान न करें। राशन कार्ड आने पर संबंधित वार्ड पार्षद द्वारा वितरण किया जाएगा। पुनः जब लोग निराशा हाथ लेकर वार्ड पार्षद का दरवाजा खट-खटाते है तो वार्ड पार्षद के रिस्तेदार एंव निजी चमचों द्वारा 500-1000 रुपये तक कि मांग कि जाती है।

एक हाथ पैसा दो एक हाथ राशन कार्ड लो , सब को मैनेज करना पड़ता है बड़ा बाबू से लेकर अधिकारी तक का कमिशन बंधा हुआ है। एक पार्षद ने अखबार में नाम नही छापने की शर्त पर कुछ पार्षद का नाम लेते हुए यहां तक कह दिया कि ये सब पैसे की उगाही के लिए हो रहा है। जनता सब खेल देख रही है। पार्षदों को वार्ड के विकास करने के लिए जनता ने वोट दिया था जिसका ये हश्र है। वही एक मजदूर ने रुह कंपकंपा देने वाला बात बताया भैया खाने को पैसा नही है !

शिकायत कौन करे इन हुक्मरान के खिलाफ अपना पेट काट कर बच्चों को भुखा रख कर तथा कर्ज लेकर पैसा भुगतान कर अपना राशन कार्ड लिया। इस कोरोना काल में कुछेक वार्ड पार्षदों द्वारा की जा रही पैसे की उगाही एवं उनकी ज़मीर बेच खाने वाली हरकत मानवता को शर्मसार करने वाली हैं। एक प्रसिद्ध कवि न कहा है- मिली थी जिन्दगी, किसी के काम आने के लिए ! पर वक्त बीत रहा है , कागज के टुकड़े कमाने के लिए..... क्या करोगे इतना पैसा कमा कर ? ना कफन में जेब है, न कब्र में अलमारी.....।

समस्तीपुर कार्यालय से संवाद सूत्र राहुल कुमार की रिपोर्ट प्रकाशित । Published by Jankranti....

Comments

Popular posts from this blog

महज सोलह दिनों में छह रेल सिग्नल-कर्मचारी कार्य करते हुए हो गए रन-ओवर

पुलवामा अटैक में शहीद हुए जवानों को ब्लड फ़ोर्स टीम के सदस्यों द्वारा दी गई भावभीनी श्रद्धांजलि

दो दिवसीय इंटरनेशनल सेमिनार का आयोजन विद्या शोध संस्थान संस्कृति विभाग द्वारा किया गया आयोजित