"कोरोना काल में कैसे माना रहे है विश्व आदिवासी दिवस" : कवि विक्रम क्रांतिकारी

"कोरोना काल में कैसे माना रहे है विश्व आदिवासी   दिवस" : कवि विक्रम क्रांतिकारी 

पूरी दुनिया में 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। इसके लिए आदिवासी समाज में बहुत पहले से ही अपनी तैयारियां शुरू कर देते हैं, 

भारत में रहने वाला हर व्यक्ति आदिवासी है दोस्तों , लेकिन विकासक्रम में भारतीय वनों में रहने वाले आदिवासियों ने अपनी शुद्धता बनाए रखें और वे जंगलों के वातावरण में खुले में ही रहते आए  हैं ,तो उनकी शारीरिक संवरचना , रंग रूप, परंपरा और रीति-रिवाज में कोई खास बदलाव नहीं हुआ है : कवि विक्रम क्रांतिकारी (विक्रम चौरसिया - चिंतक /पत्रकार/ आईएएस मेंटर /दिल्ली विश्विद्यालय - अध्येता 

अपने भारत में लगभग 461 जनजातियां है। देखा जाए तो इन सभी आदिवासियों का धर्म हिंदू ही है, लेकिन धर्मांतरण के चलते अब यह ईसाई ,मुस्लिम और बौद्ध हो गए।

पूरी दुनिया में 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। इसके लिए आदिवासी समाज में बहुत पहले से ही अपनी तैयारियां शुरू कर देते हैं, 

✍️ Jankranti office Report

हालांकि इस वर्ष वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के चलते बड़े सामाजिक आयोजन नहीं हो पाएगा। आपको मेरी बातों से हैरानी हो सकती है कि भारत सरकार के 2011 में हुई जनगणना के मुताबिक राजस्थान में आदिवासी वर्ग के लोगों की संख्या कुल आबादी का 12.6 फ़ीसदी है।

New Delhi,India ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 08 अगस्त, 2020 ) । भारत में रहने वाला हर व्यक्ति आदिवासी है दोस्तों , लेकिन विकासक्रम में भारतीय वनों में रहने वाले आदिवासियों ने अपनी शुद्धता बनाए रखें और वे जंगलों के वातावरण में खुले में ही रहते आए  हैं ,तो उनकी शारीरिक संवरचना , रंग रूप, परंपरा और रीति-रिवाज में कोई खास बदलाव नहीं हुआ है। हालांकि आदिवासी अब गांव ,कस्बों और शहरों के घरों में रहने लगे हैं उनमें धीरे-धीरे बदलाव जरूर आया है। अपने भारत में लगभग 461 जनजातियां है। देखा जाए तो इन सभी आदिवासियों का धर्म हिंदू ही है, लेकिन धर्मांतरण के चलते अब यह ईसाई ,मुस्लिम और बौद्ध हो गए।


पूरी दुनिया में 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। इसके लिए आदिवासी समाज में बहुत पहले से ही अपनी तैयारियां शुरू कर देते हैं, हालांकि इस वर्ष वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के चलते बड़े सामाजिक आयोजन नहीं हो पाएगा। आपको मेरी बातों से हैरानी हो सकती है कि भारत सरकार के 2011 में हुई जनगणना के मुताबिक राजस्थान में आदिवासी वर्ग के लोगों की संख्या कुल आबादी का 12.6 फ़ीसदी है।
दोस्तों संयुक्त राष्ट्र संघ ने 9 अगस्त 1982 को आदिवासियों के हित में एक विशेष बैठक आयोजित किया। इस बैठक के दिन से ही पूरे दुनिया में विश्व आदिवासी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा है।

हमारे भारतीय संविधान में आदिवासियों के लिए अनुसूचित जनजाति पद का प्रयोग किया गया है। देश के प्रमुख आदिवासी समुदायों में बोडो , भिल ,खासी, मीणा, जाट,उरांव ,गोंड,मुंडा, आदि शामिल हैं।
आपको बता दें कि आदिवासी लोग किसी मूर्ति के बजाय जीव जंतुओ, नदियों ,खेत और पर्वत आदि प्राकृतिक चीजों की पूजा करते हैं। दोस्तों आदिवासी लोगों को वनवासी से जोड़कर भी हम देखते हैं देखे तो  इसका एक अर्थ यह भी है कि वन में रहने वाला वनवासी।

जो भी हो देखे  तो 400 पीढियो पूर्व वन  में तो सभी भारतीय रहते थे लेकिन विकास के कारण पहले ग्राम बने फिर कस्बे और अंत में नगर।।
कवि विक्रम क्रांतिकारी (विक्रम चौरसिया - चिंतक /पत्रकार/ आईएएस मेंटर /दिल्ली विश्विद्यालय - अध्येता।
लेखक सामाजिक आंदोलनों से जुड़े रहे व वंचित तबकों के लिए आवाज उठाते रहते हैं- स्वरचित, मौलिक व अप्रकाशित लेख ।।

समस्तीपुर कार्यालय रिपोर्ट राजेश कुमार वर्मा द्वारा प्रकाशित । Published by Jankranti...

Comments

Popular posts from this blog

महज सोलह दिनों में छह रेल सिग्नल-कर्मचारी कार्य करते हुए हो गए रन-ओवर

पुलवामा अटैक में शहीद हुए जवानों को ब्लड फ़ोर्स टीम के सदस्यों द्वारा दी गई भावभीनी श्रद्धांजलि

दो दिवसीय इंटरनेशनल सेमिनार का आयोजन विद्या शोध संस्थान संस्कृति विभाग द्वारा किया गया आयोजित