" कोरोना काल में बिहार का हाल बेहाल" :सुरेंद्र कुमार

" कोरोना काल में बिहार का हाल बेहाल" :सुरेंद्र कुमार

                                                                                  सुरेन्द्र कुमार 
                                                    सामाजिक कार्यकर्ता 
                                              अख्तियारपुर, समस्तीपुर, बिहार

जनक्रान्ति कार्यालय 

समस्तीपुर, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 05 अगस्त, 2020 ) । 19 जुलाई, 2020 को केंद्र सरकार नें बिहार की स्थिति का जायजा लेने  स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव मान्यवर लव अग्रवाल; राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र के निदेशक सुजीत सिंह और एम्स के मेडिसिन विभाग के डॉ नीरज निश्चल की टीम को बिहार भेजा था।

खबर है कि यह टीम बिहार की स्वास्थ्य की अवस्था देखकर भौंचक्का रह गया।

उन्होंने पटना सहित कई मेडिकल कॉलेज का दौरा किया और पाया कि

- मरीज बेड पर और गलियारों में बिना किसी अटेंडेंट का पड़ा हुआ है।

- उनके साथ आए परिजन बिना रोकटोक अंदर बाहर घूम रहे हैं।

- पूरा तंत्र बिखर गया है। डॉक्टर इस डर से मरीज के पास नहीं जा रहे कि यदि वो संक्रमित होते हैं तो उनके इलाज की व्यवस्था भी नहीं है।

- मरीजों का अटेंडेंट भी इस डर से पास नहीं जा रहा और सारा काम मरीज के साथ आए परिजन कर रहे हैं।

- ये अवस्था राज्य की राजधानी के अस्पतालों का  है तो जिले के अस्पतालों का क्या हश्र हो रहा होगा। टीम का कहना था कि बिहार का पूरा तंत्र ढह गया है। यदि कोई कोविड -19 संक्रमित होता है तो यहाँ कोई देखने वाला नहीं है।

- बिहार ने कोई रैपिड एंटीजन किट नहीं खरीदा है, जो केंद्र से 10 हजार किट दिए गए, वही उपयोग किया जा रहा है। जबकि जरूरत 4 लाख की है। बिहार नें 70 दिन के लॉकडाउन का कोई फायदा नहीं उठाया।

- बिहार की 12 करोड़ से अधिक की आबादी के लिए पूरे राज्य में केवल 6,434 ऑक्सीजन समर्थित बेड और 570 आईसीयू बेड हीं अभी तक हैं। 

बिहार में सरकारी अस्पतालों में स्थाई डॉक्टरों के कुल 6261 पद और ठेके के 2341 पद हैं। जिनमें से स्थाई 3821 और ठेके पर 531 पद हीं भरें गये हैं। इस तरह से स्थाई 2440 और ठेके के 783 डॉक्टरों का पद खाली है। यानी कुल 8602 में केवल 4352 पद खाली हैं यानी 50% से ज्यादा। जबकि भर्ती की फाइल वर्षों से इधर उधर केवल भटक रही है।बिहार में स्थाई और ठेके पर रखे जाने वाले नर्सों के कुल मिलाकर 5331 पद हैं जिसमें मात्र 2302 नर्स बहाल हैं और बाकी के 3029 पद खाली हैं।

2019 में चमकी बुखार के वक़्त भी बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से बेनकाब हो गयी थी। मुजफ्फरपुर में 170 से अधिक बच्चों की मौत हो गई थी। इसके बाद भी स्वास्थ्य सुविधा को लेकर कोई पहल नहीं की गई। ना हीं डॉक्टरों नर्सों की खाली जगह को भरा गया।

बिहार के पास कोरोना से लड़ने का हथियार हीं नहीं है। न तो केंद्र ध्यान दे रही है और न हीं राज्य को मतलब है। मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री मुंह छुपाए घरों में दुबके हैं। न तो केंद्र नें बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिया और न हीं मोदी द्वारा बोली लगाकर वादा किया 1.25 लाख करोड़ का पैकेज। अभी भी केंद्र की तरफ से कोई विशेष सहायता बिहार को नहीं दिया जा रहा है।

और इतना ही नहीं डबल इंजन की सुशासन की सरकार केंद्र पर सुविधाएं देने का दवाब बना रही है। जबकि खुद वहाँ गठबंधन की सरकार है। इस हालत में भी केंद्र नें जीएसटी का बकाया राशि राज्यों को देने में असमर्थता जता चुकी है। 

केंद्र दिवालिया हो चुका। राज्य पहले से गरीब और बेहाल है हीं। पूरा तंत्र राम भरोसे है और जनता खुद के भरोसे।

समस्तीपुर कार्यालय रिपोर्ट राजेश कुमार वर्मा द्वारा प्रकाशित । Published by Jankranti..." 

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