निजी व सरकारी अस्पतालों से निकलने वाली मेडिकल वेस्ट के निस्तारण सही ढ़ंग से नहीं किए जाने के कारण मुहल्लेवासियों ने जताई महामारी फैलने की आशंका

 निजी व सरकारी अस्पतालों से निकलने वाली मेडिकल वेस्ट के निस्तारण सही ढ़ंग से नहीं किए जाने के कारण मुहल्लेवासियों ने जताई महामारी फैलने की आशंका


वैश्विक महामारी कोविद-19 को लेकर शहर के निजी अस्पताल के डॉक्टर क्लिनिक में आनेवाले मरीजों को बिना मास्क के नहीं देखते हैं और करते है इलाज ऑनलाइन 



अस्पताल खुद की लोगों के स्वास्थ्य का बना हुआ है दुश्मन, चाहे वह सरकारी अस्पताल हो या निजी अस्पताल,


जनक्रान्ति कार्यालय रिपोर्ट

समस्तीपुर, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 10 अक्टूबर, 2020 ) । वैश्विक महामारी कोविद-19 को लेकर शहर के निजी अस्पताल के डॉक्टर क्लिनिक में आनेवाले मरीजों को बिना मास्क के नहीं देखते हैं और इलाज ऑनलाइन करते हैं । लेकिन मेडिकल वेस्ट सामग्री यत्र तत्र फेंक दिया जाता है। जिससे अस्पताल खुद की लोगों के स्वास्थ्य का दुश्मन बन गया है।  चाहे वो सरकारी अस्पताल हो या निजी अस्पताल । उससे रोजाना निकलने वाले बायोवेस्ट के निस्तारण के उचित प्रबंध नहीं है अस्पताल परिसर में खुले में बिखरा हुआ पटिया,सिरिंज खाली बोतल आदि मेडिकल कचड़े का ढ़ेर पड़ा है। भारत सरकार और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के अनुसार यह कचरा नहीं मौत का सामान है, अस्पताल परिसर में बायोवेस्ट के बिखरे होने के कारण मरीजों का अस्पताल परिसर में रहना भी  मुश्किल हो गया है।

चिकित्साकर्मियों द्वारा इसे खुले में फेंका जाता है, अधिक मात्रा में कचरा जमा होने पर मेडिकल वेस्ट को जलाया जा रहा है। बायोमेडिकल वेस्ट को जलाने से इसका धुआं हवा के रुख के साथ कई बार अस्पताल परिसर में भर जाता है,जहरीले धुएं के साए में भर्ती मरीज और नवजात शिशु भी सुरक्षित नहीं हैं। जहां इस कोरोना महामारी (covid19) से लोगों में बचाव का एक ही उपाय सोशल डिस्टेंसिंग है जिसके लिए सरकार रेडियो टीवी अखबार के माध्यम से बहुत सारे विज्ञापन देते हैं । जिससे लोगों में जागरूकता आये और लोग इस महामारी से बचे रहें ।

लेकिन निजी अस्पतालों में देखा जा रहा है की सोशल डिस्टेंसिंग नाम की कोई चीज ही नहीं है । डॉक्टर साहब वीडियो कॉलिंग के द्वारा मरीजों का इलाज कर रहे हैं उन्हें अपने जान की फिक्र है, लेकिन इलाज कराने आए मरीजों की नहीं, सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाती तो डॉक्टर साहब के अस्पताल में ही देखने को मिलेगी कुछ एक ऐसी तस्वीरें भी सामने निकल कर आई है जिसमें मरीजो के शौचालय की सफाई का कोई खास ध्यान रखा ही नहीं गया है । वहीं दूसरी ओर कचरा बीनने वाले बच्चे भी यहां पर कचरा उठाते हुए देखे जा सकते हैं। बायोवेस्ट सामग्री के कारण कभी भी किसी को हानि पहुंच सकती है।डॉक्टर खुद मानते हैं कि अस्पताल में निकलने वाली पट्टियां खराब खून, सीरिंज, इंजेक्शन तथा अन्य सामग्री लोगों के लिए हानिकारक साबित हो सकती है।

खुले में रखी मेडिकल वेस्ट का समय पर निस्तारण नहीं किए जाने पर इसमें से अजीब सी दुर्गंध आने लगती है तथा इसके संक्रमण से बीमारियां फैलने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में इस बायोवेस्ट को तुरंत प्रभाव से निस्तारण करने की कार्रवाई को अमल में लानी चाहिए।जब कचरा ज्यादा हो जाता है तब अस्पताल परिसर से ही निकले नाले में फेंकते हैं। आज जब हमारे संवाददाता एक स्थानीय निजी क्लिनिक डॉ० विनय कुमार के यहां पहुंचे तो देखा गया कि शौचालय में गंदगी व्याप्त है वहीं चहुंओर बायो मेडिकल वेस्ट कचरा का अंबार लगा हुआ है । जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन प्रकाशन परिवार नागरिकों के स्वास्थ्य की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुऐ जिला प्रशासन से आग्रह करता है की इस मामले में सभी निजी और सरकारी अस्पतालों में कार्रवाई करें और अस्पतालों में मेडिकल वेस्ट की सही व्यवस्था करवाएं ताकी सड़क मार्ग के किनारे मेडिकल वेस्ट कचरा का बिखराव ना हो और इससे फैलने वाली भयंकर महामारी जैसे रोग से लोगों को निजात मिल सकें ।

समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा प्रकाशक द्वारा अभिषेक कुमार सिंह की रिपोर्ट प्रकाशित । जनक्रान्ति प्रधान कार्यालय से प्रसारित ।

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