✍️करवा चौथ विशेष .. #आजकी बात आपके साथ .. 🌹👈 👉🙏🏿🌹सुप्रभात् मित्रों..🌹🙏🏿👈 👉🌹आजका दिन मंगलमय हो...🌹🙏🏿👈

 करवा चौथ विशेष:-            

             👉🙏🏿🌹सुप्रभात् मित्रों..🌹🙏🏿👈

          👉🌹आजका दिन मंगलमय हो...🌹🙏🏿👈

✍️🙏🏿नागेन्द्र कुमार सिन्हा जनक्रान्ति कार्यालय रिपोर्ट

समस्तीपुर, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 04 अक्टूबर, 2020 ) । 

                        सुप्रभात् मित्रों..🌹🙏🏿👈

          👉🌹आजका दिन मंगलमय हो...🌹🙏🏿👈

दिनाँक:- 04नवम्बर 2020

रोज:- बुधवार

                                  ।।ॐ गं गणपतये नमः।।

ॐ मंगलम भगवान विष्णु मंगलम गरुड़ ध्वजमंगलमपुण्डरीकाक्षमंगलायतनोहरी

                ॐयमाय धर्मराजाये श्री चित्रगुप्ताये वै नमो नमः।।.   

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प्रिय साथियो। 

🌹राम-राम🌹 ,

🌻 नमस्ते।🌻

 ।। आज की बात आपके साथ।।

आज की बात आपके साथ मे आप सभी साथीयों का दिनांक 04 नवम्बर 2020 बुधवार प्रातः की बेला में हार्दिक वंदन है अभिनन्दन है।

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आज की बात आपके साथ  अंक मे है 

 A कुछ रोचक समाचार

B आजकेदिनजन्मे जमनालालबजाज

 गांधी का ‘पांचवां बेटा’ जिसने उनका ट्रस्टीशिप का सिद्धांत जीकर दिखाया का जीवन परिचय 

C आज के दिन   की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ

D आज के दिन जन्म लिए महत्त्वपूर्ण    

    व्यक्तित्व

E आज के निधन हुवे महत्वपूर्ण व्यक्तित्व।

F आज का दिवस का नाम ।

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  (A) कुछ रोचक समाचार(संक्षिप्त)

💖(A/1)भारतीय प्रियंका का बजा डंका:भारतीय मुल की बेटी न्यूजीलैंड में बनी मंत्री।💝

💝(A/2)कोंग्रेस के लिए बहुत अहम में विधानसभा उपचुनाव के नतीजे पिछे की वजह जानिए क्यों आवश्यक है चुनाव जीतना?💝

💖(A/3)नवंबर में 5 बार  आमने सामने होंगे  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदीऔर

चीनीराष्ट्रपती शी जिनपिंग,💖

💖(A/4)आज के जन्मदिन 

व्यक्तित्व:- जयकिशनजी का जीवनपरिचय लेख💖

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(A)कुछ रोचक समाचार(विस्तृत)

💖(A/1)भारतीय प्रियंका का बजा डंका:भारतीय मुल की बेटी न्यूजीलैंड में बनी मंत्री।💝

भारतीय प्रतिभा का डंका समूचे विश्व में बज रहा है। सोमवार को भारतीय मूल की प्रियंका राधाकृष्णन (Priyanca Radhakrishnan) को न्यूजीलैंड में जेसिंडा अर्डर्न सरकार में मंत्री बनाया गया। वे सामाजिक विकास, युवा मामलात व स्वयंसेवी विभाग का काम देखेंगी। जेसिंडा ने मंत्रिमंडल में 5 मंत्रियों को शामिल किया है। ऐसा पहली बार है, जब भारतीय मूल के राजनेता को सरकार में शामिल किया गया है।

41 वर्षीय प्रियंका मूल रूप से केरल में एर्नाकुलम के पारावूर की निवासी हैं। प्रियंका ने स्कूल तक सिंगापुर में पढ़ाई की। आगे की पढ़ाई के लिए वह न्यूजीलैंड गईं, जहां उन्होंने सामाजिक कार्यों में हिस्सा लेना भी शुरू किया। उन्होंने लगातार घरेलू हिंसा की पीडि़त महिलाओं और शोषण का शिकार हुए प्रवासी मजूदरों के लिए आवाज उठाई।

💖पतिके साथऑकलैंड में रहती हैं💖

प्रियंका सितम्बर, 2017 में लेबर पार्टी की ओर से पहली बार वह संसद की सदस्य चुनी गई थीं। 2019 में उन्हें जेसिंडा सरकार में जातीय समुदायों के लिए संसदीय निजी सचिव नियुक्त किया गया था। ‘न्यूजीलैंड हेराल्ड’ समाचार पत्र के मुताबिक प्रियंका न्यूजीलैंड में भारतीय मूल की पहली मंत्री हैं। वह अपनेपति के साथ ऑकलैंड में रहती हैं।

     ,💖केरल से अब भी जुड़ाव💖

प्रियंका राधाकृष्णन की मां के दादा कोच्चि में चिकित्सक थे। केरल की संस्कृति से वे अब भी जुड़ी हुई हैं। उन्हें मलयालम गीत बेहद पसंद हैं। येसुदास उनके पसंदीदा गायक हैं। प्रियंका का भारत से खासा लगाव है। न्यूजीलैंड में भी वे भारतीय संगठनों से जुड़ी हैं। वे भारतीय त्योहार धूम-धाम से मनाती हैं। केरल की स्वास्थ्य मंत्री शैलजा टीचर ने भी प्रियंका को मंत्री बनाए जाने पर शुभकामनाएं दी हैं। प्रियंका के मंत्री बनने से भारत के साथ न्यूजीलैंड के संबंधों को नई दिशा मिलने की संभावना है।

💖नई प्रतिभाएं निखारेंगी भविष्य: जेसिंडा💖

प्रधानमंत्री जेसिंडा ने सोमवार को नए मंत्रियों की घोषणा करते हुए कहा, मैं कुछ नई प्रतिभाओं और जमीनी स्तर का अनुभव रखने वाले लोगों को अपने मंत्रिमंडल में शामिल करने को लेकर उत्साहित हूं। कोरोना के बाद उपजे हालात में हमारा ध्यान न्यूजीलैंड की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने पर होगा।

💖कई देशों की सियासत में भारतीयों का बढ़ा दबदबा💖

दुनियाभरमें भारतीय मूल केराजनीतिज्ञों 

कीधूम है। ब्रिटेन, कनाडा,फिजी, आयर

लैंड,गुयाना,मलेशिया आदि देशों में भार

तीय मूल के राजनेता सरकार में उच्च पदोंपर आसीन हैं अथवा पूर्व में रह चुके हैं।

                💝ब्रिटेन-💝

भारतीय मूल के रिषी सुनक ब्रिटेन में कंजरवेटिव पार्टी के सांसद हैं। उन्हें फरवरी 2020 में ब्रिटेन का वित्त मंत्री बनाया गया। प्रीती पटेल व आलोक शर्मा भी मंत्रिमंडल के सदस्य है।

                💝कनाडा 💝-

प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूड्यू ने हाल ही में भारतीय मूल के चार सांसदों अनीता आनन्द, नवदीप बैंस, बर्दिश छग्गर और हरजीत स’जन को अपने मंत्रीमंडल में शामिल किया है।

                 💝फिजी💝 -

दक्षिणी प्रशांत महासागर में स्थित इस देश में भारतीय मूल के महेन्द्र चौधरी 1999 में प्रधानमंत्री बने। उनके पास यह जिम्मेदारी कुछ ही समय के लिए रही। एक वर्ष बाद ही सैन्य विद्राह के कारण उन्हें पद छोडऩा पड़ा। वर्ष 2006 में उन्हें वित्त मंत्री बनाया गया।

              💝आयरलैंड 💝-

भारतीय मूल के पिता की संतान लिओ वाराडकर 2017-2020 तक में आयलैंड में प्रधानमंत्री रहे। इससे पूर्व भीवे वहां विभिन्न मंत्रालयसंभाल रहे थे।

             ,💝मॉरिशस💝 -

भारतीय मूल के प्रविंद कुमार जगन्नाथ 23 जनवरी 2017 को मॉरिशस के प्रधानमंत्री बने। इससे पहले भी वे विभिन्न मंत्रालय तथा नेता विपक्ष की जिम्मेदारी निभा चुके हैं। प्रविंद के पिता अनिरुद्ध जगन्नाथ मॉरीशस के प्रधानमंत्री तथा राष्ट्रपति दोनों पदों की जिम्मेदारी उठा चुके हैं।

               💖पुर्तगाल 💖

भारतीय मूल के पुर्तगाली एन्टोनियो कोस्टा वर्तमान में पुर्तगाल के प्रधानमंत्री हैं। वे मशहूर लेखक ऑरलांडो डा कोस्टा के पुत्र हैं। इनका संबंध गोवा के पुर्तगाली समुदाय से है

🌻💐🌹🌲🌱💖🌸🌲🌹💐💝(A/2)कोंग्रेस के लिए बहुत अहम में विधानसभा उपचुनाव के नतीजे पिछे की वजह जानिए क्यों आवश्यक है चुनाव जीतना?💝

नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव ( Bihar Assembly Polls ) में एनडीए से लेकर महागठबंधन तक हर कोई अपनी जीत के लिए जी जान से जुटा है। एक हफ्ते के अंदर इस बात का फैसला भी हो जाएगा कि बिहार की सत्ता पर कौन काबिज होगा। भले ही ये चुनाव बिहार की विधानसभा पर कब्जा जमाने के लिए हो रहा है, लेकिन इसका सीधा असर कांग्रेस पार्टी पर नजर आ सकता है।

बिहार चुनाव के नतीजे कुछ हद तक कांग्रेस के आगे की दिशा और दशा को भी तय करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। यही वजह है कि कांग्रेस की नजर बिहार चुनाव के नतीजों पर टिकी हुई है। आईए इन तीन अहम कारणों से समझते हैं कि आखिर कांग्रेस के लिए बिहार चुनाव के नतीजे क्यों जरूरी हैं।

    💖1.राहुल गांधी का नेतृत्व💖

बिहार चुनाव के नतीजों के साथ ही एक बार फिर राहुल गांधी के नेतृत्व की परीक्षा। जिस तरह गुजरात चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन ने राहुल गांधी को रातों-रात परिपक्व राजनेता बना दिया था, उसी तरह बिहार चुनाव के नतीजे भी राहुल की नेतृत्व क्षमता की कड़ी परीक्षा है। ऐसा इसलिए क्योंकि इन दिनों पार्टी में शीर्ष नेतृत्व को लेकर तनाव है। ऐसे में बिहार चुनाव की कमान संभाले राहुल गांधी के लिए नतीजे मन मुताबिक आते हैं तो ये उनके कद को कायम रखने में अहम भूमिका निभाएंगे।

  💖2. अध्यक्ष पद का फैसला💖

कांग्रेस में लंबे समय से अध्यक्ष पद को लेकर घमासान जारी है। बिहार चुनाव के नतीजों के बाद होने वाली कांग्रेस की बैठक में जाहिर तौर पर पार्टी का प्रदर्शन अहम भूमिका निभाएगा। ऐसे में कांग्रेस के लिए अध्यक्ष पद के चुनाव की राह भी बिहार के परिणामों से ही होकर गुजरती है। 2021 में होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस को अपनी सही राह पकड़नी होगी, इसके लिए जरूरी है शीर्ष नेतृत्व। परमानेंट अध्यक्ष मिलने के बाद पार्टी के लिए ये राह बहुत हद तक सरल हो जाएगी।

  💝3असंतुष्टों का दबाव होगा कम💝

कांग्रेस में पिछले दिनों 23 असंतुष्टों की नाराजगी जग जाहिर है। इन असंतुष्टों के दबाव के राहत के लिए भी जरूरी है कि बिहार के नतीजे कांग्रेस के लिए बेहतर प्रदर्शन लेकर आएं। इससे पार्टी में उठ रहे असंतोष के स्वरों को दबाना आसान होगा और भविष्य के लिए भी नजीर पेश की जा सकेगी।

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हालांकि इन परिणामों के साथ-साथ आगामी विधानसभा चुनाव भी कांग्रेस के लिए उतने ही महत्वपूर्ण होंगे। क्योंकि बंगाल समेत कुछ अन्य राज्यों में होने वाले चुनाव में कांग्रेस के पास करने के लिए बहुत खास नहीं है। ऐसे में बेहतर होगा कि बिहार चुनाव के परिणामों के साथ पार्टी नए अध्यक्ष को चुनकर अंदरुनी अड़चनों को दूर कर ले।

🌻💐🌹🌸🌲🌹💐💐🌻💐💖(A/3)नवंबर में 5 बार  आमने सामने होंगे  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदीऔर

चीनीराष्ट्रपती शी जिनपिंग,💖

नई दिल्ली। भारत और चीन सीमा  पर मई महीने से दोनों देशों के बीच तनाव जारी है। इस विवाद को कम करने के लिए दोनों देशों के बीच कई स्तरों की बातचीत भी हुई है, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकला है। आलम ये है कि लगातार दोनों देशों के बीच विवाद बढ़ता ही जा रहा है। इन सबके बीच नवंबर महीने में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदीऔरचीनी राष्ट्रपती शी जिनपिंग

अलग-अलग मंचों पर पांच बार आमने-

सामने हो जा रहे हैं।

💝सीमा विवाद के बाद पहली बार मिलेंगे पीएम मोदी और जिंगपिंग💝

जानकारी के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और जिंगपिंग अलग-अलग शिखर सम्मेलनों में पांच बार वर्चुअल मंचो पर आमने-सामने होंगे। इसकी शुरुआत 10 नवंबर से होगी। जानकारी के मुताबिक, 10 नवंबर को एससीओ की बैठक में दोनों नेता हिस्सा लेंगे। इसके बाद 11 नवंबर को पूर्वी एशियाई सम्मेलन में जिंगपिंग और पीएम मोदी साथ हिस्सा लेंगे। वहीं, 17 नवंबर को रूस में ही ब्रिक्स सम्मेलन में दोनों नेता हिस्सा लेंगे। इसके अलावा 21 और 22 नवंबर को सऊदी अरब की मेजबानी में G-20 देशों की बैठक में दोनों नेता साथ वर्चुअल स्क्रीन साझा करेंगे। दोनों नेताओं की आखिरी मुलाकात 30 नवंबर को हो सकती है। इस बैठक की अध्यक्षता खुद देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली करेगा। लद्दाख सीमा पर जबसे दोनों देशों के बीच विवाद शुरू हुआ, दोनों नेताओं की पहली बार मुलाकात होगी।

💝अब तक 10 बार मिल चुके हैं दोनों नेता💝

  भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिंगपिंग के बीच अब तक कितनी बार मुलाकात हो चुकी है। सबसे पहले दोनों नेताओं की मुलाकात 15 जुलाई 2014 को ब्राजील में हुई थी। इसके बाद दोनों नेताओं की मुलाकात 18 सितंबर 2014 गुजरात में हुई थी, जब चीनी राष्ट्रपति शी जिंगपिंग भारत दौरे पर आए थे। तीसरी मुलाकात दोनों नेताओं के बीच 15 मई 2015 को चीन में हुई थी। 4 सितंबर 2016 हांगझाऊ में पीएम नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग की चौंथी मुलाकात हुई थी। 9 जून 2017 को अष्टाना में दोनों नेता पांचवी बार मिले। 5 सितंबर 2017 ब्रिक्स देशों के सम्मेलन में छठी बार दोनों नेताओं की मुलाकात हुई। अप्रैल 2018 में पीएम मोदी और जिंगपिंग वुहान शहर में सातवीं बार मिले। 13 जून 2019 आठवीं बार किर्गिस्तान में प्रधामंत्री मोदी और जिंगपिंग के बीच मुलाकात हुई। वहीं, अक्टूबर, 2019 में तमिलनाडु के महाबलीपुरम में दोनों नेताओं के बीच नौंवी बार मुलाकात हुई। वहीं, 10वीं बार अप्रैल, 2020 में जी-20 देशों के वर्चुअल सम्मेलन में दोनों नेता मिले थे।

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💖(A/4)आज के जन्मदिन व्यक्तित्व:- जयकिशनजी काजीवनपरिचय लेख💖

शंकर जयकिशन हिन्दी फ़िल्मों की एक प्रसिद्ध संगीतकार जोड़ी है। भारतीय फ़िल्मों में जब भी सुकून और ताजगी का अहसास देने वाले मधुर संगीत की चर्चा होती है। संगीतकार जयकिशन और उनके साथी शंकर की बरबस ही याद आ जाती है। वह पहली संगीतकार जोड़ी थी, जिसने लगभग दो दशक तक संगीत जगत पर बादशाह की हैसियत से राज किया और हिन्दी फ़िल्म संगीत को पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रियता दिलाने का काम किया। परिचय स्वर साम्रागी लता मंगेशकर आज जिस मुकाम पर हैं। वहां तक उनके पहुंचने में इस जोड़ी के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। लता मंगेशकर के कैरियर को बुलंदी पर पहुंचाने में दो फ़िल्मों, महल और बरसात की अहम भूमिका रही। दोनों ही फ़िल्में 1949 में प्रदर्शित हुई थीं। पहली फ़िल्म का संगीत मशहूर संगीतकार खेमचंद प्रकाश ने दिया था और दूसरी फ़िल्म के संगीतकार जयकिशन और शंकर थे। यही वह फ़िल्म थी, जिससे उनके साथ गीतकार शैलेन्द्र और हसरत जयपुरी तथा अभिनेत्री निम्मी ने भी अपने कैरियर का आग़ाज किया था। इस फ़िल्म में शंकर जयकिशन ने गीतों की एक से बढकर एक ऐसी सरस और कर्णप्रिय धुनें बनाई थीं कि यह फ़िल्म गीत और संगीत की दृष्टि से बालीवुड के इतिहास में "मील का पत्थर" मानी जाती है। मेरी आंखों में बस गया कोई रे, जिया बेकरार है छाई बहार है, मुझे किसी से प्यार हो गया, हवा में उडता जाए मेरा लाल दुपट्टा मलमल का, अब मेरा कौन सहारा, बरसात में हमसे मिले तुम सजन, तुमसे मिले हम, बिछड गई मैं घायल हिरनी, बन बन ढूंढूं, ( जैसे गीतों की ताजगी आज भी कम नहीं हुई है। लता मंगेशकर बड़ी विनम्रता से अपने कैरियर में मौलिक प्रतिभा की धनी इस संगीतकार जोड़ी के योगदान को स्वीकार करती हैं। जब भी शंकर जयकिशन का उनके सामने ज़िक्र होता है। वह कहना नहीं भूलतीं। उन्होंने शास्त्रीय, कैबरे, नृत्य, प्रेम तथा दु:ख और खुशी के नगमों के लिए स्वर रचनाएं की। उनके संगीत ने कई फ़िल्मों को जिन्दगी दी। अन्यथा वे भुला दी जातीं।

 💝जयकिशनजी का जीवनपरिचय💝

4 नवम्बर, 1932 को जन्मे जयकिशन मूलत: गुजरात के वलसाड़ ज़िले के बासंदा गाँव के लकड़ी का सामान बनाने वाले परिवार से थे। परिवार ग़रीब था और जयकिशन के बड़े भाई बलवंत भजन मंडली में गा-बजाकर कुछ योगदान करते थे। प्रारम्भिक संगीत की शिक्षा बाड़ीलाल और प्रेमशंकर नायक से मिली। बासंदा की ही प्रताप सिल्वर जुबली गायनशाला में उस वक़्त के मंदिरों के त्यौहार-संगीत और गुजराती आदिवासियों के नृत्य संगीत के तत्त्व उन्हीं दिनों जयकिशन के मन में घर कर गये जिसके कई रंग बाद में उनके संगीत में भी समय समय पर झलके। भाई बलवंत की नशे की लत से मौत के बाद जयकिशन अपनी बहन रुक्मिणी के पास वलसाड़ आ गये और अपने बहनोई दलपत के साथ कारखाने में कुछ दिन काम किया, फिर दलपत के साढू के पास बम्बई में ग्रांट रोड के पास रहते हुए एक कपड़े के कारखाने में काम करने के साथ साथ ऑपेरा हाउस के स्थित विनायक राव तांबे की संगीतशाला में हारमोनियम का रियाज़ जारी रखा।


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(B)आजकेदिनजन्मे जमनालालबजाज

 गांधी का ‘पांचवां बेटा’ जिसने उनका ट्रस्टीशिप का सिद्धांत जीकर दिखाया का जीवन परिचय

                          💝 जमनालाल बजाज  का

                                जीवन परिचय लेख.💝 

जमनालाल बजाज : गांधी का ‘पांचवां बेटा’जिसनेउनका ट्रस्टीशिप का सिद्धांत जीकर दिखायाआज के पूंजीपतियों को देखते हुए हमारे लिए कल्पना करना भी मुश्किल हो सकता है कि भारत मेंजमना

लाल बजाज जैसे वैरागी पूंजीपति भी हुए हैंअव्यक्त

        जमनालाल बजाज : गांधी का ‘पांचवां बेटा’ जिसने उनका ट्रस्टीशिप का सिद्धांत जीकर दिखाया

पूंजीपतियों के साथ एक समस्या होती है कि वे स्वयं ही अपनी प्राथमिक छवि यानी व्यवसायी या व्यापारी की छवि से मुक्त नहीं हो पाते. और कई बार समाज ही उन्हें जीवनपर्यंत उसी नज़र से देखता रह जाता है. एक प्रखर स्वतंत्रता सेनानी के रूप में जमनालाल बजाज का स्वतंत्र चित्रण न हो पाने की वजह शायद यही रही होगी. आज के पूंजीपतियों की मानसिकता और जीवनचर्या को देखते हुए हमारेलिए कल्पना करनाभीमुश्किल

 हो सकता है कि भारत में जमनालाल बजाज जैसे वैरागी पूंजीपति भी हुए हैं जिसने त्याग और ट्रस्टीशिप का ऐसा उदाहरणपेश किया किगांधीऔर विनोबा जैसे लोग उनके साथ पारिवारिक सदस्य के रूप में घुल-मिल गए.

जमनालाल एक गरीब मारवाड़ी के घर पैदा हुए थे।नेहरू के जन्म के साल ही. और उनसे ठीक दस दिन पहले. आज केराजस्थान और तब केजयपुर रियासत के सीकर में. जमनालाल केवल चौथी कक्षा तक पढ़े थे. अंग्रेजी नहीं आती थी. वर्धाकेएक प्रौढ़ निःसंतान दंपत्ति ने बहुत हीचालाकी सेजमनालाल कीमां से वचन ले लियाऔरफिरउस बहुतहीधनीपरिवार

ने जमनालाल को गोद ले लिया.

लेकिन जमनालाल को धन से वितृष्णा हो गई थी.एक बार पूरे परिवार कोकिसी बड़े विवाहोत्सव में जाना था. पिता और परिवार के अन्य सदस्य अपने धन का खूब बढ़-चढ़कर प्रदर्शन करना चाहते थे. जमनालाल से कहा गया कि वह भी हीरे-पन्नों से जड़ा एक हार पहनकर वहां जाएं.लेकिन उन्होंने साफ मना करदिया. इस बात पर पिता से अनबन हो गई औरवेघर छोड़करभाग निकले.उससमय

जमनालाल की उम्र केवल 17साल थी.

बाद में उन्होंने एक स्टैम्प पेपर पर एक कानूनी मजमून बनाकर पिताजी को भेज दिया।अन्य बातों के अलावा जमना

लाल ने इसमें लिखा था, ‘मुझे आपके पैसों से कोई लोभ-लालच नहीं. मैं धन की परवाह ही नहीं करता. मैं घर से कुछ भी लेकर नहीं जा रहा हूं. जो कपड़ा तन पर थाकेवल वही पहने जा रहाहूं.प्रार्थना 

करता हूं कि मेरे जाने पर दुखी मत होइयेगा और सदा प्रसन्नचित्त रहिएगा. दुनियादारी के संबंध एकदम खोखले होते हैं. सांसारिक सुख-सुविधाएं हमें अपने घातक शिकंजे में जकड़ लेती हैं. आपको धन्यवाद कि आज आपने मुझे उस भयानक जंजाल से मुक्त कर दिया. आप निश्चिंत रहें. मैं जीवन में कभी आपका एक पैसा भी लेने के लिए किसी अदालत में नहीं जाऊंगा. इसीलिए यह कानूनी दस्तावेज बनाकर भेज रहा हूं. आप अपने पैसों का उपयोग दान करने के लिए करें. और दान भी खुशी-खुशी सेवाकार्यों के लिए करें, दिखावे और यश के लिए नहीं.’

बाद में किसी तरह जमनालाल को ढूंढ़ निकाला गया और घर वापस आने के लिए मनाया गया. पिता (जिन्हें संभवतः वृद्ध होने की वजह से वे अपना दादा मानते थे) के मरने के बाद भी जमनालाल को यह बात याद रही कि जिस धन का उन्होंने एक बार परित्याग कर दिया है,उसकामालिकबनने का उन्हें कोई नैतिक अधिकार नहीं है.बाद में जमनालालने विरासत में मिली तमाम

 संपत्ति का मूल्यांकन कराया और उसमें उस दिनतक का चक्रवृद्धि ब्याज जोड़

कर उतनी संपत्ति का दान कर दिया. ऐसा उन्होंने जीवन में कई बार किया. पूरा जीवन वह अपने आप को एक ट्रस्ट केट्रस्टीकीभांति हीमानतेरहे.बाल-विवाह

 के उस दौर में जमनालाल की शादी 13 साल की उम्र में ही नौ साल की जानकी से कर दी गई. युवा जमनालाल के भीतर आध्यात्मिक खोजयात्रा आरंभ हो चुकी थी औरवह किसी सच्चे कर्मयोगी गुरुकी तलाश में भटक रहे थे. इस क्रम में पहले वह मदन मोहन मालवीय से मिले. कुछ समय तक वे रबीन्द्रनाथ टैगोर के साथ भी रहेअन्य कई साधुओं और धर्मगुरुओं से भी वह जाकर मिले.1906मेंजबबाल 

गंगाधर तिलक ने अपनी मराठी पत्रिका ‘केसरी’काहिंदीसंस्करणनागपुरसे निका

लने केqलिए इश्तहार दिया,तो युवाजमना

लाल ने एक रुपये प्रतिदिन के हिसाब से मिलनेवाले जेबखर्च से जमा किए गए सौ रुपये तिलक को जाकर दिे दिए. जमनालाल ने लिखा है कि देशसेवा के लिए दान में दिए गए उस सौ रुपये से जो खुशी उन्हें तब मिली थी, वैसी बाद में लाखों दान करने पर भी नहीं मिली.

लेकिन तिलक को भी वे अपना गुरु नहीं मान सके.इस बीच जमनालाल महात्मा गांधी द्वारा दक्षिण अफ्रीका में किए जा रहे सत्याग्रह की खबरों को पढ़ते और उनसे बहुत प्रभावित होते रहे. 1915 में भारत वापस लौटने के बाद जबगांधीजी ने साबरमती में अपना आश्रम बनाया तो जमनालालकईबार कुछ दिन वहां रहकर गांधीजी की कार्यप्रणाली और उनके व्यक्तित्व को समझने की कोशिश करते रहे. गांधीजी में उन्हें संत रामदास केउस वचन की झलक मिली कि उसी को अपना गुरु मानकर शीष नवाओजिसकी 

कथनी और करनी एक हो.’ जमनालाल को अपना गुरु मिल चुका था. उन्होंने पूरी तरह से गांधीजी को अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया.जमनालाल अब गांधी

जी से अक्सर यह अनुरोध करने लगे कि गांधीअपना आश्रम वर्धा मेंआकर बनाएं जहां उन्हें जमनालाल की ओर से हर प्रकार का सहयोग मिलेगा. लेकिन गांधी अपनी गति से चलनेवालेव्यक्ति थे. बहुत कहने पर उन्होंने अपनी जगह 1921 में विनोबा को वर्धा भेज दिया और कहा कि वे जाकर वहां के ‘सत्याग्रह आश्रम’ कीजिम्मेदारी संभालें.विनोबा पूरे बजाज परिवारके कुलगुरु की तरह वहां जाबसे. विनोबा और जमनालाल बजाज के बीच हुएपत्राचार को पढ़कर उन दोनों के बीच केआत्मीय संबंधोंकापता चलताहै1920

में भारतीयराष्ट्रीय कांग्रेस केनागपुर अधि

वेशन केदौरान जमनालालने एक अजीब सा प्रस्ताव महात्मा गांधी के सामने रख दिया.जमनालाल ने गांधीजी से अनुरोध किया कि वे उनका ‘पांचवां बेटा’ बनना चाहते हैं और उन्हें अपने पिता के रूप में ‘गोद लेना’ चाहते हैं. पहले पहल तो इस अजीब प्रस्ताव को सुनकर गांधीजी को आश्चर्य हुआ,लेकिनधीरे-धीरेउन्होंने इस

परअपनी स्वीकृति दे दी.16मार्च,1922

को एक विचाराधीन कैदी केरूप में गांधी

जी ने साबरमती जेल से जमनालाल को एक चिट्ठी में लिखा था, ‘तुम पांचवें पुत्र तो बने ही हो, किन्तु मैं योग्य पिता बनने का प्रयत्न कर रहा हूं.दत्तक लेनेवाले का दायित्व कोई साधारण नहीं है. ईश्वर मेरी सहायता करे और मैं इसी जन्म में इसके योग्य बन सकूं.’बहुत बाद में एक बार किसी चिट्ठी में जल्दबाजी में गांधीजी ने उन्हें ‘चिरंजीवी जमनालाल’ की जगह ‘भाई जमनालाल’ कहकर संबोधित कर दिया. इसपर जमनालाल इतने दुखी हो गए किइसबारे में उन्होंने एक लंबी चिट्ठी महात्मा गांधी को लिखी और गांधीजी को स्पष्टीकरण देना पड़ा.गांधीजी के प्रभाव में जमनालाल बहुत ही आत्म

चिंतन और आत्मालोचना की ओर प्रवृत्त हुए.वह गांधीजी के सामने अपना हृदय खोलकर कर रख देते और अपनी तमाम समस्याओंका समाधान उन्हीं से मिलकर 

पाते.जमनालाल ने सामाजिक सुधारों की शुरुआत सबसे पहले अपने घर से ही कीअसहयोग आंदोलन के दौरान जब विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार शुरू हुआ तो उन्होंने सबसे पहले अपने घर के तमाम कीमती और रेशमी वस्त्रों को बैलगाड़ी पर लदवाकर शहर के बीचोंबीच उसकी होली जलवाई. उनकी पत्नी जानकीदेवी ने भीसोनेऔरचांदी जड़े हुए अपने वस्त्रों कोआग केहवाले कर दियाऔरआजीवन

खादी पहनने का व्रत ले लिया. त्याग की 

ये सूचीलंबीहैजमनालाल नेअंग्रेज सरकार द्वारा अपनी ओर से दी गई‘राय-

बहादुर’ की पदवी त्याग दी. बंदूक और रिवॉल्वरजमा कराते हुए अपना लाइसेंस भीवापसकर दिया.अदालतोंकाबहिष्कार

करते हुए अपने सारे मुकदमे वापस ले लिए. मध्यस्थता के जरिए विवादों को निपटाने के लिएअपनेसाथी व्यवसायियों को मनाया. जिन वकीलों ने आज़ादी की लड़ाई के लिए अपनी वकालत छोड़ दी उनके निर्वाह के लिए उन्होंने कांग्रेस को एक लाख रुपये का अलग से दान दिया. सनातनियों के घोर विरोध के बावजूद वर्धास्थित लक्ष्मीनारायणमंदिर में दलितों

का प्रवेश कराने में उन्होंने विनोबा के नेतृत्व में अद्भुत सफलता हासिल की. अपने घर के प्रांगण, खेतों और बगीचों में स्थितकुओं को उन्होंने दलितों के लिए खोलदिया.असहयोग आंदोलन केदौरान

ब्रिटिश शासन के खिलाफ तीखा भाषण देने और सत्याग्रहियों का नेतृत्व करने के लिए 18 जून,1921 को जमनालाल को गिरफ़्तारकर लिया गया.उनकेसाथ-साथ 

विनोबा को भी गिरफ़्तार कर लिया गया. विनोबा को तो एक ही महीने की सजा हुई,लेकिन जमनालाल को डेढ़ साल के सश्रम कारावास की कठोर सजा और 3000 रुपयेकाजुर्माना भी हुआ. 1935 के अधिनियम के तहत जब कांग्रेस ने चुनाव लड़ने का फैसला किया तो जमना

लाल ने इसका खुला विरोध किया था. बाद में जब चुने गए विधायक और मंत्री ब्रिटेन की राजशाही केनाम पर शपथ

-ग्रहण करने लगे, तो भी उन्होंने इसपर ऐतराज जताया. कांग्रेस के इस निर्णय से वे कभी संतुष्ट न हो सके. जमनालाल को कभी किसी पद की इच्छा नहीं रही. 1937-38 में हरिपुरा में कांग्रेस अध्यक्ष उन्हीं को बनाने पर सहमति हो चुकी थी. लेकिन न्होंने गांधीजी से कहा कि यूरोप से लौटे सुभाष चंद्र बोस को यह सम्मान और अवसर दिया जाना चाहिए.1938 में जमनालाल बजाज राजस्थान (तब जयपुर रियासत) केअकालग्रस्त इलाकों का दौरा कर कुछ राहत कार्य करना चाहते थे.लेकिन 29 दिसंबर, 1938 को सवाईमाधोपुर स्टेशनपरएफएसयंग नाम के एक अंग्रेज पुलिस अधिकारी ने उन्हें जयपुर के अंग्रेज दीवान का एक आदेश दिखाया.इसमें लिखा था कि जमनालाल 

जयपुरकी सीमा में प्रवेश नहीं कर सकते

क्योंकि इससे अशांति उत्पन्न होने का खतरा है.जमनालाल ने जवाब दिया,मैंने 

जयपुर रियासत में जन्म लिया है, वहीं का पला-बढ़ा हूं. वहीं का नागरिक हूं. मैं अपने ही राज्य के लिए खतरा कैसे हो सकता हूं. जयपुर का दीवान तो खुद ही विदेशीहै.उसे मुझेरोकनेकाक्याअधिकार

 है? मुझे ऐसा कोई आदेश बर्दाश्त नहीं है और मैं इसे तोड़ने जा रहा हूं.’ अंग्रेज अधिकारी यह सुनकर हक्का-बक्का रह गया.1924 में नागपुर में हुए एक हिन्दू-

मुस्लिमदंगे में जमनालाल निर्भीक होकर बीच-बचाव में गए. इसमें उनको चोटें आ गईं.पांच सितंबर, 1924 कोमहात्मा

गांधी ने सूरत की सभा में लोगों से कहा, ‘आपअपनाडरपोकपन दूर करलें.जमना

लालजी के हाथ में चोट आई, इससे मुझे प्रसन्नता हुई.यदि झगड़े-फसाद को शांत करते हुए वे मर भी जाते,तोभी मुझे प्रस

न्नता ही होती.क्योंकि उससे हिंदू धर्म की ज्यादा रक्षा होती.उनको अकस्मात् ही पत्थर लगा.लेकिन जो पत्थरोंकी बौछार में जाकर खड़ा होता है उसे केवल पत्थर ही नहीं लगेगा,बल्कि वह मर भी सकता है.यदि जमनालालजी मर जाते तो इससे लड़नेवाले दोनों पक्ष लज्जित होते और रोते.उल्लेखनीय है कि गांधीजीकेआश्रम 

मेंरहनेवालीरेहानातैयबजीकेसाथ जमना

लाल जी का बहन-भाई का रिश्ता रहा.

11 फरवरी, 1942 को अकस्मात ही जमनालालजी का देहांत हो गया. उनकी मृत्यु के बाद उनकी पत्नी जानकीदेवी ने स्वयं को देशसेवा में समर्पित कर दिया. विनोबाकेभूदानआंदोलन में भीवह उनके साथरहीं.जमनालाल जी ने गांधीजी के ट्रस्टीशिप केसिद्धांत कोवास्तविकजीवन

में जीकर दिखाया. उन्होंने प्रसिद्ध संत तुकाराम के इस पद को अपने जीवन का सूत्र माना था-

‘जोडोनियां धन उत्तम वेव्हारें। उदास विचारें वेच करी।।’

यानीधन शुद्ध साधनों से और ईमानदारी से अर्जित करो और खर्च करो दूसरों की भलाई के लिए उदारतापूर्वक औरविवेक

पूर्वक।आज केदौर में कम से कम भारत में ऐसे पूंजीपतियों के उदाहरण तो ढूंढने पर भी नहीं मिलेंगे।

                      🌻💐🌹🌲🌱🌸🌸🌲🌹💐💐🌻

(C) आज के दिन की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ💐

1509 - अल्मीडा के बाद अल्फांसो द अल्बुकर्क भारत में दूसरे पुर्तग़ाली वायसराय बने। 

1619 - फ्रेडरिक पंचम यूरोपीय देश बोहेमिया के राजा बने। 

1822 - दिल्ली में जल आपूर्ति योजना का औपचारिक रूप से शुभारंभ। 1856 - जेम्स बुकानन अमेरिका के 15वें राष्ट्रपति बने। 

1875 - अमेरिका के बोस्टन में मैसाचुसेट्स राइफल एसोसिएशन की स्थापना हुयी। 

1911 - अफ्रीकी देश मोरक्को और कांगो को लेकर फ्रांस तथा जर्मनी के बीच समझौते पर हस्ताक्षर।

 1984 - ओ बी अग्रवाल एमेच्योर स्नूकर के विश्व चैंपियन बने। 

1997 - सियाचीन बेस कैम्प में सेना की आफ़ सिग्नल ने विश्व का सर्वाधिक ऊँचा एस.टी.डी. बूथ स्थापित किया। 2000 - संयुक्त राष्ट्र संघ में परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध लगाने व विखंडनीय पदार्थों के उत्पादन पर रोक संबंधी जापान का प्रस्ताव भारत के विरोध के बावजूद पारित।

 2002 - चीन ने आसियान देशों के साथ मुक्त व्यापार क्षेत्र संधि पर हस्ताक्षर किये। 

2003 - श्रीलंका की राष्ट्रपति चंद्रिका कुमारतुंगा ने रक्षा, गृह और सूचना मंत्रियों को बर्खास्त कर संसद को निलम्बित किया। 

2005 - संयुक्त राष्ट्र की ईराक के लिए तेल के बदले खाद्यान्न योजना में की गई गड़बड़ी की जाँच की रिपोर्ट तैयार करने वाले पॉल वोल्कर ने स्पष्ट किया कि आरोपियों को सफाई का अवसर दिया गया था। 

2008- सार्वजनिक क्षेत्र के छह बैंक बेंचमार्क उधारी दर में 0.75 के आधार अंक तक की कटौती करने पर सहमत हुई। केन्द्र सरकार ने गंगा नदी को राष्ट्रीय नदी घोषित करने का निर्णय लिया। 

 2008 चन्द्रमा के लिए भारत का पहला मानवरहित अंतरिक्षयान चन्द्रयान-1 चन्द्रमा के अंतरिक्ष कक्ष में पहुँचा। बराक ओबामा अफ्रीकी मूल के पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बने।

2015 - दक्षिणी सूडान के जूबा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उड़ान भरने के तुरंत बाद एक कार्गो विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने से 37 लोगों की मौत। पाकिस्तान के लाहौर में एक इमारत ढ़हने से 45 मरे तथा करीब 100 लोग घायल हुए। 

🌻💐🌹🌲🌱🌸🌸🌲🌹💐💐

(D)आज के दिन जन्म लिए महत्त्वपूर्ण व्यक्तित्व

1618 - औरंगज़ेब - मुग़ल शासक। 1845 - वासुदेव बलवन्त फड़के - भारत के प्रसिद्ध क्रांतिकारी

1876 - भाई परमानन्द - भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान् क्रांतिकारी 

1889 - जमनालाल बजाज - स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, उद्योगपति और मानवशास्त्री थे। 

1911 - सुदर्शन सिंह चक्र, साहित्यकार एवं स्वतंत्रता सेनानी 

1925 - ऋत्विक घटक, लेखक और फ़िल्मकर्मी। 

1925 - छबीलदास मेहता - भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राजनीतिज्ञ तथा गुजरात के नौंवे मुख्यमंत्री थे।

1929 - शकुन्तला देवी, मानसिक परिकलित्र (गणितज्ञ) 

1932 - जयकिशन- प्रसिद्ध संगीतकार (शंकर जयकिशन) 

1934 - विजया मेहता - भारतीय सिनेमा की एक उच्च श्रेणी की महिला फ़िल्मकार। 

1955 - रीता भादुड़ी - हिन्दी सिने जगत की जानीमानी अभिनेत्री थीं। 

1970 - तब्बू फ़िल्म अभिनेत्री। 

                 🌻💐🌹🌲🌱🌸🌸🌲🌹💐💐🌻

(E)आज के निधन हुवे महत्वपूर्ण व्यक्तित्व।

1970 - शंभू महाराज - कत्थक के प्रसिद्धि प्राप्त गुरु तथा नर्तक थे।

2010 संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रसिद्ध  खिलाड़ी  स्पार्कसी एंडरसन का निधन 

2014 भारतीय प्रसिद्ध संगीतकार यू. श्रीनिवास का निधन

2015 भारत  के प्रसिद्ध  राजनीतिज्ञ  बिमल प्रसाद का निधन।

🌻💐🌹🌲🌱🌸🌸🌲🌹💐💐🌻

(F) आज का दिवस का नाम

1.अंतर्राष्ट्रीय रेड क्रास दिवस (सप्ताह)

2. वासुदेव बलवन्त फड़के - भारत के प्रसिद्ध क्रांतिकारी थे का जयंती दिवस

3.भाईपरमानन्द भारतीयस्वतंत्रतासंग्राम

के महान् क्रांतिकारी थे का जयंती दिवस

4.-जमनालाल बजाज - स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, उद्योगपति और मानवशास्त्री थे का जयंती दिवस

5.शंभू महाराज - कत्थक के प्रसिद्धि प्राप्त गुरुतथा नर्तक थे उनका पुण्यतिथि

दिवस

6.संयुक्त राज्य अमेरिका   के प्रसिद्ध  खिलाड़ी  स्पार्कसी एंडरसन का का पुण्यतिथि दिवस 

7.भारतीय प्रसिद्ध संगीतकार यू. श्रीनिवास का पुण्यतिथि दिवस

                     🌻💐🌹🌲🌱🌸🌸🌲🌹💐💐   

आज की बात -आपके साथ" मे आज इतना ही।कल पुन:मुलाकात होगी तब तक के लिये इजाजत दिजीये।

      आज जन्म लिये  सभी  व्यक्तियोंको आज के दिन की बधाई। आज जिनका परिणय दिवस हो उनको भी हार्दिक बधाई।  बाबा महाकाल से निवेदन है की बाबा आप सभी को स्वस्थ्य,व्यस्त मस्त रखे।

💐।जय चित्रांश।💐

💐जय महाकाल,बोले सो निहाल💐

💐।जय हिंद जय भारत💐

💐  निवेदक;-💐

💐 चित्रांश ;-विजय निगम।💐

💐 दिनांक:04.नवम्बर 2020 💐

💐 वार:-बुधवार       💐                      

                          🌻💐🌹🌲🌱🌸🌸🌲🌹💐💐🌻

जनक्रान्ति प्रधान कार्यालय  से राजेश कुमार वर्मा द्वारा नागेन्द्र कुमार सिन्हा की रिपोर्ट प्रकाशित । 

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