बिहार राज्य के 40 हजार वकील बेरोजगारी के कगार पर केन्द्र सरकार मौन क्यों..???

 बिहार राज्य के 40 हजार वकील बेरोजगारी के कगार पर केन्द्र सरकार मौन क्यों..???  

 जनक्रान्ति कार्यालय से स्टेट ब्यूरों विधि चीफ रविशंकर चौधरी की रिपोर्ट 

वकीलों की पेट पर गिराया कोरोना ने ड्राम भूखे मरने पर हैं मजबूर 

पटना, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 28 दिसम्बर, 2020 ) । बिहार राज्य में करीब एक लाख वकील है ।  ' लेकिन अदालतों में पिछले करीब-09 महीने से-फेस टू फेस सुनवाई नहीं होने के चलते ' इस पेशे से जुड़े लोगों की आय पर बहुत बुरा असर पड़ा है। कोरोना काल में न्याय पाने की उम्मीद में दर-दर भटक रहे ' आम लोगों के साथ-साथ वकालत के व्यवसाय से जुड़े लोगों की परेशानी भी बढ गयी है। बिहार में लंबित मुकदमें की संख्या भी बढ़ती जा रही है । ' बिहार राज्य के अदालतों में करीब 30 लाख से अधिक मुकदमें लंबित है और इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है। सिर्फ़ पटना हाईकोर्ट में ही-लम्बित मामलों की संख्या ' एक लाख 65 हजार से अधिक है  ' जबकि निचली अदालतों में- 29 लाख मामले सुनवाई की प्रतीक्षा में है। कोरोना के चलते 'होली की छुट्टी के बाद से ही- हाईकोर्ट और अधीनस्थ न्यायालयों में फिज़िकल सुनवाई नही के बराबर है । ' इससे करीब-40 फीसद वकीलों के सामने रोटी-रोजगार की समस्या उत्पन्न होकर रह गया है। करीब 60 फीसद वकील ही-किसी तरह से रोजी-रोटी का जुगाड़ कर पाने में सक्षम है ' बाकी के सामने एक गंभीर चुनौती है।

वकीलों को अन्य के माध्यम से आजीविका अर्जित करने की अनुमति नहीं है। एडवोकेट एक्ट 1961 की धारा 49 के मुताबिक-बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने वकीलों को किसी अन्य तरह का रोजगार करने से रोक लगा दी है। केंद्र सरकार सुनियोजित तरीके से वकालत पेशे पर ग्रहण लगाना चाहती है। केंद्र सरकार ने-बार काउंसिल को पत्र लिखकर कहा है कि-कोरोना काल के बाद भी अदालतें ' फिज़िकल और विडियों कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से चलती रहेगी-इसका मतलब यह हुआ कि-केंद्र सरकार वकालत पेशे को अपने शिकंजे में लेने का प्रयास कर रही है ' जिसका हम विरोध करेंगे। केंद्र सरकार को वकीलों की समस्याओं के मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए ' प्राकृतिक आपदा मानते हुए ' केंद्र सरकार को वकीलों की रोजी-रोटी के लिए ' आर्थिक वित्तीय मदद मानवता के लिए करना चाहिए। निचली अदालतों में अभी गवाही नही चल रही है ' वैलफेयर स्टाम्प की बिक्री नही हो रही है ' वकील एसोसिएशन को घाटा हो रहा है। वर्चुअल सुनवाई के कम रोजगार करने वाले ' वकीलों के पास स्मार्ट मोबाइल और लैपटॉप नही है ' लम्बित सुनवाई अरसे से नही चल रही है ' इससे सिविल मामलों के जानकार वकील बेरोजगारी के कगार पर है। वकीलों के साथ जुड़े हुए ' जैसे ' क्लर्क ' टाइपराइटर ' फोटो स्टेट के दुकानदार-चाय दुकानदार ' पान दुकानदार ' चश्मा बेचने वाले ' किताब दुकानदारों अन्य लोगों के परिवार वालों के समक्ष भुखमरी की नौबत आ गयी है। उपरोक्त वक्तव्य मोहम्मद अकबर अली ' प्रदेश महासचिव-(अल्पसंख्यक) बिहार प्रदेश राष्ट्रीय जनता दल के साथ ही समस्तीपुर लोजपा युवा प्रवक्ता रविशंकर चौधरी अधिवक्ता ने प्रेस को भेंट में बताया । उन्होंने कहाँ की आज कोरोना महामारी के आतंक से वकालत पेशा चरमारा सी गई है, जिसके कारण आजकी तिथि में हजारों अधिवक्ता भूखे मरने पर मजबूर हो गए हैं । 


जनक्रान्ति प्रधान कार्यालय से प्रकाशक/सम्पादक राजेश कुमार वर्मा द्वारा स्टेट ब्यूरों चीफ रविशंकर चौधरी अधिवक्ता की रिपोर्ट प्रकाशित व प्रसारित । 

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