बिहार में पंचायती राज व्यवस्था में भ्रष्टाचार ' भाई ' भतीजावाद ' जातिवाद ' धर्मवाद के कारण " राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी का ग्राम स्वराज का सपना तोड़ रही है दम :-मो० अकबर अली

 बिहार में पंचायती राज व्यवस्था में भ्रष्टाचार ' भाई ' भतीजावाद ' जातिवाद ' धर्मवाद के कारण " राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी का ग्राम स्वराज का सपना तोड़ रही है दम :-मो० अकबर अली 

मोहम्मद अकबर अली ' प्रदेश महासचिव-(अल्पसंख्यक) बिहार प्रदेश राष्ट्रीय जनता दल

पटना/समस्तीपुर, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 14 दिसंबर, 2020 ) । बिहार में पंचायती राज व्यवस्था में भ्रष्टाचार ' भाई ' भतीजावाद ' जातिवाद ' धर्मवाद के कारण " राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी का ग्राम स्वराज का सपना दम तोड़ रही है।         

राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी ने-जिस ग्राम स्वराज का सपना देखा था ' आज तक वो सपना पूरा नहीं हुआ है। बापू ने कहा था कि-अगर देश के गाँवों को खतरा पैदा हुआ-तो-समझना कि-देश को खतरा पैदा हो जायेगा। बापू ने मजबूत सशक्त गाँव का सपना देखा था ' सिर्फ़-राज्य सरकार-केंद्र सरकार मिलकर ही पूरा देश नही चला सकती ' इसलिये स्थानीय प्रशासन का महत्व समझ गया " इसे पंचायती राज का नाम दिया गया।

ग्राम पंचायत हमारी सभ्यता और संस्कृति की पहचान है ' यह हमारी गहन ' सूझ-बुझ के आधार पर व्यवस्था निर्माण करने की क्षमता की परिचायक है।ग्राम स्वराज की अवधारणा समाज को शासनिक एवं प्रशासनिक व्यवस्था में सहभागी बनाने पर जोर देती है। शासन की ग्राम स्वराज परिकल्पना एक ऐसी व्यवस्था है-जो राजनैतिक अव्यवस्था ' भ्रष्टाचार ' अराजकता अथवा तानाशाही जैसी समस्याओं का पूर्ण रूप से समाधान करती है-इसी परिकल्पना को आदर्श लोकतंत्र भी कहा जाता हैं। बिहार में पंचायती राज व्यवस्था में पंचायत प्रतिनिधियों की आपसी राजनीति व अधिकारियों की उदासीनता व लापरवाही के कारण-बिहार में ग्राम पंचायती राज का विकास का सपना आज भी अधूरा है। बिहार राज्य के-38 जिलों में ग्रामीण क्षेत्रों में बडे पैमाने पर विकास के नाम पर सिर्फ़ कागजों पर विकास सिमटकर रह गया है।लोकतांत्रिक राजनीतिक व्यवस्था में पंचायती राज वह माध्यम है ' जो शासन को सामान्य जनता के दरवाजे तक लाता है।

लोकतंत्र की संकल्पना को अधिक यथार्थ में अस्तित्व प्रदान करने की दिशा में पंचायती राज व्यवस्था एक ठोस कदम है ' पंचायती राज व्यवस्था में स्थानीय जनता की स्थानीय शासन कार्यों में अनवरत रूचि बनी रहती है ' क्योंकि वे अपनी स्थानीय समस्याओं का स्थानीय पद्धति से समाधान कर सकते है।बिहार राज्य में ग्राम पंचायत राज की संख्या 8463 है-लेकिन पिछले-15 वर्षों में ग्राम पंचायत सचिव के सेवा निवृति के बाद ' बिहार के पंचायती राज विभाग के द्वारा ' एक भी पंचायत सेवकों की बहाली नही कराया गया है ' वही दुसरी तरफ़ ' ग्राम पंचायत में कार्यरत ' हल्का कर्मचारियों के सेवा निवृति के बाद आज तक ' राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के द्वारा कोई भी नियुक्ति ' हल्का कर्मचारी की नही कराया गया है। जबकि जमीनी हकीकत भी यह भी है कि ' पूरी बिहार में ग्राम पंचायती राज व्यवस्था में नगण्य ' पंचायत सचिव और हल्का कर्मचारी है वही बहुत ही जल्द सेवा निवृत हो जायेंगे। ग्राम पंचायती राज व्यवस्था में आम जनता के लिए ' जैसे ' समाज के उन तमाम वर्गो के बच्चों के लिए ' शिक्षा का महत्व ' स्वास्थ्य केंद्रों के रख-रखाव ' रोजगार के लिए ' कोई ठोस कदम ' समाज के महिलाओं की सुरक्षा एवं आम मतदाताओं के लिए-वो तमाम कल्याणकारी योजनाएं जो सरकारी विभागों के द्वारा संचालित है। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी नें कहा था कि ' जब तक समाज के आखिरी पंक्ति में खडे व्यक्ति तक विकास नही पहुंच जाता ' तब तक विकास की हमारे समाज के लिए ' बेईमानी है । जय हिंद जय भारत ' जय संविधान। उपरोक्त आलेख प्रेस कार्यालय को वाट्सएप माध्यम से मोहम्मद अकबर अली ' प्रदेश महासचिव-(अल्पसंख्यक) बिहार प्रदेश राष्ट्रीय जनता दल के द्वारा दिया गया। 

जनक्रान्ति प्रधान कार्यालय से प्रकाशक/सम्पादक राजेश कुमार वर्मा द्वारा प्रकाशित व प्रसारित । 

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