ग्राम पंचायत को आवंटित योजना की अगर निष्पक्षता पूर्वक जांच की तो खुलेंगे अरबों रुपये के राजस्व की घोटाले की कागजी खानापूर्ति का होगा उद्भेदन

 ग्राम पंचायत को आवंटित योजना की अगर निष्पक्षता पूर्वक जांच की तो खुलेंगे अरबों रुपये के राजस्व की घोटाले की कागजी खानापूर्ति का होगा उद्भेदन 

 जनक्रांति कार्यालय रिपोर्ट 

मनरेगा योजना में करोड़ों का बारा न्यारा जांच केन्द्रीय अंवेषण ब्यूरो से जांच की मांग 

पटना,बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 12 दिसम्बर 2020 ) । बिहार राज्य में केंद्र सरकार  व राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं को सचिव व ग्राम प्रधान मिलकर लगा रहें पलीता । नीतीश सरकार के सत्ता में वापसी भ्रष्टाचारियों के हौसले को फिर से  बुलंद कर दिया है । जिसके चलते सरकारी योजनाओं को जनप्रतिनिधि व सरकारी जनसेवक अपनी योजना समझ कर ग्राम प्रधान के साथ मिलकर  जनप्रतिनिधि व जिला जन प्रतिनिधि के साथ ही ग्राम प्रधान सचिव सहित स्थानीय विधायक, सांसद, विधान पार्षद, बंदरबांट करने में लगे हुए हैं । केंद्र सरकार व राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही महत्वकांक्षी योजना में शौचालय निर्माण, प्रधानमंत्री आवास निर्माण, हर घर नल जल योजना, नाली - सड़क - गली निर्माण में प्रधान प्रतिनिधि व ग्राम सचिव करोड़ों का घोटाला कर रहे हैं । इसके साथ ही मनरेगा योजना अंतर्गत कराए जा रहे करोड़ों के योजनाओं को कागज पर ही मिलकर निपटा दिए जा रहे हैं ।


बताते है की समस्तीपुर जिला के विभिन्न प्रखंड मुख्यालय के ग्राम पंचायतों की धीरे - धीरे पोल खुलने लगी है। कई प्रखंडों में तो प्रखंड विकास पदाधिकारी के साथ ही जिलाधिकारी योजनाओं की जांच करने व दोषियों पर प्राथमिकी तक दर्ज करने का आदेश निर्देश जारी कर रखें हैं । लेकिन मामला वहीं का वहीं मिलीभगत के कारण रह जाता है । अगर सिर्फ जितवारपुर समस्तीपुर प्रखंड के ग्राम पंचायत राज जितवारपुर, मुसापुर, धुरलख, विक्रमपुर बांदे, कर्पूरी ग्राम, रहमतपुर, पूनास, इत्यादि ग्राम पंचायतों को आवंटित सभी योजनाओं की जांच की जाऐ तो करोड़ों रूपये खर्च होने और योजना धरातल पर मूर्तरूप नहीं रहने की सच्चाई सामने है।


केन्द्र व राज्य सरकार प्रायोजित चलाई गई विभिन्न योजनाएं या सांसद-विधायक  द्वारा प्रायोजित योजना । लेकिन किसी भी योजना का लाभ ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामीणों तक नहीं पहुंच पाता है । राज्य सरकार या केन्द्र सरकार प्रयास तो करती है की ग्रामीण जनताओं  का विकास हो । लेकिन स्थानीय बिचौलिए, ग्राम प्रधान मुखिया, ग्राम सचिव, वार्ड सदस्य, जनप्रतिनिधि मिलकर अपनी जेब गर्म करने में लगे हुऐ है । राज्य सरकार की मंशा है विकास हो लेकिन जिला प्रशासन के साथ ही प्रखंड प्रशासन ग्राम प्रधान व सचिव से मिलकर कागजों पर ही कार्य को इतिश्री दिखा कर कार्य पुरी कर देते है,और अपनी जेब सहित राजनेताओं की जेबें गर्म कर देते हैं ।

ग्राम पंचायतों में विकास के नाम पर तो महज कागजी खानापूर्ति कर करोड़ों रुपये योजनाओं पर खर्च कागज पर ही दिखा देते हैं । ग्रामीण सूत्रों के अनुसार कईक योजनाओं का कार्य धरातलीय नहीं किया गया है और उक्त योजनाओं की राशि आवंटित कर राजस्व गबन कर लिया गया ।
उपरोक्त आशय का आरोप लगाते हुऐ रिसर्च एंटीकरप्शन एण्ड क्राईम इंवेस्टिगेशन ब्यूरो के प्रमंडलीय उपाध्यक्ष राजेश कुमार वर्मा ने केन्द्रीय जांच अंवेषण ब्यूरो के प्रधान से प्रेस के माध्यम से राज्य व केन्द्र सरकार द्वारा प्रायोजित ग्राम पंचायतों को आवंटित योजनाओं की निष्पक्षता से जांच करने की मांग करते हुऐ दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग किया है ।


जनक्रान्ति प्रधान कार्यालय से प्रकाशक राजेश कुमार वर्मा की सहमति से प्रबंध सम्पादक शिवम् राज द्वारा कार्यालय रिपोर्ट प्रकाशित व प्रसारित । 

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