तीतिर स्तूप बौद्ध बिहार विकास मिशन की बैठक आयोजित

 तीतिर स्तूप बौद्ध बिहार विकास मिशन की बैठक आयोजित

तीतिरा तथा पपौर को पुरातात्विक स्थल घोषित करने की उठने लगी मांग, 25 सौ वर्ष पूर्व की पुरातात्विक साक्ष्य विद्यमान

भारतीय पुरातत्व विभाग के परीक्षण उत्खनन प्रतिवेदन से भी पुष्टि, प्रशासनिक  व जनप्रतिनिधियों के उदासीनता के कारण नहीं हुआ भरपूर विकास

जनक्रान्ति कार्यालय से संवाद सूत्र राजीव रंजन कुमार की रिपोर्ट

सीवान,बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 05 जनवरी, 2021)। सीवान जीरादेई प्रखण्ड क्षेत्र के तीतिर स्तूप पर सोमवार को सीवान तीतिर स्तूप बौद्ध बिहार विकास मिशन की बैठक की गई तथा इसको पुरातात्विक स्थल घोषित कराने के लिये सांसद व जिले के सभी विधायकों  को पुनः आवेदन पत्र देने का निर्णय लिया गया।

मिशन के सदस्य कृष्ण कुमार सिंह ने बताया कि पपौर  वर्ष 2015 तथा तीतिरा वर्ष 2018 में भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा परीक्षण उत्खनन किया गया तथा दोनों जगहों पर 25 सौ वर्ष पूर्व का पुरातात्विक साक्ष्य ,शिलालेख आदि मिला  फिर भी पुरातात्विक स्थल घोषित न होना सीवान जिलेवासियों  के उम्मीदों को  मायूस करना है।

उन्होंने बताया कि विगत तीन वर्षों से माननीय मुख्यमंत्री बिहार ,प्रधानमंत्री ,राष्ट्रपति , पुरातत्व विभाग के केंद्रीय मंत्री ,पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ,सांसद कविता सिंह ,पूर्व सांसद ओमप्रकाश यादव ,पूर्व विधायक रमेश सिंह कुशवाहा  आदि सबको उक्त स्थलों को पुरातात्विक स्थल घोषित कराने के लिए आवेदन दिया गया है। मिशन के सदस्य वीरेंद्र तिवारी ने कहा कि माननीय मंत्री मंगल पांडेय को भी अवगत कराया गया है।उन्होंने बताया कि इन स्थलों को पुरातात्विक स्थल घोषित होने से जिला का सम्मान व गौरव बढ़ेगा।मिशन के सदस्य प्रमोद शर्मा ने कहा कि  अभी गोपालगंज में एक मंदिर को बिहार सरकार द्वारा  पुरातात्विक स्थल किया गया है तथा स्थल के विकास के लिये राशि भी मुहैया कराई गई है। जबकि यह स्थल काफी प्राचीन है तथा यहाँ प्रचुर मात्रा में पुरातात्विक साक्ष्य मौजूद है।इस मौके पर सच्चिन्द्र दुबे, माधव शर्मा , बलिंद्र सिंह ,हरिशंकर चौहान आदि ने भी अपना विचार व्यक्त करते हुए पुरातात्विक स्थल घोषित करने की मांग की ।
यहां महात्मा बुद्ध से जुड़े अनेकों स्थल व उदाहरण आज विद्धमान है जिसको देखने के लिए न केवल भारतीय बल्कि अनेकों विदेशी पर्यटक भी आते रहते है । 


बस जरूरत है तो बस सरकारी सहयोग की जहां सरकारी उपेक्षा के कारण ही सीवान अभी तक दुनिया के मानचित्र पर नही चढ़ सका,नहीं तो यहां के इतिहास व अन्य स्थल सीवान को अब तक कहा से कहा ले गए होते।इसी कड़ी में शामिल है सीवान जिला मुख्यालय से करीब पांच किलोमीटर पूर्व स्थित पचरुखी प्रखंड का पपौर गांव प्राचीन बौद्धकालीन मल्ल जनपद की राजधानी पावा है. ऐतिहासिक तथ्यों, किदवंतियों व समय-समय पर मिले ऐतिहासिक साक्ष्यों से पता चलता है कि भगवान गौतम बुद्ध ने अपने निर्वाण प्राप्ति के पूर्वार्ध में यहां पर काफी समय व्यतीत किया था. सर्वप्रथम डॉ होय नामक अंगरेज विद्वान ने पावा की खोज की थी।उन्होंने यहां पर तांबे के कुछ इंडो-बैक्टेरियन सिक्कों को भी खोजा था.गौतम बुद्ध अपनी अंतिम यात्रा के क्रम में भोग नगर से चल कर पावा पहुंचे थे और चुंद नामक सोनार के आम्रवन में ठहरे थे। चुंद ने भगवान बुद्ध को भोजन पर आमंत्रित किया जहां भोजन करने के बाद भगवान बुद्ध को खूनी पेचिश हो गया।क्लेश होने के बाद भगवान बुद्ध कुशीनारा की ओर रवाना हुए, जहां उन्हें निर्वाण प्राप्त होने की बात कही जाती है जहां पपौर गांव के बगल में मटुक छपरा गांव है। जो भग्नावशेषों पर बसा है । 1978 में ग्रामीणों ने स्वयं खुदाई कर यहां से पालकालीन तारा व विष्णु के अतिरिक्त कई देवी-देवताओं की प्रचीन मूर्तियां निकाली थीं. वे मूर्तियां आज भी गांव के लोगों ने एक जगह स्थापित कर मंदिर का निर्माण कर दिया है।जहां इनमें से कई दुर्लभ मूर्तियों की चोरी भी हो चुकी हैं । पपौर गांव के युवा कुशेश्वर नाथ तिवारी ने ग्रामीणों की सहयोग से पावा उन्नयन ग्राम समिति का गठन कर मूर्तियों को संरक्षित करने की मांग राज्य सरकार व भारतीय पुरातत्व विभाग से की।लेकिन इस पर कोई ध्यान सरकार द्वारा नहीं दिया गया।

महादेइया के टीले की खुदाई में मिले हैं प्राचीन अवशेष 
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पावा उन्नयन ग्राम समिति के संयोजक कुशेश्वर नाथ तिवारी का प्रयास 2015 में रंग लाया और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने पावा में खुदाई करने का फैसला किया. 23 जुलाई को भारतीय पुरातत्व विभाग के अधीक्षण पुरातत्वविद पीके मिश्रा ने भूमि पूजन के बाद खुदाई का काम शुरू कराया।करीब एक माह तक हुई खुदाई में भारतीय पुरातत्व विभाग को कई प्राचीन मृदभांड, ईंट, मिट्टी के खिलौने तथा साधु-संतों के गले में पहनने वाली मिट्टी की बनी कंठी मिली. खुदाई में करीब आठ फुट लंबा तिउर(चूल्हा) मिला जिसमें कार्बन के अवशेष भी थे।चूल्हे से पुरातत्वविदों ने अंदाज लगाया कि यहां पर अधिक संख्या में लोगों का खाना एक साथ बनता होगा।करीब एक माह तक खुदाई करने के बाद एएसआइ की टीम वापस चली गयी । लेकिन खुदाई में मिले प्राचीन वस्तुओं के रहस्य से परदा नहीं उठ सका.अभी भी यहां खुदाई की जरूरत है अगर बढ़िया से खुदाई करवाया जाए तो और अवशेष प्राप्त हो सकते है। जिसके कारण सीवान का नाम विश्व स्तर पर आ सकता है।स्थानीय लोगों में भी काफी आक्रोश व्याप्त है कि अगर सरकार यहां बढ़िया से खुदाई करवा दे और पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर दें तो पूरे दुनिया के पर्यटक यहां आने लगेंगे। परन्तु सरकारी उदासीनता के कारण सिवान वासियों के यह सपना साकार होते नही दिख रहा है। इसके अलावे जिले के तीतिरा टोले बंगरा में स्थित तीतिर स्तूप है जिसका परीक्षण उत्खनन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण पटना अंचल के सहायक पुरातत्वविद शंकर शर्मा के नेतृत्व में 20 जनवरी 2018 से 20 फरवरी 2018 तक कराया गया।जिसमें प्रचुर मात्रा में पुरातात्विक साक्ष्य मिला।जैसे एंबीपीडब्ब्ल्यू ,धूसर मृद्भांड, टेराकोटा की दर्जनों मुर्तिया ,स्टाम्प ,टेराकोटा के खिलौने धूपदानी चीलम, पीली मिट्टी से बना छोटा स्तूप जैसा आवरण ,शीशा की गोली ,छोटा शिलालेख (जिस पर किसी लिपि में कुछ अंकित है।जहां मौर्य कालीन ईंट से निर्मित पीलर साथ ही अन्वेषण के क्रम में मौर्य ,कुषाण व गुप्तकाल के मिश्रित ईंटो से निर्मित भवनावशेष ,तथा दो सौ फीट लम्बी दीवार की नींव तथा 30 फीट लम्बी 04 फीट चौड़ा दीवाल का अवशेष मिला।इस स्थल की विशेष महता का खुलासा पटना में बिहार सरकार के कला एवम संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित इंडियन आर्किलॉजिकल सोसाइटी ,इंडियन प्री हिस्ट्री एवम क्वाटनारी सोसाइटी के त्रिदिवसीय संयुक्त अधिवेशन ( 06 से 08 फरवरी 2019)में हुआ ।यह अधिवेशन बिहार की धरती पर पहली बार हुआ।इसमें तीतिरा स्तूप के परीक्षण उत्खनन कर्ता पुरतात्विद शंकर शर्मा ने अपना आलेख प्रस्तुत किया जिसका शीर्षक था "उतरी बिहार में पुरातात्विक उत्खनन में प्राप्त बाढ़ के अवशेष का प्रमाण "श्री शर्मा ने बताया कि गत वर्ष 2018 में तीतिरा,जीरादेई का परीक्षण उत्खनन में पुरातात्विक साक्ष्य के रूप में बाढ़ के स्तर का मिलना पूरी उत्तरी बिहार के गुप्तयुगीन पुरातात्विक सन्निवेश के पतन के कारण को उजागर करता है। इन सारे पुरातात्विक साक्ष्यों के वावजूद भी केंद्र व राज्य सरकार को उदासीन रहना घोर आश्चर्य प्रतीत होता है।अगर सिवान को बौद्ध सर्किट से जोड़ दिया जाय तो स्वतः अपने सिवान जिले का विकास आरम्भ हो जाएगा इसमें कोई संदेह नहीं।


जनक्रान्ति प्रधान कार्यालय से प्रकाशक/सम्पादक राजेश कुमार वर्मा द्वारा संवाद सूत्र राजीव रंजन कुमार की रिपोर्ट प्रकाशित व प्रसारित ।
           

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