भक्ति विशेष:-चतुर्थ नवरात्रि माघ मास की गुप्त नवरात्र

 भक्ति विशेष:-चतुर्थ नवरात्रि

माघ मास की गुप्त नवरात्र

जनक्रान्ति कार्यालय से  पंकज झा शास्त्री 9576281913✍️👇

माघ मास के नवरात्र को शिशिर नवरात्र के नाम से भी जाना जाता है : पंकज झा शास्त्री 

दरभंगा/मधुबनी/समस्तीपुर,बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 12 फरवरी,2021)। इस बार माघ मास की गुप्त नवरात्र 12 फरवरी 2021, शुक्रवार से है। साल में कुल 4 नवरात्रि होते हैं। प्रथम चैत्र,द्वितीय आषाढ़,तृतीय आश्विन और चतुर्थ नवरात्र माघ मास में होते है।परंतु आषाढ़ और माघ मास में होने वाले नवरात्र अधिक प्रचलित न होने के कारण इन्हें गुप्त नवरात्र भी कहा जाता है। सभी नवरात्र का अपना एक विशेष महत्व है। इस साल के गुप्त नवरात्र पर विशेष पूजा-अर्चना करने से विशेष फल की प्राप्ति की जा सकती है। माघ मास के नवरात्र को शिशिर नवरात्र के नाम से भी जाना जाता है।

गुप्‍त नवरात्रि में मां भगवती के गुप्त स्वरूप यानी काली माता की गुप्‍त रूप से अराधना की जाती है।  नवरात्रमें  नौ दिनों में दुर्गासप्तशती का पाठ करना बेहद उत्तम होता है। इसके साथ ही सप्तश्लोकी दुर्गा का पाठ करना भी उत्तम रहता है। नवरात्र के नवमी के समय कन्याओं को भोजन कर उन्हें दक्षिणा देनी चाहिए। यदि हम ज्योतिषीय दृष्टि से देखे तो शास्त्रों के अनुसार शुक्रवार को माता का डोली पर सवार होकर आगमन से तनाव के स्थिति का पूरा संकेत मिलता है कई जगह स्थिति नाजुक होकर परिस्थिति अप्रिय घटना में बदल सकती है। साथ ही धनिष्ठा नक्षत्र में शिशिर नवरात्र आरंभ होने से टेक्नोलोजी क्षेत्र में काफी विस्तार होगा ! विज्ञान के क्षेत्र में काफी विस्तार होगी। भौतिक संपदा मे वृद्धि होगी। माता का प्रस्थान सोमवार को भैंसा पर है यानी कई मामलों में शोक की वृद्धि हो सकती है, रक्त का बिखराव हो सकता है। यह ध्यान रहे किसी भी फलादेश का संकेत कुछ दिन पहले से कुछ दिन बाद तक देखने को जरूर मिल जाता है। मां सदैव ममता मयी होती है।

इनको निष्ठा विश्वास और समर्पण भाव से आराधना करने पर निश्चित रूप से नाकारात्मक प्रभाव कम होता है। शिशिर नवरात्र में दुर्गा के नौ स्वरूपो के साथ चौसठ योगिनी की आराधना करना अति आवश्यक है जिससे से मंत्र और आराधना की शक्ति का सकारत्मक प्रभाव जल्दी मिलता है।

गुप्त नवरात्र2021 तिथि और घट स्थापना शुभ मुहूर्त-

नवरात्रि शुरू 12 फरवरी 2021 दिन शुक्रवार ।

विजया दशमी 22 फरवरी को पड़ता है।

कलश स्थापना मुहूर्त- सुबह 06 बजकर 29 मिनट से दिन के 09 बजकर 14 मिनट तक। 

पतिपदा तिथि आरंभ गुरुवार की रात्रि 11:59 के उपरांत।

प्रतिपदा तिथि समाप्त शुक्रवार की रात्रि 11:58 बजे ।

उपरोक्त समय सारणी में अपने अपने क्षेत्रिय पंचांग अनुसार अंतर हो सकता है।

आप सभी का कल्याण हो जय माता दी।

जनक्रान्ति प्रधान कार्यालय से प्रकाशक/सम्पादक राजेश कुमार वर्मा द्वारा ज्योतिष पंकज झा शास्त्री की विचार प्रकाशित व प्रसारित ।

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