होली पर्व विशेष.. होली पर 500 वर्ष बाद बन रहे है ऐसा संयोग : पंंकज झा शास्त्री

 होली पर्व विशेष..

होली पर 500 वर्ष बाद बन रहे है ऐसा संयोग : पंंकज झा शास्त्री 

जनक्रांति कार्यालय से पंकज झा शास्त्री 

                                  ज्योतिष पंकज झा शास्त्री 

पटना/दरभंगा/मधुबनी/समस्तीपुर,बिहार ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय २५ मार्च, २०२१) । फाल्गुन मास आते ही लोगो मे धीरे धीरे रंगो का खुमार चढ़ने लगता है और इसी के साथ होली के दिन रंगो से लावा लव लोगो के अंग अंग रंग गुलाल से ढका हुआ नजर आता है।
धर्म ग्रंथों के अनुसार हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को होली का त्योहार बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. यह रंगों का पर्व है. होली आपसी प्रेम और सौहार्द बढ़ाने का त्योहार है । यह आपसी भाईचारा को दर्शाता है । पूर्णिमा की रात को होलिका दहन किया जाता है।  उसकी अगली सुबह यानी कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को रंग वाली होली खेली जाती है । इस बार यह रंगों की होली 29 मार्च 2021 को खेली जाएगी ।  जबकि एक दिन पूर्व अर्थात 28-29 मार्च की रात्रि को होलिका दहन किया जाएगा।

इस बार होली पर 500 वर्षों बाद एक बहुत ही दुर्लभ योग बन रहा है. इसके साथ ही दो बहुत ही खास संयोग भी बन रहे हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल होली 29 मार्च 2021 को मनाई जायेगी, इस दिन कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि भी पड़ रही है. साथ ही इसी दिन ध्रुव योग का भी निर्माण भी हो रहा है.  इसी दिन सर्वार्थसिद्धि योग के साथ ही अमृतसिद्धि योग का भी निर्माण हो रहा है. अर्थात इस बार होली सर्वार्थसिद्धि योग के साथ- साथ अमृतसिद्धियोग में मनाई जायेगी. ऐसा दुर्लभ योग 500 साल बाद बन रहा है। इसके पहले यह दुर्लभ योग 03 मार्च 1521 को पड़ा था।
इस बार होली पर ध्रुव योग का निर्माण हो रहा है । चंद्रमा कन्या राशि में गोचर कर रहे हैं तो गुरु और शनि मकर राशि में है. वहीं इस दिन शुक्र और सूर्य मीन राशि में विराजमान होंगे । अन्य ग्रहों की स्थिति मंगल और राहु वृषभ राशि में, बुध कुंभ राशि और मोक्ष के कारण केतु वृश्चिक राशि में विराजमान होंगे. ग्रहों की इस तरह स्थिति के चलते ध्रुव योग का निर्माण होगा ।
ज्योतिष के अनुसार इस तरह से ग्रहों का योग इससे पहले यह 03 मार्च, 1521 को बना था. इस बार होली सर्वार्थसिद्धि योग में मनाई जाएगी । वहीं होली पर अमृतसिद्धि योग भी रहेगा । दशकों बाद होली पर सूर्य, ब्रह्मा और अर्यमा के साक्षी रहेंगे । यह दूसरा दुर्लभ योग है।

वहीं 21 मार्च से होलाष्टक लग लगा जिसके चलते आठ दिनों तक मांगलिक कार्य नहीं होंगे। होलाष्टक होली के आठ दिन पहले से ही लग जाते हैं। होलाष्टक में गृह प्रवेश, मुंडन संस्कार, विवाह संबंधी वार्तालाप, सगाई, विवाह, किसी नए कार्य, नींव आदि रखने, नया व्यवसाय आरंभ या किसी भी मांगलिक कार्य आदि का आरंभ शुभ नहीं माना जाता है।

होली को लेकर बाजार रंगो एवं पिचकारियो से सजने लगा है।हालांकि कोरोना महामारी के फिर से तेज रफ्तार को देखते हुए लोगों को बहुत ही सावधानी बरतनी चाहिए किसी भी प्रकार से लापरवाही से बचना चाहिए।
लोगों को बहुत ही सादगी शांति पूर्ण ढंग से अपने घरों में ही होली का पर्व मनाना उचित होगा साथ ही अपने मिलने वालों से दो गज की दूरी रखने का हर संभव प्रयास करना चाहिए।

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – मार्च 28, 2021 को  02:38 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त – मार्च 29, 2021 को 00:51 बजे
होलिका दहन मुहूर्त – 18:38 से 20:57
29 मार्च को रंग खेल होली।

जनक्रांति प्रधान कार्यालय से प्रकाशक सम्पादक राजेश कुमार वर्मा द्वारा ज्योतिष पंकज झा शास्त्री की ज्योतिष विचार बिहार कार्यालय से प्रकाशित व प्रसारित ।

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