बूढ़ी गंडक तटबंध मरम्मत अभियान की रिपोर्ट को प्रेस वार्ता के माध्यम से बिहार बाढ़ विभीषिका समाधान समिति ने किया जारी

 बूढ़ी गंडक तटबंध मरम्मत अभियान की रिपोर्ट को प्रेस वार्ता के माध्यम से बिहार बाढ़ विभीषिका समाधान समिति ने किया जारी


जनक्रान्ति कार्यालय से ब्यूरो चीफ अनील कुमार यादव की रिपोर्ट 



सितम्बर 2020 में हुए तटबंध निरीक्षण की तस्वीर भी साझा कर दिखाते हुऐ

खगड़िया, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 21 मार्च, 2021 ) । बिहार बाढ़ विभीषिका समाधान समिति ने बूढ़ी गंडक तटबंध मरम्मत अभियान की रिपोर्ट को प्रेस वार्ता आयोजित कर पत्रकारों के साथ जनसंदेश जारी किया। उपस्थित वक्ताओं ने अपने रिपोर्ट में 10 नाज़ुक स्थानों की स्थिति का विवरण किया है एवं सितम्बर 2020 में हुए तटबंध निरीक्षण की तस्वीर भी साझा की गई है, प्रेस वार्ता में खगड़िया एवं बेगुसराय के बीच से गुजरने वाली बूढी गंडक नदी पर बने तटबंध की स्थिति जर्जर है बताया गया कि इन 10 कटानों में से सिर्फ 03 स्थान पर ही अब तक काम शुरू हुआ है, वहीं 07 स्थानों पर कोई काम शुरू नहीं हुआ है, जिन तीन स्थानों पर काम शुरू भी हुआ है वहां सिर्फ मिट्टी से काम हो रहा है, जबकि बोल्डरों से पाट कर बांध को सुरक्षित करने की ज़रूरत है, अन्यथा पिछले साल की तरह ओलापुर और चामराही में हुए अचानक कटाव का सामना करना पड़ सकता है । इस अवसर पर बिहार बाढ़ विभीषिका समाधान समिति के संयोजन समिति के सदस्य उमेश कुमार और सदरे आलम ने प्रेस वार्ता को संबोधित किया, इलाकाई निवासी अलोक कुमार एवं नितिन कुमार ने भी वार्ता को संबोधित किया । तटबंध निरीक्षण समिति के सदस्य साथी नितिन कुमार, साथी मन्नू कुमार, साथी रूपेश और साथी आशीष भी रिपोर्ट को रिलीज़ करने में शामिल थे, प्रेस वार्ता में मांगों को दोहराते हुए कहा गया कि आपदा विभाग बरसात के तुरंत बाद गाँव वासियों को साथ लेकर बांध का निरीक्षण करे, निरीक्षण के बाद बरसात शुरू होने से पहले बांध की मरम्मत इतनी पहले की जाए कि मिट्टी ठीक से जम जाए, जहाँ-जहाँ नदी बांध से सटी है उस जगह को बोल्डर से पाट कर नदी और बांध के बीच दूरी बनाई जाए, बरसात के दौरान हर कटान पर प्रशासन एवं जनता की मिली-जुली कटान निगरानी टीम बनाई जाए।

तटबंध निरीक्षण रिपोर्ट
बगरस, बेगुसराय से खगड़िया रेलवे पुल तक

पीछे साल के रिसाव एवं कटान का विडियो लिंक
भूमिका - पिछली बरसात में बूढ़ी गंडक नदी पर बने बांध में खगड़िया और बेगुसराय जिला में 15 किलो मीटर के अन्दर 3 स्थानों पर रिसाव एवं कटान का सामना किया, जिसे प्रशासन एवं जन सहयोग से काटने से बचा लिया गया. इन घटनाओं का विवरण इस प्रकार है -   
#3/08/2020 – रिसाव, बूढ़ी गंडक, जलकौड़ा बांध, जिला-खगड़िया। 
https://fark-kiya.blogspot.com/2021/03/3-2020.html

#4/08/2020 – अचानक कटान, बूढ़ी गंडक, चंदपुरा के निकट ओलापुर पंचायत, जिला-खगड़िया।
https://fark-kiya.blogspot.com/2021/03/4-2020.html

#17/08/2020 - अचानक कटान, बूढ़ी गंडक, चमराही बांध, बहुआरा पंचायत, बेगुसराय।  
https://fark-kiya.blogspot.com/2021/03/17-2020.html
ऐसी घटनाओं को देखते हुए बिहार बाढ़ विभीषिका समाधान समिति ने बूढ़ी गंडक नदी के जलस्तर घटने के बाद सितम्बर 2020 में बांध निरीक्षण समिति का गठन किया जिसमें साथी नितिन कुमार, साथी मन्नू कुमार, साथी रूपेश, साथी आशीष, साथी सत्यदेव, साथी आलोक, साथी उमेश, साथी विशाल, साथी प्रशांत और साथी लालू थे। बांध निरीक्षण समिति ने बगरस सुलिस  गेट बेगुसराय से लेकर खगड़िया रेलवे पुल तक लगभग 30 किलो मीटर पैदल बांध का  निरीक्षण किया, समिति ने पाया कि बेगुसराय जिला के बखरी ब्लॉक के बगरस सुलिस गेट, राटन, चमराही, साहेबपुर कमाल ब्लॉक के खांरदीरा, रजौरा, गोविन्दपुर, खगड़िया जिला के ओलापुर, चंदपुरा, जलकौड़ा और गंगिया में बांध की हालत जर्जर है एवं कई अन्य इलाकों में बांध मरम्मत की ज़रूरत है। इस विषय पर बिहार बाढ़ विभीषिका समाधान समिति इलाके में हस्ताक्षर और जनसंपर्क अभियान चला रहा है एवं एक प्रतिनिधि मंडल द्वारा इलाके के सभी ब्लॉकों के बीडीओ एवं खगड़िया और बेगुसराय के डी एम को भी ज्ञापन सौंपा जा चुका है। 
हमारी टीम द्वारा इन बांधों के भ्रमण से प्राप्त तथ्यात्मक रिपोर्ट में बांधों की स्थिति इस प्रकार है -
1. सुलिस गेट की स्थिति- यह बाँध बखरी ब्लॉक के राटन पंचायत में स्थित है। समिति ने जब बाँध का निरीक्षण किया तो बाँध की स्थिति बेहद चिंताजनक थी, बांध एक तरह से बदहाल हो चुका है। इस दौरान स्थानीय निवासियों ने बताया कि यहां से मुख्य धारा 2 किलोमीटर की दूरी पर है और यह तीसरा फोरी है। वर्ष 2017 में पानी के तेज बहाव के कारण बांध से रिसाव हुआ और पानी गांव में फैल गया। बोरा में मिट्टी भरकर देने के कारण इस बाँध पर पानी का दवाब बढ़ा जिससे सुलिस गेट कमजोर हुआ और चदरा टेढ़ा हो गया। जबकि इस सुलिस गेट के ऊपर से आने-जाने का रास्ता भी है। अगस्त माह में पानी की अधिकता से फोरी के रास्ते से पानी आने के कारण सुलिस गेट पर दवाब बनता है। स्थानीय लोगों को डर लगा रहता है कि कब गांव में पानी आ जाये। यह गांव बिल्कुल बांध और रोड के किनारे बसा हुआ है। हर एक दो साल में बाढ़ आती है और विभाग यह भी जानता है कि बाँध कब का बना हुआ है, उसकी स्थिति खराब हो गई है। इसलिए सुलिस गेट की मरम्मत करने की जरूरत है।
2. राटन कटान की स्थिति- यह कटान बिल्कुल नदी की उपधारा है। इस भ्रमण के दौरान हमने पाया कि बांन्ध से सटा हुआ एक पीपल का पेड़ है जिसके नीचे से मिट्टी से भरी बोरियाँ और बांस पाइलिंग किया हुआ है। जब पानी का दबाव बढ़ेगा तो यह उस दवाब को रोक नहीं पायेगा। इस तटबन्ध का बचाव सिर्फ पीपल का पेड़ है। इस तटबन्ध के किनारे गांव बसा हुआ है। यहां कटान होने से गांव में पानी फ़ैलने की भी आशंका बनी रहती है। इस कटान से रोड बिल्कुल टूट गई है। गाँव की आबादी लगभग आठ हजार है। इस बाँध की मरम्मत के बगैर गाँव और वहाँ के लोग असुरक्षित हैं। बाँध की मरम्मत के लिए बांध से ऊंची मिट्टी भरकर बोरा और बांस पाइलिंग की जानी चाहिए जिससे कि कटाव रुके।
3.चमराही कटान की स्थिति- यह कटान बहुआरा पंचायत के चमराही गाँव में स्थित है। पिछले वर्ष दिनांक 17 अगस्त 2020 को दोपहर 1:30 बजे तेज बहाव के कारण तटबन्ध के किनारे पेड़ सहित धंसना गिरा (मिटटी का बड़ा टुकड़ा)। इससे तेज गति से मिट्टी का कटाव हुआ और आधा बांध कट गया। जबकि उस बांध पर सड़क बनी हुई है जिस पर हमेशा साधन आते-जाते रहते हैं। पानी की तेज रफ्तार से सड़क के नीचे की मिट्टी कट गई। ग्रामीणों ने गांव को बचाने के लिए बांध के किनारे लगे पेड़ों को काट-काट कर रस्सी में बाँधा और कटाव स्थल को रोकने की कोशिश की। इससे कटाव में कमी आयी, फिर विभागीय कर्मचारी आये। उन्होंने मिट्टी से भरे बोरे लगाए, साथ ही साथ सीमेंटेड पोल भी लगाए जो पेड़ पर अटक गया। तटबन्ध के उत्तर हिस्से में मोइन है जो खगड़िया बखरी रोड से पहले है। यहां की स्थिति काबू नहीं की जाती तो बड़ी धार बनता जिससे चमराही, मुसहरी, नवटोलिया, बहुआरा से सटे बेला सिमरी का बचना मुमकिन नहीं था। यहां की आबादी लगभग 15000 है। जबकि विभागीय ठेकेदार वहीँ रहते हैं इसके वाबजूद भी कटान की स्थिति बनी रहती है। लोगों में अफरा-तफरी का माहौल रहा। लोग घर में खाते थे और हाथ कटान स्थल पर सुखाते थे। जब स्थिति पर काबू हो गया तब जाकर लोगों ने राहत की सांस ली। वहां के लोगों ने बताया कि 6-7 बार ऐसा कटान हुआ है। विभागीय लापरवाही के कारण गांव पर ध्यान नहीं दिया गया है।
4. ओलापुर गंगौर कटान की स्थिति- यह कटान खगड़िया सदर ब्लॉक के ओलापुर गंगौर पंचायत में चंदपुरा गांव के नज़दीक है। हमारी टीम को ग्रामीणों ने बताया कि पानी के तेज बहाव के कारण 04 अगस्त 20 को मिट्टी का धसना गिरा। लगातार 3 बार धसना गिरा तब ग्रामीणों को जानकारी मिली, तब तक बाँध सिर्फ 1 हाथ बचा था। लोगों ने पेड़ काटकर और बोरा में मिट्टी भरकर बांन्ध पर रखा और कटाव स्थल पर दिया तो कटाव में कमी हुई। उस दिन लगभग 8:30 बजे रात्रि में कटान स्थल पर डी. एम. और एस. पी. ने अपनी मौजूदगी में फ्लड फाइटिंग कर्मचारी से काम करवाया और ग्रामीणों के साथ मिलकर स्थिति पर काबू किया। अगले 2 दिनों तक बांस पाइलिंग और मिट्टी से भरे बोरे डाले गए। इस कटान पर पड़ोस के गांव के लोगों ने भी काफी मदद की। उस रात्रि में लगभग 2000 लोग कटान के स्थिति को देखने आए और मिट्टी से भरी बोरियाँ भी डलवाई। जबकि उस रात्रि में तेज हवा और पानी उफान पर था। पास सटे गांव चंदपुरा, ओलापुर गंगौर से लेकर शोभनी, जलकौड़ा, लाभगांव तक के लोगों का जमावड़ा हो गया था। बांध के करीब खगड़िया-बखरी रोड है जो दो जिलों को जोड़ती है। लोगों ने कहा कि उस समय कटान पर काबू नहीं करते तो निचले हिस्से और गांव के बीचो बीच नदी की मुख्यधारा में तब्दील हो जाती और लोगों को वहां से गना पड़ता।
05. बांध और नदी के पास चंदपुरा हॉस्पिटल - इस कटान से साफ दिखता है कि बांध से सटी मुख्यधारा है और उसके पार ही हॉस्पिटल, महावीर मंदिर, शिव मंदिर रोड, और पश्चिम दिशा के कुछ दूरी पर मिड्ल स्कूल स्थित है। यह गांव के धरोहर हैं। उस जगह कटाव होने की संभावना थी। इस कटान से गांव में सीधे तौर पर एक दूसरी नदी बन जाती। गांव को बचाने के लिए तीन बार बाँध को पीछे किया गया। फिर भी नदी बांध के नज़दीक आ गई है। लोगों ने जानकारी दी कि यहां नदी दक्षिण और उत्तर दिशा में और हॉस्पिटल के पास पूरब और पश्चिम दिशा में बहती है, जो खतरनाक है। जिसके कारण हॉस्पिटल के पास कटने का खतरा बना रहता है। हॉस्पिटल से थोडा पूरब नदी के उत्तर दिशा में एक बड़ा गढ्ढा है, उस जगह कटान होता तो गांव के बीचोबीच धार बनती। लेकिन पानी का घटना अचानक शुरू हुआ जिसके कारण कटान नहीं हुआ। यहां की आबादी लगभग 15000 है। इससे यहां का जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता। इस गांव को बचाने में ग्रामीण युवाओं की भूमिका अहम है। इस कटान से कठौरा, खर्राधार सीधे चपेट में आ जाता।
06. जलकौड़ा कटान की स्थिति - यह कटान खगड़िया ब्लॉक के जलकौड़ा पंचायत की छोटी चौक के पास है। हमारी टीम को ग्रामीणों ने बताया कि 3 अगस्त 20 को यहाँ रिसाव हुआ। वहां से गुज़र रहे ग्रामीण ने उसे देखा। फिर शोर हो गया, तो ग्रामीणों ने जलकौड़ा के मुखिया तथा सामाजिक लोगों ने विभाग को जानकारी दी। उसके बाद विभाग ने रिसाव पर काम किया तो रिसाव बंद जो गया। इस रिसाव पर काम नहीं होता तो यह इलाका पानी की चपेट में आ जाता तथा एक नई धार बन जाती। इस गांव की आबादी के साथ-साथ ग्रामीण धरोहर भी समाप्त हो जाती। इस रिसाव से जलकौड़ा, गहटारा तथा निचले हिस्से शोभनी, रामनगर मठ भी प्रभावित होते। इस जगह पर बार-बार खतरा रहता है। इस जगह पर काफी संख्या में पेड़ है जिसके कारण कटान नहीं हुआ। जबकि पिछले समय में लगभग 04 बार कटान की संभावना बनी थी लेकिन ग्रामीणों की मेहनत और एकता के बल पर कटान बचा लिया। यह कटान मुख्य धारा से सटा है। इस कटान पर ध्यान देने की जरूरत है।
07. गंगिया की स्थिति- यह तेताराबाद पंचायत में स्थित है। यहां से मुख्यधारा थोड़ी दूर पर है। आसपास के लोगों ने बताया कि तेज बहाव के कारण बांध पर धसना गिर जाने के कारण आधा तटबन्ध कट गया। वहां के ग्रामीणों ने अपने भरोसे बांध को बचाया। पिछले कुछ सालों से यह बांध इस हालत में है लेकिन प्रशासन ने मिट्टी तक नहीं दी। 03 साल पहले गांव कटते-कटते बचा है। ग्रामीणों ने बांध को बचाने के लिए बांध के किनारे झलासी (पेड़ की टहनियां) रखी जिससे कि धसना नहीं गिरे। इस गांव की आबादी लगभग 06 हजार है। यह गांव रोड से लगभग 02 किलोमीटर दूरी पर है। बांध से कुछ दूर मध्य विद्यालय है। यहां कटान होती तो गांव बर्बाद हो जाता। यहां के लोगों की आय का मुख्य स्रोत खेती और पशुपालन है। बाँध टूटने से फसल की और पशुपालन में परेशानी होती जिससे लोगों के जीवन में काफी मुश्किलें आती। इस गांव के कटने से गंगिया, मनबोटोल, शोभनी, लाभ गांव और रामनगर मठ प्रभावित होता।
08. खांर दीरा की स्थिति- यह कटान बेगुसराय जिला के साहेबपुर कमाल ब्लॉक के बिष्णुपुर आहोक पंचायत में है। यहां के ग्रामीणों द्वारा जानकारी मिली कि यहां बाँध पर मिट्टी दिए हुए कई वर्ष हो चुके हैं। लगभग 500 मीटर पर आबादी है। यह गांव बिल्कुल खेतिहर मजदूरों का गांव है। यह गांव मैंन रोड से लगभग 3 किलोमीटर दूर है। इस गांव की आय के मुख्य स्रोत खेती और पशुपालन है। यहां मुख्यधारा के इस पार मोइन है जो भीमा मोइन के नाम से जाना जाता है। कटान होने से धार में तब्दील हो जाती तो पूरा गांव बर्बाद हो जाता। इससे लाभगांव, सौराय डीह के ग्रामीणों पर असर होता।
09. रजौरा बांध की स्थिति - यह बांन्ध  बेगुसराय जिला के साहेबपुर कमाल ब्लॉक के बिष्णुपुर आहोक पंचयात में है। यह बांध आबादी से लगभग 1.5  किलोमीटर पर है। यहाँ कई वर्षों से मिट्टी नहीं दी गई है। यहां की आय के स्रोत खेती एवं पशुपालन है। यहां की आबादी लगभग 8000 है। बीच बांध में बरसात के कारण गढ्ढे हैं जिस कारण इस गढ्ढे से रिसाव होने की संभावना है। जिससे बांध कटने का डर है। इस कटान से रजौरा, आहोक, दाढ़ी मोड़ एवं इस से निचे के इलाके को प्रभावित होने का डर है। जिससे जीवन अस्त-व्यस्त हो सकता है।
10. गोविंदपुर की स्थिति- यह तटबन्ध बेगुसराय जिला के साहेबपुर कमाल ब्लॉक के विष्णुपुर आहोक में है। यहाँ पास में ही आबादी है। नदी के किनारे पेड़ है। थोड़ा बोल्डर दिख रहा है। बाकी बोल्डर पानी के तेज बहाव के कारण नहीं है। अगर तेज धार बहाव होगा तो बांध कट जाएगा। जिस कारण गांव प्रभावित होगा। यहां की आमदनी का जरिया खेती एवं पशुपालन है। यह गांव खगड़िया से सटा गांव है जो बेगुसराय में है। रोड से थोडा दूर है। यहां कटान होगा तो खगड़िया जिला के खगड़िया ब्लॉक के कासिमपुर पंचायत के काशिमपुर, मधुआ, धुनिमा के साथ साथ गोविंदपुर, नवटोलिया, पर असर होगा, यह गांव यातायात संसाधन से दूर हो जाएगा। ग्रामीण पैदल चलकर खगड़िया रोड पर आने के बाद खगड़िया शहर पहुचेंगे।

जनक्रान्ति प्रधान कार्यालय से ब्यूरो चीफ अनील कुमार यादव की रिपोर्ट बिहार कार्यालय पटना से प्रकाशक/सम्पादक राजेश कुमार वर्मा द्वारा प्रकाशित व प्रसारित ।

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