होली विशेष... अध्यात्मिक विचार होली पर क्या करे और क्या न करे

 होली विशेष...

   अध्यात्मिक विचार होली पर क्या करे और क्या न करे

जनक्रान्ति कार्यालय से नागेंद्र कुमार सिन्हा द्वारा सम्प्रेषित विचार




अध्यात्म डेस्क ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 27 मार्च, 2021 ) । होली का दिन चंद्रमा का प्रागट्य दिन है । जो लोग सदा किसी न किसी दुःख से पीड़ित रहते हो , तो दुःख और शोक दूर करने के लिए विष्णु-धर्मोत्तर ग्रंथ में बताया है कि होली के दिन भगवान के भूधर स्वरुप अर्थात पृथ्वी को धारण करनेवाले भगवान का ध्यान और जप करना चाहिये । मंत्र बोलना चाहिये होली के दिन इनका विशेष माहात्म्य और फायदे है -
।।ॐ भूधराय नम:..... ॐ भूधराय नम: ..... ॐ भूधराय नम: ।।
और नीचे श्लोक एक बार बोलना और भगवान को, गुरु को विशेषरूप से प्रणाम और पूजन कर लें –
धरणीम् च तथा देवीं अशोकेती च कीर्तयेत् ।
यथा विशोकाम धरणी कृत्वान्स्त्वां जनार्दन: ।।
( हे भगवान जब जब भी पृथ्वी देवी असुरों से पीड़ित होकर आपको पुकारती है , तब तब आप राक्षसों का वध करते है और पृथ्वी को धारण करके उसका शोक दूर कर देते है । ऐसे आप भगवान मेरे भी शोक, दुःख आदि का हरण करे और मुझे धारण करें । ) खाली होली के दिन ये करें ।
और होली की रात को चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिये । जिनके घर में पैसों की तंगी रहती है, आर्थिक कष्ट सहना पड़ता है, तो होली को रात दूध और चावल की खीर बनाकर चंद्रमा को भोग लगाये । पानी, दूध, शक्कर, चावल मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य दे , और दिया जलाकर दिखायें व थोड़ी देर चंद्रमा की चाँदनी में बैठकर गुरुमंत्र का जाप करें और प्रार्थना करें की हमारे घर का जो आर्थिक संकट है वो टल जायें, कर्जा है तो उतर जाये ।  होली की रात फिर बैठकर जाप करें बहुत फायदा होगा ।  चंद्रमा उदय होने पर चंद्रमा में भगवान विष्णु, लक्ष्मी और सूर्य की भावना करके अर्घ्य देना चाहिये , कि सामने भगवान विष्णु ही बैठे है । भगवान ने गीता में कहा ही है कि नक्षत्रों का अधिपति चन्द्रमा मैं ही हूँ । ये शास्त्रों की बात याद रखे कि दुःख की और कर्जे की ताकत नहीं कि उस आदमी के सिर पर बना रहे ।
श्रीर्निषा चन्द्र रुपस्त्वं वासुदेव जगत्पते ।
*मनोविलसितं देव पूर्यस्व नमो नमः ।।
🌷 ॐ सोमाय नम:
🌷 ॐ नारायणाय नम:
🌷 ॐ श्रीं नम:
🙏🏻 लक्ष्मीजी का मंत्र – ॐ श्रीं नम: होली की रात घर मे आर्थिक परेशानी को दूर भगाने वाला ये सरल प्रयोग है ।
होली में क्या करें....
होली की रात्रि चार पुण्यप्रद महारात्रियों में आती है। होली की रात्रि का जागरण और जप बहुत ही फलदायी होता है।
➡ ऋतु-परिवर्तन के 10-20 दिनों में नीम के 15 से 20 कोमल पत्तों के साथ 2 काली मिर्च चबाकर खाने से वर्ष भर आरोग्य दृढ़ रहता है। बिना नमक का भोजन 15 दिन लेने वाले की आयु और प्रसन्नता में बढ़ोतरी होती है।
होली के बाद खजूर खाना मना है।
👉🏻 बाजारू केमिकलों से युक्त रंगों के बदले पलाश के फूलों के रंग से अथवा अन्य प्राकृतिक रंगों से होली खेलनी चाहिए। इससे सप्तरंगों व सप्तधातुओं का संतुलन बना रहता है।
👉🏻 अन्य कुछ प्राकृतिक रंगः मेंहदी पाऊडर के साथ आँवले का पाऊडर मिलाने से भूरा रंग। चार चम्मच बेसन में दो चम्मच हल्दी पाऊडर मिलाने से अच्छा पीला रंग बनता है। बेसन के स्थान पर आटा, मैदा, चावल का आटा, आरारोट या मुलतानी मिट्टी का भी उपयोग किया जा सकता है।*
👉🏻 दो चम्मच हल्दी पाउडर दो लीटर पानी में डालकर अच्छी तरह उबालने से गहरा पीला रंग प्राप्त होता है।
🍏 आँवला चूर्ण लोहे के बर्तन में रात भर भिगोने से काला रंग तैयार होता है।

🙏🏻 क्या करें क्या न करें पुस्तक से साभार
🌷 मंत्र – साफल्य दिवस : होली🌷
🙏🏻 होली के दिन किया हुआ जप लाख गुना फलदायी होता है | यह साफल्य – दिवस है, घुमक्कड़ों की नाई भटकने का दिन नहीं है, मौन रहना, उपवास पर रहना, फलाहार करना और अपना-अपना गुरुमंत्र जपना ।
इस दिन जिस निमित्त से भी जप करोंगे वह सिद्ध होगा । ईश्वर को पाने के लिए जप करना | नाम –जप की कमाई बढ़ा देना ताकि दुबारा माँ की कोख में उल्टा होकर न टंगना पड़े | पेशाब के रास्ते से बहकर नाली में गिरना न पड़े । होली के दिन लग जाना लाला- लालियाँ ! आरोग्य मंत की भी कुछ मालाएँ कर लेना ।

अच्युतानन्तगोविन्द नामोच्चारणभेषजात ।
नश्यन्ति सकला रोगा: सत्यं सत्यं वदाम्यहम ।।

‘'हे अच्युत ! हे अनंत ! हे गोविंद ! – इस नामोच्चारणरूप औषधि से तमाम रोग नष्ट हो जाते है, यह मैं सत्य कहता हूँ, सत्य कहता हूँ । ’ (धन्वंतरि महाराज) ।
दोनों नथुनों से श्वास लेकर करीब सवा से डेढ़ मिनट तक रोकते हुए मन–ही–मन दुहराना –


🌷नासै रोग हरै सब पीरा । जपत निरंतर हनुमत बीरा ।।


फिर ५० से ६० सेकंड श्वास बाहर रोककर मंत्र दुहराना । इस दिन जप-ध्यान का फायदा उठाना, काम-धंधे तो होते रहेंगे ।  अपने-अपने कमरे में गोझरणमिश्रित पानी से पोछा लगाकर  थोडा गंगाजल छिडक के बैठ जाना ।  हो सके तो इस दिन गोझरण मिला के स्नान कर लेना ।  लक्ष्मी स्थायी रखने की इच्छा रखनेवाले गाय का दही शरीर पर रगड़के स्नान कर लेना । लेकिन वास्तविक तत्त्व तो सदा स्थायी है, उसमें अपने ‘मैं’ को मिला दो बस, हो गया काम ।
ब्रम्हचर्य-पालन में मदद के लिए “ॐ अर्यमायै नम:” मंत्र का जप बड़ा महत्त्वपूर्ण है ।


जनक्रान्ति प्रधान कार्यालय से अध्यात्मिक विचार नागेंद्र कुमार सिन्हा द्वारा सम्प्रेषित प्रकाशक/सम्पादक राजेश कुमार वर्मा द्वारा प्रकाशित व प्रसारित ।
         

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