महिला सशक्तिकरण महिलाओं, समाज सेवी संगठनों और सरकार के प्रयास से ही सम्भव - अजीत सिन्हा

 महिला सशक्तिकरण महिलाओं, समाज सेवी संगठनों और सरकार के प्रयास से ही सम्भव - अजीत सिन्हा

 
जनक्रान्ति कार्यालय रिपोर्ट
 

प्रस्तावित नेताजी सुभाष पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक सह प्रवक्ता अजीत सिन्हा


राँची,झारखंड ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 08 मार्च, 2021 ) । प्रस्तावित नेताजी सुभाष पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक सह प्रवक्ता अजीत सिन्हा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय जगत की महिलाओं को उनके 'महिला दिवस' पर उन्हें हृदय से बधाई देते हुये महिलाओं के सशक्तिकरण हेतु शुभकामनाएं प्रकट करते हुए कहा कि यदि सही मायनों में महिला सशक्तिकरण हेतु महिलाओं को आगे बढ़ना है तो पहले उन्हें स्वयं ही आगे बढ़कर प्रयास करनी होगी और इसकी शुरुआत अपने घर से ही करनी होगी और इसके लिए उन्हें दूसरे घर की बहू - बेटियों को अपना समझना होगा और सबसे पहले दहेज रूपी दानवी शक्तियों से निपटने हेतु अपने आपको मानसिक रूप से तैयार करना होगा और खासकर बेटों वाली माताओं को अपना हृदय परिवर्तित कर दूसरे घर की बेटियों को बहु होते हुये भी अपनी बेटी स्वरुप में स्वीकार करनी होगी और वो भी बिना दहेज और लालच के। क्योंकि दहेज के लिए किसी भी परिवार का पुरुष वर्ग जितना जिम्मेदार है उतनी ही माताएँ भी।
आगे अजीत सिन्हा ने कहा कि लोकतंत्र में लोकतांत्रिक पद्धति के अंतर्गत महिलाओं को उतनी ही अधिकार प्राप्त है जितनी पुरुष वर्ग और कहीं - कहीं पर तो पुरुष से भी ज्यादा इसलिये भारत की महिलाओं को अपने आपको कमजोर समझने की जरूरत नहीं है हालांकि महिलाओं में शिक्षा का प्रतिशत पुरुषों की अपेक्षा कम ही है इसलिये उन्हें अपने अधिकार और मिली कानूनी समझ की जानकारी कम है और इसके लिये उन्हें अपनी बेटियों को भी बेटों के बराबर समान शिक्षा देने हेतु तत्पर रहनी चाहिए ताकि आगे चलकर बेटियाँ भी स्वावलंबी बन सके और अपने ऊपर होने वाले जुल्म - सितम को मिटाने हेतु अपनी लड़ाई स्वयं लड़ के और सामाजिक सशक्तीकरण में अपनी महत्वपूर्ण योगदान दे सके l

आर्थिक स्वावलंबन हेतु महिलाओं को अपने परिवार के भरण - पोषण का ख्याल रखते हुये कुटीर उद्योग का भी सहारा लेनी चाहिए जैसे पापड उद्योग, अचार उद्योग, मसाला उद्योग, कटोरी - दोना उद्योग, फूल बत्ती उद्योग, अगरबत्ती उद्योग, कपूर उद्योग इत्यादि का सहारा लेकर घर की महिलाएं अपने आपको आर्थिक रूप से स्वावलंबी हो सकती हैं और अत्याधिक पढ़ी - लिखी बेटियाँ पुरुषों के साथ कंधा से कंधा मिलाकर हर क्षेत्र में अपनी सशक्तिकरण की परचम को लहरा सकती हैं और देखा जाये तो आजकल हर क्षेत्र में महिलाएं कमोबेश साथ में हैं लेकिन उनकी प्रतिशत कम है और इसकी प्रमुख वज़ह लड़कों के मुकाबले ल़डकियों का जन्म दर कम होना तो है ही साथ में अधिकतर घर की बेटियों को वे सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं जैसा कि उन्हें मिलनी चाहिये। और इस स्तिथि को घर की महिलाएं यदि चाहें और प्रयास करें तो ठीक कर सकती हैं।
अंत में अजीत सिन्हा ने कहा कि आज देखा जाये तो सोशल मीडिया के माध्यम से काफी घरेलु महिलाये अपना ज्ञान अर्जन कर रही हैं और वे चाहती भी हैं कि अपनी घर सम्भालने के साथ-साथ कुछ और करें लेकिन थोड़ी हिम्मत की कमी है और यह हिम्मत घर के पुरुष वर्ग चाहें तो दे सकते हैं और उन्हें देनी भी चाहिये क्योंकि अब समय बदल रहा है और इस बदलाव में महिलाओं की भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिए पुरुष वर्ग को आगे आना ही होगा लेकिन इस प्रयास में घर के माहौल में प्रेम की कोई कमी नहीं होनी चाहिए क्योंकि जहां प्रेम होता है वहीं लक्ष्मी का वास होता है और जीवन की राहें आसान हो जाती हैं l

 

जनक्रान्ति प्रधान कार्यालय से प्रकाशक/सम्पादक राजेश कुमार वर्मा द्वारा समस्तीपुर कार्यालय से प्रकाशित व प्रसारित । 

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