निजीकरण के विरोध में राष्ट्रव्यापी बैंक हड़ताल का आज दूसरा दिन

 निजीकरण के विरोध में राष्ट्रव्यापी बैंक हड़ताल का आज दूसरा दिन 

जनक्रान्ति प्रधान कार्यालय से अमरदीप नारायण प्रसाद की रिपोर्ट 

समस्तीपुर में सभी बैंकों ने शहर से लेकर गांव तक सभी बैंकों और ATM को बंद रखा और शहर में जुलुस निकाला 

समस्तीपुर,बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 16 मार्च, 2020 ) । निजीकरण के विरोध में राष्ट्रव्यापी बैंक हड़ताल का समस्तीपुर में आज दूसरा दिन । बताते है कि समस्तीपुर में सभी बैंकों ने शहर से लेकर गांव तक सभी बैंकों और ATM को बंद रखा और शहर में जुलुस निकाला और निजी बैंको को भी इसके विरोध में आने का आग्रह किया। बैंक और ATM बंद होने से आम लोगो को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा और जो इलाज के लिए गांवो से आए उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

इस बैंक हड़ताल से लगभग 200 करोड़ का बिजिनेस प्रभावित हुआ है।


इसमें अधिकांश वैसे ही चेहरे हैं जिन्होंने निजीकरण के नायक को गुजरात से दिल्ली पहुंचाया है और आज भी यही लोग हैं जो कहते हैं कि पेट्रोल और डीजल के मूल्य वृद्धि पर हाय तौबा क्यों मचा रहे हो । समझो देश हित में 15 से 20 रुपया चंदा दे रहे हैं ।
 ऐसे में इनके इस आन्दोलन का क्या मतलब है ..?? यह सवाल मेरा नहीं है ॥  यह सवाल इस देश की जनता का है..?? जो इनके आंदोलन को देशद्रोह मान रही है ॥ क्योंकि जनता का कहना है कि बैंक बंदी से देश को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है और वह भी ऐसे समय में जब देश आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है, ऐसे में इन लोगों पर देशद्रोह का मुकदमा क्यों नहीं दर्ज होना चाहिए ।


हालांकि इस सवाल के साथ मैं खड़ा नहीं हूं लेकिन कल तक जो किसान आंदोलन पर उपहास उड़ा रहे थे उन पर देश कैसे भरोसा करे कि ये बैंक के निजीकरण को लेकर जो कह रहे हैं वो सही है ।क्यों कि आंदोलनकारी जमात में ज्यादा ऐसे लोग हैं जिनका मानना है कि सरकार का काम व्यापार करना नहीं है तो फिर बैंक के निजीकरण का विरोध क्यों सवाल उठ रहा है तो आंदोलनकारी बैंकर्स को जवाब तो देना चाहिए।
   राजद के विधान परिषद सदस्य के ने विधान परिषद में सवाल भी उठाया लेकिन सरकार इसको कोई तवज्जो नहीं दिया ।
 मैंने लोगो से पूछा वोट क्यों दिये थे तो लोगो ने कहा विकल्प नहीं था, तो मैंने कहा तो फिर इसी तरह जान देते रहिए जब तक विकल्प सामने नहीं आता है।
 ये स्थिति है मुझे लगता है जब तक इस बीमारी से हम लोग बाहर नहीं निकलेंगे मुझे नहीं लगता है कि कोई बदलाव होने वाला है ।

जनक्रान्ति प्रधान कार्यालय से प्रकाशक/सम्पादक राजेश कुमार वर्मा द्वारा अमरदीप नारायण प्रसाद की रिपोर्ट प्रकाशित व प्रसारित ।

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