खास रिपोर्ट : बिहार सरकार की विशेष निगरानी इकाई बन बैठा है क्यों खामोश कह रही है आज पीड़ित जनता

 खास रिपोर्ट : 

बिहार सरकार की विशेष निगरानी इकाई बन बैठा है क्यों खामोश कह रही है आज पीड़ित जनता  

सीएम साहब मुकदमा छपा जब्ती से देश दुनिया में खूब हुई थी आपकी वाहवाही उसी विशेष निगरानी इकाई को कर दिया गया खामोश

विधि संवाददाता रवि शंकर चौधरी समस्तीपुर

पटना, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 07 अप्रैल, 2021 ) ।  सीएम साहब मुकदमा छपा जब्ती से देश दुनिया में खूब हुई थी आपकी वाहवाही । उसी विशेष निगरानी इकाई को कर दिया गया क्यों आज खामोश । बताते हैं कि बिहार में घूसखोरी से आमंत्रित है सरकारी सिस्टम । सिस्टम में नीचे से लेकर ऊपर तक करप्शन का बोलबाला है ।  सरकार दावे करती है कि भ्रष्टाचारियों पर प्रहार किया जा रहा हैं । रिश्वत खोरोंं को गिरफ्तार करने के साथ-साथ उनकी संपत्ति जप्त करने की कार्रवाई भी की जा रही है । लेकिन सुशासन की सरकार का यह दावा पूरी तरह से खोखला साबित होता जा रहा है ।  सरकार ने घूसखोर सरकारी सेवकों को पकड़ने जांच करने या अकूत संपत्ति अर्जित करने वाले अधिकारी कर्मियों पर कार्रवाई के लिए दो खास यूनिट बनाया है । पहला निगरानी अन्वेषण ब्यूरो

और दूसरा विशेष निगरानी इकाई सुशासन की सरकार के दूसरे यूनिट के सुस्त होने से सवाल खड़े होने लगे हैं कि जब कोई कार्रवाई ही नहीं करनी है तो फिर इसके गठन का मतलब क्या रह जाता हैं..?

अफसरों के भ्रष्ट कारनामों की जांच के लिए हुआ का गठन

नीतीश सरकार ने विशेष निगरानी इकाई की स्थापना बड़े घूसखोर अधिकारी को पकड़ने जो बड़े अधिकारी अवैध संपत्ति अर्जित कर रखे हैं उन पर एक्शन लेने के लिए बनाई थी लेकिन विशेष निगरानी इकाई का अब कोई मतलब ही नहीं है ऐसा इसलिए क्योंकि इस यूनिट ने काफी समय से कोई कार्यवाही नहीं की है निगरानी विभाग की जो सूची है उसके अनुसार विशेष निगरानी यूनिट 2019 के बाद कोई केस दर्ज नहीं किया गया है । विशेष निगरानी इकाई ने वर्क 2018 मे दो बड़ी कारवाई की थी एक आईएएस अधिकारी दीपक आनंद पर और एक आईपीएस अधिकारी विवेक कुमार पर वही 2019 में एक केस दर्ज हुआ 2019 में ए्सवीं यु ने उद्योग विभाग के संयुक्त निर्देशक संजय कुमार सिंह के खिलाफ केस दर्ज कर छापेमारी की थी ।

2019 के बाद खामोस है यूनिट

2019 के बाद सुशासन की सरकार  या यूनिट पूरी तरह से खामोश है ऐसा नहीं कि बड़े अधिकारियों के खिलाफ शिकायत नहीं मिलती या फिर बिहार में रामराजा गया है ऐसा बिल्कुल नहीं फिर भी विशेष निगरानी इकाई ने 02 सालों में कोई कार्रवाई नहीं की निगरानी विभाग की तरफ से एक 30 दिसंबर 2020 तक के जो आंकड़े जारी किए गए हैं उसके अनुसार इस इकाई 02 सालों से पूरी तरह से सोई हुई है विशेष निगरानी इकाई ने 2018 मे दो बड़ी कारवाई कर हलचल मचा दी थी इसमें मुजफ्फरपुर के तत्कालीन एसपी विवेक कुमार के खिलाफ केस दर्ज कर छापेमारी शुरू की थी विवेक कुमार वर्तमान में बीएमपी वन के समझता है इनके खिलाफ वर्तमान में भी अनुसंधान जारी है वहीं दूसरी बड़ी कार्यवाही आईएएस अधिकारी और पंचायती राज विभाग के तत्कालीन निर्देशक दीपक आनंद के खिलाफ केस दर्ज कर छापेमारी की थी इसके खिलाफ भी जो केस दर्ज हुआ था उसका अनुसंधान जारी है

अब तक दर्ज किए गए 21 केस 

अगर विशेष निगरानी इकाई द्वारा दिसंबर 2020 तक दर्ज केस की बात करें तो सबसे अधिक  गृह विभाग के अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज की गई । गृृृह विभाग के 04 अधिकारी के खिलाफ इस यूनिट ने कार्रवाई की है । वही लघु सिंचाई विभाग में 03 स्वास्थ्य विभाग में 1 पथ निर्माण विभाग 02 राजभाषा विभाग 01 पशुपालन विभाग 01 निबंधन एवं उत्पाद विभाग 01 वाणिज्य कर विभाग 02 सामान्य प्रशासन विभाग 02 नगर विकास विभाग 01 वन एवं पर्यावरण विभाग 01 कृषि विभाग 01 उद्योग विभाग के 01 पदाधिकारी शामिल है । तब सीएम नीतीश ने खूब वाहवाही लूटी थी ।

बता दे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्पेशल विजिलेंस यूनिट की स्थापना की थी इस यूनिट ने डीजीपी रैंक के अधिकारी और एक आईएएस अधिकारी पर एक्शन ले कर और उनका मकान जप्त करवा कर देशभर में वाहवाही लूटी थी इसी यूनिट की कार्रवाई के बाद पूर्व डीजीपी नारायण मिश्रा की एक करोड़ 44 लाख की अवैध संपत्ति जप्त कर ली गई और सरकार ने उस मकान में स्कूल खोल दिया था । तब सीएम नीतीश कहां करते थे कि चाहे कितने भी बड़े भ्रष्टाचारी हो उन पर कार्रवाई होगी और संपत्ति जप्त कर स्कूल खोले जाएंगे । लेकिन अब वही विशेष निगरानी इकाई सोई हुई है । बताया जाता है कि उसके उनके पास काम करने वाले हाथों की बहुत कमी हो गई है । ऐसा लगता है कि सरकार को स्पेशल विजिलेंस यूनिट से कोई मतलब नहीं रहा अब शायद ऐसा ही लगता है। 

जनक्रान्ति प्रधान कार्यालय से स्टेट विधि चीफ ब्यूरो रविशंकर चौधरी अधिवक्ता की रिपोर्ट बिहार कार्यालय से प्रकाशित व प्रसारित ।

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