पंचायतों को नौकरशाही के हाथों में सौंपने की कोशिश के खिलाफ माले ने किया प्रदर्शन

  पंचायतों को नौकरशाही के हाथों में सौंपने की कोशिश के खिलाफ माले ने किया  प्रदर्शन

जनक्रांति कार्यालय रिपोर्ट 


               हाथों में बैनर थाम प्रदर्शन करते हुऐमाले नेता

समस्तीपुर,बिहार ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 30 मई 2021)। पंचायतों को नौकरशाही के हाथों सौंपने की भाजपा- जदयू के नीतीश सरकार की कोशिश के खिलाफ राज्यव्यापी आह्वान के तहत रविवार को भाकपा माले कार्यकर्ताओं ने शहर के विवेक-विहार मुहल्ला में प्रदर्शन किया । 


 पंचायत का कार्यकाल 6 माह आगे बढ़ाने वाला अध्यादेश लाने, लोकतांत्रिक अधिकारों की हत्या बंद करने, कोविड महामारी से लड़के को पंचायत का अधिकार बढ़ाने आदि मांगों से संबंधित नारे लिखे कार्डबोर्ड, झंडे, बैनर अपने-अपने हाथों में लेकर माले कार्यकर्ताओं द्वारा सरकार विरोधी नारे लगाये जा रहे थे । 

  मौके पर माले जिला कमिटी सदस्य सुरेन्द्र प्रसाद सिंह, बंदना सिंह, सुनील कुमार, समेत नीलम देवी, आइसा के लोकेश राज, दीपक यादव, दीपक यदुवंशी,आदि कार्यकर्ता उपस्थित थे ।


अपने अध्यक्षीय संबोधन में माले नेता सुरेन्द्र प्रसाद सिंह ने कहा है कि 15 जून को पंचायतों का कार्यकाल खत्म हो रहा है । माले ने बिहार सरकार से लगातार मांग की है कि इस घोर संकट के दौर में पंचायतों के कार्यकाल को 06 माह के लिए बढ़ाया जाना चाहिए लेकिन सरकार उलटे अध्यादेश लाकर पंचायतों के तमाम अधिकार नौकरशाही को सौंपना चाह रही है । यह पूरी तरह से आत्मघाती कदम साबित होगा। हमारी पार्टी इस अलोकतांत्रिक निर्णय का विरोध करती है ।


 उन्होंने आगे कहा कि कोविड-19 के दूसरे हाहाकारी दौर में जब स्वास्थ्य व्यवस्था नकारा साबित हुई है, तब लोगों की व्यापक भागीदारी से ही इस त्रासदी से उबरना सम्भव हो सकता है। लेकिन यह दुर्भाग्य है कि आज सबकुछ नौकरशाही के जिम्मे छोड़ा जा रहा है और अब पंचायती कामकाज भी उन्हीं के हवाले किया जा रहा है। यह लोकतांत्रिक संस्थाओं को खत्म करने का प्रयास तो है ही साथ ही यह भी प्रश्न उठता है कि क्या पहले से ही कई प्रकार के अतिरिक्त बोझ का वहन कर रही नौकरशाही इस जिम्मेवारी को निभा पाएगी..? 

      उन्होंने आगे कहा कि पंचायती राज व्यवस्था के जनप्रतिनिधि जनता से सीधे जुड़े लोग हैं और कोविड-19 के संक्रमण की रोकथाम और सर्वव्यापी टीकाकरण अभियान में उनकी भूमिका व उनका अनुभव विशेष महत्व रखता है। फिर सरकार इस तंत्र का उपयोग क्यों नहीं करना चाह रही है..? इस तंत्र के जरिए एक निश्चित अवधि के भीतर टीकाकरण की पूरी प्रक्रिया पूरी की जा सकती है और कोविड को लेकर गांव-गांव जागरूकता अभियान भी चलाया जा सकता है, जिसकी अभी सबसे ज्यादा आवश्यकता है। इसलिए हमारी मांग है कि सरकार नौकरशाही के जिम्मे पंचायतों के तमाम कामकाज सुपुर्द करने वाला अध्यादेश लाने की बजाय पंचायतों के कार्यकाल को 06 महीना बढ़ाने वाला अध्यादेश लाए और लोकतांत्रिक प्रक्रिया की विश्वसनीयता को बहाल रखने की गारंटी करे । 

जनक्रांति प्रधान कार्यालय से प्रकाशक/सम्पादक राजेश कुमार वर्मा द्वारा कार्यालय रिपोर्ट प्रकाशित व प्रसारित ।

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