दशा-पद्धति के अनुसार पुर्णिमा के समय जन्मेंं बच्चे का जन्म भविष्य

 दशा-पद्धति के अनुसार पुर्णिमा के समय जन्मेंं बच्चे का जन्म भविष्य

जनक्रांति कार्यालय से ज्योतिष पंकज झा शास्त्री की विचार 

                               ज्योतिष पंकज झा शास्त्री

दरभंगा/मधुबनी,बिहार ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 22 मई,2021) । दशा-पद्धति के अनुसार यदि पूर्णिमा के समय बच्चे का जन्म हो तो बचपन में स्वास्थ्य की मजबूती और प्यार-दुलार का वातावरण मिलने के कारण उनका मनोवैज्ञानिक विकास काफी अच्छा होता हैं। इसके विपरित, अमावस्या के समय जन्म लेनेवाले बच्चे में स्वास्थ्य या वातावरण की गड़बड़ी से मनोवैज्ञानिक विकास बाधित होते देखा गया है। बच्चे के जन्म के समय बुध ग्रह की स्थिति मजबूत हो तो विद्यार्थी जीवन में उन्हें बौद्धिक विकास के अच्छे अवसर मिलते हैं । विपरित स्थिति में बौद्धिक विकास में कठिनाई आती हैं। जन्म के समय मंगल मजबूत हो तो 24वर्ष से 36 वर्ष की उम्र तक मनोनुकूल माहौल प्रााप्त होता है। विपरीत स्थिति में जातक अपने को शक्तिहीन समझता है। जन्म के समय मजबूत शुक्र की स्थिति 36 वर्ष से 48 वर्ष की उम्र तक सारी जवाबदेहियों को सुचारुपूर्ण ढंग से अंजाम देती हैं, विपरीत स्थिति में , काम सुचारुपूर्ण ढंग से नहीं चल पाता है। इसी प्रकार मजबूत सूर्य 48 वर्ष से 60 वर्ष तक व्यक्ति के स्तर में काफी वृद्धि लाते हैं, किन्तु कमजोर सूर्य बड़ी असफलता प्रदान करते हैं। जन्मकाल का मजबूत बृहस्पति से व्यक्ति का अवकाश-प्राप्त के बाद का जीवन सुखद होता हैं।विपरीत स्थिति में अवकाश प्राप्‍त करने के बाद उनकी जवबदहेही खत्म नहीं हो पाती हैं। मजबूत शनि के कारण 72 वर्ष से 84 वर्ष तक के अतिवृद्ध की भी हिम्मत बनी हुई होती है, जबकि कमजोर शनि इस अवधि को बहुत कष्टप्रद बना देते हैं।इन ग्रहों का सर्वाधिक बुरा प्रभाव क्रमश: 6ठे, 18वें, 30वें, 42वें ,54वें, 66वें और 78वें वर्ष में देखा जा सकता है।इसके बाद आप समझ सकते हैं कि ज्योतिष शास्त्र सच है या झूठ.. ? ??।

जनक्रांति प्रधान कार्यालय से प्रकाशक/सम्पादक राजेश कुमार वर्मा द्वारा पंकज झा शास्त्री 9576281913 की विचार प्रकाशित व प्रसारित।

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