ब्रह्माण्ड न्यायाधीश श्री चित्रगुप्त जी महाराज को कानून की पुस्तकों पर स्थापित कराने की मांग को लेकर कायस्थों ने किया धरना आयोजित

 ब्रह्माण्ड न्यायाधीश श्री चित्रगुप्त जी महाराज को कानून की पुस्तकों पर स्थापित कराने की मांग को लेकर कायस्थों ने किया धरना आयोजित

जनक्रांति कार्यालय रिपोर्ट

भगवान श्री चित्रगुप्त जी महाराज को न्यायालय के पुस्तकों में स्थापित करने की मांग को लेकर धरना आयोजित

देवरिया, उत्तरप्रदेश ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 23 जुन,2021)।भगवान श्री चित्रगुप्त धर्मार्थ ट्रस्ट अहिरौली लाला, सलेमपुर देवरिया, उ0प्र0 के नेतृत्व में भारत देश के सभी न्यायालयों में स्थापित तथा कानून की पुस्तकों पर अंकित गुलामी की प्रतीक यूनानी समाज सेविका डिकी उर्फ मात उर्फ थेमीस उर्फ जस्टिसिया आदि नामों से प्रचलित कथित न्याय की देवी को हटाने तथा उसके स्थान पर लेखनी के देवता लिपि के अविष्कारक चराचर जगत के समस्त प्राणियों का  कर्म फल का लेखा -जोखा रखते हुए न्याय करने वाले ब्रह्माण्ड न्यायाधीश भगवान श्री चित्रगुप्त जी  को स्थापित कराने की मांग को लेकर आज दिनांक 23 जुन 2021 दिन बुधवार को जन्तर-मन्तर पर सांकेतिक धरना दिया जा रहा है।
ट्रस्ट के मुख्य ट्रस्टी सुशील सिनहा ने बताया कि सभी सदस्यों एवं संरक्षक ट्रस्टीगण द्वारा सम्पूर्ण भारत देश में इस आशय का जन जागरण किया जा रहा है इस क्रम में देश के महामहिम राष्ट्रपति महोदय के नाम सम्बोधित ज्ञापन आज प्रेषित किया जा रहा है इसके पूर्व 23 मार्च 2021 को उ0प्र0की राजधानी लखनऊ में महात्मा गाँधी प्रतिमा हजरतगंज पर सांकेतिक धरना देते हुए महामहिम राज्यपाल उ0 प्र0 को ज्ञापन प्रेषित किया गया था।
मुख्य ट्रस्टी ने बताया कि ट्रस्ट द्वारा देश के सभी लोकसभा एवं राज्यसभा सदस्यों, सभी राज्यों के राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री, विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, सभी पार्टियों के राष्ट्रीय अध्यक्ष, सभी प्रमुख समाचार पत्रांे एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया के सम्पादकगण के साथ उ0प्र0के सभी विधान सभा एवं विधान परिषद सदस्यगण को पत्र भेजकर इस सम्बन्ध में अवगत कराते हुए समर्थन करने का अनुरोध किया गया है। मुख्य ट्रस्टी ने इस सम्बन्ध से जानकारी देते हुए कहा कि यूनानी देवी डिकी उर्फ मात उर्फ थेमीस उर्फ जस्टिसिया आदि नामों से प्रचलित कथित न्याय की देवी के सम्बन्ध में अब तक जो तथ्य संज्ञान में आया है उसके अनुसार यह विदेशी मूर्ति पुर्तगाली एवं डच व्यापारियों द्वारा पन्द्रहवी/सोलहवी शताब्दी में भारत में व्यापार स्थापित करते समय न्याय व्यवस्था हेतु प्रतीक के रूप में स्थापित किया गया जो उनके देश का प्रतीक था, अपने वहाँ का यह प्रतीक भारत देश में भी प्रचलन में लाया गया बाद में ब्रिटिश व्यापारियों एवं ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा भी इस यूरोपीय समाजसेविका को स्वीकार कर लिया गया और परम्परागत रूप से अब तक न्याय व्यवस्था में स्थापित है जो भारतवासियों के लिए एक कंलक है इसे अतिशीध्र हटाया जाना चाहिए।
इस धरने के कार्यक्रम में मुख्य रूप से नृपेन्द्र सिंह श्रीवास्तव, जयकरन यादव, अमृतलाल दीक्षित,रमाकान्त वर्मा, शशांक शेखर, नरेश सक्सेना, गौरव श्रीवास्तव, प्रतीक शंकर श्रीवास्तव, मनोज सक्सेना, अनिल त्रिपाठी, प्रवेश श्रीवास्तव एवं पंकज बाजपेयी आदि संरक्षक ट्रस्टीगण सहित दर्जनो सदस्य उपस्थित रहे। 
भगवान श्री चित्रगुप्त धर्मार्थ ट्रस्ट अहिरौली लाला, सलेमपुर देवरिया, उ0प्र0 के नेतृत्व में भारत देश के सभी न्यायालयों में स्थापित तथा कानून की पुस्तकों पर अंकित गुलामी की प्रतीक यूनानी समाज सेविका डिकी उर्फ मात उर्फ थेमीस उर्फ जस्टिसिया आदि नामों से प्रचलित कथित न्याय की देवी को हटाने तथा उसके स्थान पर लेखनी के देवता लिपि के अविष्कारक चराचर जगत के समस्त प्राणियों का  कर्म फल का लेखा -जोखा रखते हुए न्याय करने वाले ब्रह्माण्ड न्यायाधीश भगवान श्री चित्रगुप्त जी  को स्थापित कराने की मांग को लेकर आज दिनांक 23 जुन 2021 दिन बुधवार को जन्तर-मन्तर पर सांकेतिक धरना दिया ।
ट्रस्ट के मुख्य ट्रस्टी सुशील सिनहा ने बताया कि सभी सदस्यों एवं संरक्षक ट्रस्टीगण द्वारा सम्पूर्ण भारत देश में इस आशय का जन जागरण किया जा रहा है इस क्रम में देश के महामहिम राष्ट्रपति महोदय के नाम सम्बोधित ज्ञापन आज प्रेषित किया जा रहा है इसके पूर्व 23 मार्च 2021 को उ0प्र0की राजधानी लखनऊ में महात्मा गाँधी प्रतिमा हजरतगंज पर सांकेतिक धरना देते हुए महामहिम राज्यपाल उ0 प्र0 को ज्ञापन प्रेषित किया गया था।
मुख्य ट्रस्टी ने बताया कि ट्रस्ट द्वारा देश के सभी लोकसभा एवं राज्यसभा सदस्यों, सभी राज्यों के राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री, विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, सभी पार्टियों के राष्ट्रीय अध्यक्ष, सभी प्रमुख समाचार पत्रों एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया के सम्पादकगण के साथ उ0प्र0के सभी विधान सभा एवं विधान परिषद सदस्यगण को पत्र भेजकर इस सम्बन्ध में अवगत कराते हुए समर्थन करने का अनुरोध किया गया है।
मुख्य ट्रस्टी ने इस सम्बन्ध से जानकारी देते हुए कहा कि यूनानी देवी डिकी उर्फ मात उर्फ थेमीस उर्फ जस्टिसिया आदि नामों से प्रचलित कथित न्याय की देवी के सम्बन्ध में अब तक जो तथ्य संज्ञान में आया है उसके अनुसार यह विदेशी मूर्ति पुर्तगाली एवं डच व्यापारियों द्वारा पन्द्रहवी/सोलहवी शताब्दी में भारत में व्यापार स्थापित करते समय न्याय व्यवस्था हेतु प्रतीक के रूप में स्थापित किया गया जो उनके देश का प्रतीक था, अपने वहाँ का यह प्रतीक भारत देश में भी प्रचलन में लाया गया बाद में ब्रिटिश व्यापारियों एवं ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा भी इस यूरोपीय समाजसेविका को स्वीकार कर लिया गया और परम्परागत रूप से अब तक न्याय व्यवस्था में स्थापित है जो भारतवासियों के लिए एक कंलक है इसे अतिशीध्र हटाया जाना चाहिए।
इस धरने के कार्यक्रम में मुख्य रूप से नृपेन्द्र सिंह श्रीवास्तव, जयकरन यादव, अमृतलाल दीक्षित,रमाकान्त वर्मा, शशांक शेखर, नरेश सक्सेना, गौरव श्रीवास्तव, प्रतीक शंकर श्रीवास्तव, मनोज सक्सेना, अनिल त्रिपाठी, प्रवेश श्रीवास्तव एवं पंकज बाजपेयी आदि संरक्षक ट्रस्टीगण सहित दर्जनो सदस्य उपस्थित रहे। 
भगवान श्री चित्रगुप्त धर्मार्थ ट्रस्ट अहिरौली लाला, सलेमपुर देवरिया, उ0प्र0 के नेतृत्व में भारत देश के सभी न्यायालयों में स्थापित तथा कानून की पुस्तकों पर अंकित गुलामी की प्रतीक यूनानी समाज सेविका डिकी उर्फ मात उर्फ थेमीस उर्फ जस्टिसिया आदि नामों से प्रचलित कथित न्याय की देवी को हटाने तथा उसके स्थान पर लेखनी के देवता लिपि के अविष्कारक चराचर जगत के समस्त प्राणियों का  कर्म फल का लेखा -जोखा रखते हुए न्याय करने वाले ब्रह्माण्ड न्यायाधीश भगवान श्री चित्रगुप्त जी  को स्थापित कराने की मांग को लेकर आज दिनांक 23 जुन 2021 दिन बुधवार को जन्तर-मन्तर पर सांकेतिक धरना दिया जा रहा है।
ट्रस्ट के मुख्य ट्रस्टी सुशील सिनहा ने बताया कि सभी सदस्यों एवं संरक्षक ट्रस्टीगण द्वारा सम्पूर्ण भारत देश में इस आशय का जन जागरण किया जा रहा है इस क्रम में देश के महामहिम राष्ट्रपति महोदय के नाम सम्बोधित ज्ञापन आज प्रेषित किया जा रहा है इसके पूर्व 23 मार्च 2021 को उ0प्र0की राजधानी लखनऊ में महात्मा गाँधी प्रतिमा हजरतगंज पर सांकेतिक धरना देते हुए महामहिम राज्यपाल उ0 प्र0 को ज्ञापन प्रेषित किया गया था।
मुख्य ट्रस्टी ने बताया कि ट्रस्ट द्वारा देश के सभी लोकसभा एवं राज्यसभा सदस्यों, सभी राज्यों के राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री, विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, सभी पार्टियों के राष्ट्रीय अध्यक्ष, सभी प्रमुख समाचार पत्रांे एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया के सम्पादकगण के साथ उ0प्र0के सभी विधान सभा एवं विधान परिषद सदस्यगण को पत्र भेजकर इस सम्बन्ध में अवगत कराते हुए समर्थन करने का अनुरोध किया गया है।
मुख्य ट्रस्टी ने इस सम्बन्ध से जानकारी देते हुए कहा कि यूनानी देवी डिकी उर्फ मात उर्फ थेमीस उर्फ जस्टिसिया आदि नामों से प्रचलित कथित न्याय की देवी के सम्बन्ध में अब तक जो तथ्य संज्ञान में आया है उसके अनुसार यह विदेशी मूर्ति पुर्तगाली एवं डच व्यापारियों द्वारा पन्द्रहवी/सोलहवी शताब्दी में भारत में व्यापार स्थापित करते समय न्याय व्यवस्था हेतु प्रतीक के रूप में स्थापित किया गया जो उनके देश का प्रतीक था, अपने वहाँ का यह प्रतीक भारत देश में भी प्रचलन में लाया गया बाद में ब्रिटिश व्यापारियों एवं ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा भी इस यूरोपीय समाजसेविका को स्वीकार कर लिया गया और परम्परागत रूप से अब तक न्याय व्यवस्था में स्थापित है जो भारतवासियों के लिए एक कंलक है इसे अतिशीध्र हटाया जाना चाहिए।
इस धरने के कार्यक्रम में मुख्य रूप से नृपेन्द्र सिंह श्रीवास्तव, जयकरन यादव, अमृतलाल दीक्षित,रमाकान्त वर्मा, शशांक शेखर, नरेश सक्सेना, गौरव श्रीवास्तव, प्रतीक शंकर श्रीवास्तव, मनोज सक्सेना, अनिल त्रिपाठी, प्रवेश श्रीवास्तव एवं पंकज बाजपेयी आदि संरक्षक ट्रस्टीगण सहित दर्जनो सदस्य उपस्थित रहे। उपरोक्त जानकारी सुशील सिनहा मुख्य ट्रस्टी द्वारा प्रेस कार्यालय को वाट्सएप माध्यम से दिया गया ।


जनक्रांति प्रधान कार्यालय से प्रकाशक/सम्पादक राजेश कुमार वर्मा द्वारा कार्यालय रिपोर्ट प्रकाशित व प्रसारित ।

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