आषाढ मास गुप्त नवरात्र विषेश -✍️ आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपद से आषाढ़ गुप्त नवरात्रि शुरू होंगेऔर इस साल गुप्त नवरात्रि 11 जुलाई से शुरू होंगे और 19 जुलाई को समाप्त होंगे : पंकज झा शास्त्री
आषाढ मास गुप्त नवरात्र विषेश -✍️
आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपद से आषाढ़ गुप्त नवरात्रि शुरू होंगेऔर इस साल गुप्त नवरात्रि 11 जुलाई से शुरू होंगे और 19 जुलाई को समाप्त होंगे : पंकज झा शास्त्री
जनक्रांति कार्यालय रिपोर्ट
अध्यात्म विचार जय मां दूर्गे
अध्यात्म डेस्क-दरभंगा/मधुबनी/समस्तीपुर, बिहार ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 09 जुलाई,2021 )। आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपद से आषाढ़ गुप्त नवरात्रि शुरू होंगे। इस साल गुप्त नवरात्रि 11 जुलाई से शुरू होंगे और 19 जुलाई को समाप्त होंगे। चैत्र और शारदीय नवरात्रि की तरह ही गुप्त नवरात्रि में भी मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है। गुप्त नवरात्रि में गुप्त नवरात्रि में मां कालिके, मां तारा देवी, मां त्रिपुर सुंदरी, मां भुवनेश्वरी, माता चित्रमस्ता, मां त्रिपुर भैरवी, मां धूम्रवती, माता बगलामुखी, मां मातंगी और मां कमला देवी की पूजा की जाती है।
इसवार मां दुर्गा आषाढ़ी नवरात्र में पृथ्वी लोक पर आगमन रविवार के दिन गज वाहन पर कर रही है जवकी गमन यानि प्रस्थान सोमवार को भेषा पर होकर करेगी।
माता का आगमन और प्रस्थान के वाहन से ज्योतिषीय आकलन से फलादेश देखा जाय तो इस बार आगमन फल अच्छी वर्षा के साथ ज्यादा बाढ़ की स्थिती बनी रहेगी, किसानों में खास कर पैदावार को लेकर खुशी बनी रहेगी। जबकि गमन फल रोग शोक की अधिकता बनेगी।
वर्ष के चार नवरात्र जिसमे प्रथम चैत्र, द्वितीय आषाढ, तृतीय आश्विन, चतुर्थ माघ मास में होते है जिस में सबसे अधीक तृतीय और इसके बाद प्रथम नवरात्र अधीक प्रचलन में आया जवकी दो नवरात्र द्वितीय और चतुर्थ नवरात्र अधीक प्रचलन में न आने के कारण इसे गुप्त कहा जाने लगा। गुप्त अर्थात छिपा हुआ, परन्तु अब सवाल लोगों के मन में जरुर होता होगा कि क्यों नवरात्र जैसे शुभता और दिव्यता प्रदान करने वाले पर्व को छिपाने की आवश्यकता पर गई। क्यों इसे जन साधारण के लिए सुलभ नही किया गया। मनन करते है तो निष्कर्ष निकलता है कि विषेश साधना का समय है गुप्त नवरात्र और भाग्यशाली साधक, एसे साधक जिनपर गुरू कृपा बरसती है, वे ही इस विषेश पर्व का लाभ उठा पाते है। जैसे भक्त वैसे ही भगवान और उसी प्रकार की पूजा होती है। अब अगर भक्त सांसारिक है तो वह रोज मर्रा की समस्याओं से आगे देख नही पाता। ऐसे भक्तों के लिए समस्याओं से निवृत हेतु महत्वपूर्ण है गुप्त नवरात्र।
गुप्त नवरात्र में की गई साधना कई गुना अधिक फल देती है, भगवती को भी पता है कि साधक विषेश कामना से इस मुहूर्त में साधना कर रहा है। गुप्त नवरात्र में उत्सव के भाव से परे और संयम से बंध कर साधक देवी की साधना किसी विषेश प्रयोजन से कर रहा है और मां के पुत्र के कष्ट का ज्ञान हो और वो इसे दूर न कर दे ऐसा तो प्रकृति में होता नही है।
आषाढ मास के गुप्त नवरात्र जो ग्रीष्म नवरात्र के नाम से भी जाना जाता है। इस बार आषाढ़ी नवरात्र से ठीक एक दिन पहले शनिचरी अमावस्या का भी संयोग बन रहा है।
प्रतिपदा तिथि आरंभ 10/07/2021 को प्रा 05:43 के उपरान्त।
प्रतिपदा तिथि समापन 11/07/2021 को प्रा 06:46 तक।
घट स्थापना का शुभ मुहूर्त 11/07/2021 को प्रा 05:15 से दिन के 06:46 तक।
जनक्रांति प्रधान कार्यालय से प्रकाशक/सम्पादक राजेश कुमार वर्मा द्वारा ज्योतिष पंकज झा शास्त्री की विचार प्रकाशित व प्रसारित ।
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