राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उनके अनुसांगिक संगठनों को भारत केंद्रित व्यवहार से ही समझा जा सकता है : अवनीश त्यागी

 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उनके अनुसांगिक संगठनों को भारत केंद्रित व्यवहार से ही समझा जा सकता है : अवनीश त्यागी

जनक्रांति कार्यालय 

भारत केंद्रित मूल व्यवहार ही संघ का विचार है, यही भारतीय संस्कृति है, जिसे हम हिंदू राष्ट्र के दर्शन के रूप में भी समझ सकते हैं!

मेरठ,उत्तरप्रदेश ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 14 जुलाई,2021)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को भारत केंद्रित व्यवहार की समझ रखकर ही समझा जा सकता है। भारत केंद्रित मूल व्यवहार ही संघ का विचार है, यही भारतीय संस्कृति है, जिसे हम हिंदू राष्ट्र के दर्शन के रूप में भी समझ सकते हैं।

एक छोटी सी घटना समानता और व्यवहार को दर्शाती है। यह घटना उस समय की है, जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तृतीय सरसंघचालक श्री बालासाहब देवरसजी ने अपने स्वास्थ्य कारणों से सरसंघचालक पद का दायित्व प्रो. रज्जू भैया को सौंप दिया था।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विषय में विश्वभर में हो रही चर्चा पर जिज्ञासा वश एक रूसी कम्युनिष्ट पत्रकार बिल्टिज भारत आए। उनकी जिज्ञासाओं के प्रश्न रहे थे, कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ क्या है.? कैसे काम करता है.? उद्देश्य क्या है.? आदि-आदि! जिज्ञासा शांत करने हेतु ये साप्ताहिक पत्र के संम्पादक "रूसी करंजिया" "रज्जू भैया" से मिलने नागपुर पहुंच गए थे।

नागपुर में उनकी माननीय सरसंघचालक रज्जू भैया से वार्ता हुई, वार्ता करते समय भोजन की घंटी बज गई। रज्जू भैया ने रूसी करंजिया से कहा, कि आईये! चलो पहले भोजन कर लेते हैं, सहमति पर सभी भोजन कक्ष में बिछी हुई टाटपट्टी पर बैठ गए। कुछ अन्य लोग भी उनके साथ बैठ गए। अचानक "रूसी करंजिया" ने रज्जू भैया के बगल में बैठे व्यक्ति से उसका परिचय पूछ लिया। उस व्यक्ति ने बताया कि - महोदय! मैं माननीय रज्जू भैया का कार चालक हूँ। यह सुनते ही "रूसी करंजिया" चौक गए, कि - इतने बड़े संगठन का मुखिया और उनका ड्राइवर एक साथ जमीन पर बैठकर एक जैसा भोजन कर रहे हैं। भोजन के उपरान्त रज्जू भैया ने "रूसी करंजिया" से कहा- पूँछिये! आप राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बारे में क्या जानना चाहते हैं.?

भावपूर्ण मुद्रा में "रूसी करंजिया" ने श्रद्धापूर्वक रज्जू भैया से कहा, कि मेरी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संबंध में सारी भ्रांतियां दूर हो गईं है, अब मुझे आपके संगठन के बिषय में और कुछ नहीं पूंछना है, यही एक ऐसा संगठन है, कि जहाँ सरसंघचालक और साधारण कारचालक एक साथ टाटपट्टी पर बैठकर भोजन कर सकते हैं!

आगे हम सभी जानते हैं,कि घटना के बाद रूसी करंजिया राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समर्थक बन गए...
(यह संघ की सामान्यतः दिनचर्या है, संबंधित कार्यशैली की वास्तविक घटना मेरे शब्दों में लिखी गई है!)
लेखक: अवनीश त्यागी प्रांत संयोजक भारतीय प्रज्ञान परिषद प्रज्ञा प्रवाह मेरठ प्रांत द्वारा कार्यालय को सम्प्रेेषित ।

जनक्रांति प्रधान कार्यालय से प्रकाशक/सम्पादक राजेश कुमार वर्मा द्वारा प्रकाशित व प्रसारित ।

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