सावधान !! कहीं आप भी कहीं झोलाछाप डाक्टर से नहीं करवा रहे इलाज स्वास्थ्य विभाग के कार्यशैली पर लगा सवालिया निशान...??

 सावधान !! कहीं आप भी कहीं झोलाछाप डाक्टर से नहीं करवा रहे इलाज स्वास्थ्य विभाग के कार्यशैली पर लगा सवालिया निशान...??

जनक्रांति कार्यालय रिपोर्ट


समाचार डेस्क, पटना/बिहार,( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 28 जुलाई,2021)। राज्य स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी एवं ढीली कार्यप्रणाली के चलते जिले मे कई झोला छाप डॉक्टर बिना किसी डिग्री के धड़ल्ले से प्रैक्टिस कर लोगों का जेब ढ़िला करन रहे हैं। जिले के गांवों, सुदूर बस्ती तथा स्लम क्षेत्रों में वे अपनी एक छोटी सी दुकान में मेज और कुर्सी लगाकर बैठ जाते है। ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों में से कुछ ने तो अपने नाम के आगे एलोपैथी या होमियोपैथी या आयुर्वेदिक, आर. एम. पी लिखा बोर्ड लगा हुआ है और कई तो बिना कोई बोर्ड लगाए सिर्फ रेड क्रॉस का निशान लगाकर ही डॉक्टरी की प्रैक्टिस कर रहे हैं। ऐसे डॉक्टरों ने अपनी दुकान के अंदर विभिन्न प्रकार की एलोपैथिक दवाइयां भी रखी हुई है । जो कि ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट की भी उल्लंघन कर रहे हैं कहे या ऐ कहे खुलेआम कानून की धज्जियां उड़ा रहे  है। ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों पर ना जाने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की नजर क्यों नहीं पड़ती। कहीं इन झोलाछाप डॉक्टरों से स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कमीशन तो नहीं ले रहे । क्योंकि सिर्फ शिकायत मिलने पर ही कार्रवाई क्यों करता है स्वास्थ्य विभाग ।
हैरानी की बात है कि समस्तीपुर जिला ही नहीं राज्य के अन्य जिले में भी सैकड़ों की तादाद में झोलाछाप डॉक्टर प्रैक्टिस कर रहे हैं, जानकारी अनुसार किसी एक-दो पर स्वास्थ्य विभाग कभी कभार तभी कार्रवाई करता है जब उसे कोई शिकायत प्राप्त होती है। अगर इन झोला छाप डॉक्टर की दुकान या घर पर छापामारी की जाती है, तो हजारों रुपए की एलोपैथी दवाइयां बरामद किया जा सकता है। जबकि उक्त झोलाछाप डॉक्टर उसी दुकान में पिछले कई वर्षों से बैठा प्रैक्टिस कर रहा होता हैं । ऐ
ड्रग्स विभाग की मिलीभगत नहीं तो और क्या हैं..??
वैसे तो ड्रग इंस्पेक्टर भी समय-समय पर दवाइयों की दुकानों पर जांच करने के दावे करते हैं, लेकिन फिर भी ऐसी दुकानों के अगल-बगल बिना डिग्री के प्रैक्टिस करने वालों पर ना जाने क्यों उनकी नजर नहीं पड़ती या फिर यह भी हो सकता है कि वह निजी स्वार्थ में ऐसे लोगों को अनदेखा कर देते हो। अब इस बात में सच्चाई क्या है यह तो ड्रग्स विभाग वाले ही जाने। जानकार तो यह भी बताते हैं कि कुछ मेडिकल स्टोर संचालक ड्रग इंस्पेक्टर के कुछ अधिकारियों को समय समय पर बंधी बंधाई रकम नजराने के तौर पर माहवारी देते रहते हैं । इसलिए कि बिना फार्मासिस्ट के और रसीद के धड़ल्ले से अपनी दुकान चला सके। रोगियों को तो उक्त अवैध क्लिनिक या दुकान के अंदर ही ग्लूकोज भी चढ़ाया जाता हैं ।
राज्य के जिले के गांवों एवं बस्तियों सहित मोहल्ला के क्षेत्रों में धड़ल्ले से बिना डिग्री के प्रैक्टिस करने वाले कुछ झोलाछाप डॉक्टर तो इतने शातिर हैं कि वह निम्न वर्ग के लोगों एवं दूसरे राज्यों से आए प्रवासियों को अपनी अवैधानिक क्लिनिक या दुकान के अंदर ही ग्लूकोज की बोतल लगाकर बेंच पर ही लिटा देते हैं । और यह भी नहीं सोचते कि अगर उसे कोई रिएक्शन हो गया तो उसका क्या होगा।
अवैधानिक क्लिनिक और नौसिखिए डॉक्टर सहित अनेकों झोला छाप डॉक्टरों के इलाज से आऐ दिन मौत होती रहती है। जिसका पंचायत स्तर पर ही निपटारा झोला छाप डॉक्टरों के गुर्गे संवंधी मिलकर करा दिया जाता हैं ।


जनक्रांति प्रधान कार्यालय से प्रकाशक/सम्पादक राजेश कुमार वर्मा द्वारा कार्यालय रिपोर्ट प्रकाशित व प्रसारित ।

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