नए भारत में सवाल मत करिए वरना पाकिस्तान का टिकट तैयार है..??? : दीपक राज सुमन

 नए भारत में सवाल मत करिए वरना पाकिस्तान का टिकट तैयार है..??? : दीपक राज सुमन 

जनक्रांति कार्यालय रिपोर्ट 

गिरते विकास दर पर सवाल उठाएंगे तो भक्त कहेंगे 'भारत माता की जय' बोलिए। आप गिरते लोकतंत्र  की साख पर सवाल उठाएंगे तो भक्त कहेंगे 'मंदिर वहीं बनेगा'।

समाचार डेस्क/नई दिल्ली, भारत ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 09 जुलाई,2021)। कभी कभी सोचता हूँ आज की राजनीति में भक्त ज्ञानी हैं या फिर झोला भर भर के डिग्री हासिल करने वाले देश के अर्थशास्त्री..? सवाल मुश्किल इसलिए है कि आप रोजगार पर सवाल उठाएंगे भक्त कहेंगे 'जय श्री राम बोलिए'।  आप गिरते विकास दर पर सवाल उठाएंगे तो भक्त कहेंगे 'भारत माता की जय' बोलिए। आप गिरते लोकतंत्र  की साख पर सवाल उठाएंगे तो भक्त कहेंगे 'मंदिर वहीं बनेगा'। आप महिला सुरक्षा पर सवाल उठाएंगे भक्त कहेंगे ' हलाला खत्म करके रहेंगे'। आप बढती गिरते मीडिया की साख पर सवाल उठाएंगे तो भक्त कहेंगे 'पाकिस्तान क्यों नहीं चले जाते, आप निजीकरण पर सवाल उठाएंगे तो भक्त कहेंगे 'टीवी पर देखो पाकिस्तान थर थर काँप रहा है। 

आप जब भी लोकतंत्र, संविधान, रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, विकास जैसे मुद्दों पर सवाल उठाएंगे भक्त इधर इधर की बात करके आपको बहकाने की कोशिश करेंगे।
आप गिरती जीडीपी विकास दर को देख लीजिये। बढती बेरोजगारी को देख लीजिये। बैंकों की खस्ता हालत को देख लीजिये अगर आप इसपर गलती से भी सवाल उठा दिए तो भक्त मानने को तैयार नहीं होगे अगर आप कुछ अधिक जोर देकर पुछ लिए तो आपको तुरंत देशद्रोही का सर्टिफिकेट थमा कर पाकिस्तान जाने का टिकट फाईनल कर देंगे, फिर क्या है जाइए पाकिस्तान भले ही आपके पूर्वजों ने देश की आजादी में जंग लड़ी हो, जान दी हो उससे क्या। 

आपने अभी जो भक्त से सवाल किया है उससे आपके पूर्वजों के सारे योगदान खत्म हो गए क्योंकि आपने उन देशभक्तों से सवाल पुछने की हिम्मत की है जिन्होने 51 साल तक तिरंगे को स्वीकार नहीं किया। राष्ट्रगाऩ को गाया नही। आजादी की जंग नहीं लड़ी। माफी के लिए माफीनामा चिठ्ठियाँ लिखते थके नहीं और क्या चाहिए आज तो वे लोग देशभक्त हैं ना। 

आज इसलिए अर्थशास्त्री और भक्त में सबसे बड़े ज्ञानी ढूँढने की कोशिश कर रहें है इसके कई उदाहरण है। समय समय पर विशेषज्ञों द्वारा बेरोजगारी को लेकर विकास दर को लेकर सरकार को संभलने की चेतावनी दी लेकिन क्या हुआ। भक्त मानने को तैयार नहीं। कोई उनकी डिग्री फर्जी बता रहा है। कोई पाकिस्तानी बता रहा है। कोई पाकिस्तान भेज रहा है। कोई उसके वंशज में मुस्लिम होने की अंश तलाश रहा है। कोई देश विरोधी बता रहा है। कोई रामविरोधी बता रहा है कोई उसे कांग्रेस का एंजेट बता रहा है कोई नए नोट में चीप लगा रहें हैं तार वार सेट करके उसमें बैट्री से लाईट देकर नए नोट को लेकर सरकार के मास्टर स्ट्रोक बता रहें है। भ्रष्टाचारी को पकड़ने का सिंगल साबित करने की कोशिश कर रहें है और क्या चाहिए मजे लीजिये नए भारत में आपका स्वागत है।

मैं ये सब इसलिए नहीं कह रहा हूँ की मेरा उनसे या किसी से कोई विरोध है वैसे मुझे भी पता है इस लेख के बाद मैं विरोधी साबित हो ही जाऊँगा। पाकिस्तान भी भेज दिया जा सकता हूँ। देशद्रोही का तमगा भी मिल जाएगा। रामविरोधी भी बना दिया जाऊँगा और तो और नए नए संस्कृति के हिसाब से महान महान अभद्र अश्लील शब्दों से मुझे नवाजा भी जाएगा। पिछले चार पाँच सालों से यहीं तो हो रहा है उनलोगों के साथ जो नीतियों पर सवाल  उठाते हैं सरकार से सवाल करते हैं। लेकिन भक्तों को क्या उन्हें तो अपने भगवान प्यारें है भले ही किसी के भी मिट्टी पलित कर दें। हर लाईन क्रॉस कर दें।

पिछले कई मौकों पर बेरोजगारी को लेकर विकास दर को लेकर जीडीपी को लेकर रोजगार को लेकर नोटबंदी को लेकर जीएसटी को लेकर कई अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों ने सरकार के ऊपर सवाल उठा चुके है जिसमें प्रमुख रूप से मनमोहन सिंह, रघुराम राजन, अमर्त्य सेन, पी चिंदबरम, यशवंत सिन्हा, सुब्रमण़्यम स्वामी शामिल है लेकिन इनकी बातों को सरकार ने गंभीरता से नहीं लिया मजाक और कटाक्ष में कांग्रेस का एंजेट बताकर खारिज कर दिया।

भले ही बढ़ते बेरोजगारी को देख अमित शाह को कहना पड़े की पकोड़े बेचिए बेरोजगारी से अच्छा है. बताइए ये क्या बात हुई? पकोड़े बचिए। सवाल तो यह है हम पकोड़े बेचे क्यों? क्या ग्रेजुएट लड़के लड़कियां भी पकोड़े बेचे? आखिर ऐसी नौबत आई क्यों? कभी गौर किया है जबाब नहीं होगा क्योंकि सवाल करने वालों पर तमगा लगा दिया जाता है सरकार भी मस्त रहती है जब जनता ही उन अर्थशास्त्रियों से लड़ रही है ज्ञानी बन रही है फिर सरकार को क्या दिक्कत सरकार तो खुश है उनका काम आसान हो रहा है।

2019 लोकसभा चुनाव के बाद बेरोजगारी को लेकर कई रिपोट्स सामने आया था जिसमें कहा गया आज 45 साल के सबसे उच्चतम स्तर पर बेरोजगारी है लेकिन भक्त मानने को तैयार नहीं और कुछ लोगों को ऐसी खबरें मालूम भी नहीं चल पाता क्योंकि मीडिया लोगों को ऐसी खबरें दिखाती नहीं। भारतीय मीडिया सरकार के हाथों कठपुतली बनकर रह गई है जो सरकार का एंजेडा होगा जो सरकार चाहेगी वहीं टीवी चैनलों पर दिन रात चलता है तो उसमें रोजगार, विकास, किसान पर सवाल कहाँ होंगे। टीवी पर तो सिर्फ हिन्दू, मुस्लिम, पाकिस्तान, चीन, कश्मीर, तीन तलाक, हलाला, जन गण मन, भारत माता की जय और राम मंदिर जैसे मुद्दों पर बहस होती हैं।

आज मीडिया चैनलों से बेरोजगारी को लेकर खबर गायब है। देश के करीब करीब सभी सेक्टर में हालत खराब हैं वर्कर को नौकरी से बाहर किया जा रहा है। जगह जगह धरना प्रदर्शन हो रहा है। काम काज ठप्प हो रहें हैं। बेरोजगारी के डर से नौकरी ना मिलने की वजह से सैकड़ों युवा आत्महत्या कर चुके हैं और कर रहें हैं लेकिन मीडिया इसको नहीं दिखाएगी। इससे सरकार की पोल खुल जाती है। 

खैर एक बात सभी को याद रखना चाहिए। सरकारें आएंगी जाएंगी लेकिन देश हमेशा रहेगा। इसलिए आप किसी का भी समर्थन करें लेकिन आँखे बंद करके समर्थन नहीं करें, भक्त बनकर ना करें सवाल उठाया करिए डटकर उठाया करिए जोर शोर से उठाया करिए तभी देश सुरक्षित रहेगा आप सुरक्षित रहेंगे वरना आप याद रखिए आज आप अपने विरोधियों के घर जलने पर जश्न मना रहें हैं तो एक दिन आपका भी घर जलेगा क्योंकि जब शहर में आग लगती हैं तबाही आती हैं तुफान आता हैं तो ये नहीं पुछता ये घर किसका है। सबको तबाह करके जाता है। आज इनकी बारी है कल आपकी भी बारी आएगी। मनाइए जश्न और बोलिए जय श्री राम।

(ये लेख दीपक राजसुमन के निजी विचार है) ।

जनक्रांति प्रधान कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा कार्यालय रिपोर्ट प्रकाशित व प्रसारित ।

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