खुदा महफूज रखे हर बला से........

 खुदा महफूज रखे हर बला से........



                              हरि बोल हरि

मुझसे दूर भी तू ना जा  ,
               मेरे पास भी तू ना आ. 
याद बन सदा तेरे पास रहूं  ,
             तू भी याद बन दिल में रहो  ,
दूर रहने में मज़ा है  ,
             साथ रहने में ओ सजा है  ,
तू दूर से देखा करो  ,
              मैं दूर से मज़ा लिया करूँ ,
बाह रे दुनियां के खेल निराले  ,
               काजल के कोठरी में उजाले  
उजाले का मज़ा लिया करो  ,
             काजल कोठरी में जिया करूँ
आफताब भी महताब बन जाये ,
      महताब भी आफताब हो जाये  ,
चैन से तू जिया करो,
          बेचैन मैं गुज़ारा करूँ ,
अफसाना दुनियां लिखा करे ,
        फ़साना में मैं लिपटा करूँ  ,
हर हसरत हो तुम्हारी पूरी  ,
          मेरी चाहे जो हो मजबूरी ,
तुझ पर जान मैं लुटाया करूँ ,
      चाहे जो इलज़ाम तुम लगाया करो
खुदा महफूज रखे हर बला से ,
       बला फटकने ना पाए हर गिला से
मंजूरे खुदा से है इनायत मेरी
      रब से शिकायत ना हो तेरी ,
खुदा महफूज रखे हर बला से........
काव्य रचनाकार : प्रमोद कुमार सिन्हा
जनक्रांति प्रधान कार्यालय से प्रकाशक/सम्पादक राजेश कुमार वर्मा द्वारा प्रकाशित ।




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