अध्यात्म विचार : जीमूतवाहन(जितिया) व्रत विशेष- जीमूतवाहन(जितिया) व्रत

 अध्यात्म विचार :  जीमूतवाहन(जितिया) व्रत विशेष-

                     जीमूतवाहन(जितिया) व्रत


जितिया व्रत हर साल अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है : पंकज झा शास्त्री

जनक्रांति कार्यालय से ज्योतिष पं० पंकज झा शास्त्री

जनक्रांति अध्यात्म डेस्क /भारत ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 13 सितंबर, 2021) । संतान प्राप्ति, उनके दीर्घायु होने तथा सुखमय जीवन के लिए माताओं द्वारा रखे जाने वाले व्रतों में से एक प्रमुख व्रत जीवित्पुत्रिका या जितिया व्रत भी है । हिंदी पंचांग के अनुसार, जितिया व्रत हर साल अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है । इस दिन महिलाएं अपनी संतान के दीर्घायु, आरोग्य और सुखमय जीवन के लिए निर्जला व्रत रखकर भगवान की पूजा और प्रार्थना करती है । जीवित्पुत्रिका व्रत का पारण अगले दिन यानी नवमी तिथि को किया जाता है. यह व्रत प्रमुख रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है. ऐसा माना जाता है कि यह व्रत महाभारत काल से ही होता चला आ रहा है। खासकर यह मिथिलांचल में बहुत ही प्रसिद्ध है जिसे महिलाए बहुत ही नियम निष्ठा के साथ करती है। एक तरह से यह व्रत कठोर तपस्या के बराबर है।


इस बार यह व्रत 28 सितंबर 2021 मंगलवार को किया जायेगा जो हस्त नक्षत्र में होगा। जो महिलाएं यह व्रत प्रारंभ करना चाहती है कर सकती है।
27 सितंबर 2021 को नहाय खाय के साथ यह व्रत प्रारम्भ होगा। पितरइन को भोजन कराया जाता है।
उपवास 28 सितंबर 2021 को है और पारण 29 सितंबर 2021 को संध्या 05:04 के उपरांत होगा।
औंठन(दही चुरा - विषेष भोजन) 28 के रात्रि 03:40 तक। पंकज झा शास्त्री 9576281913✍️द्वारा सम्प्रेषित विचार।
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जनक्रांति प्रधान कार्यालय से प्रकाशक /सम्पादक राजेश कुमार वर्मा द्वारा पंकज झा शास्त्री की ज्योतिष शास्त्र विचार प्रकाशित व प्रसारित ।

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