आतंकवाद का काट : आर्थिक बहिष्कार आन्दोलन एक तुरुप का पत्ता - अजीत सिन्हा

 आतंकवाद का काट : आर्थिक बहिष्कार आन्दोलन एक तुरुप का पत्ता - अजीत सिन्हा

जनक्रांति कार्यालय रिपोर्ट 


आज भारत सहित पूरा विश्व किसी न किसी रूप में इस्लामिक आतंकवाद के भेंट चढ़ चुका है और उनकी वैश्विक इस्लामीकरण की नीति का शिकार भी हो चुका है इसलिए समय रहते इन पर आर्थिक बहिष्कार आन्दोलन द्वारा यदि अंकुश नहीं लगाई गई तो वह दिन दूर नहीं कि भारत को एक और विभाजन का सामना करना पड़ सकता है : अजीत सिन्हा

समाचार डेेस्क/राँची,झारखण्ड ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 08 सितंबर,2021) । स्वार्थ, बौध्दिक जड़ता, विस्तारीकरण की नीति, अधर्म फैलाने की कुत्सित चाल, शिक्षा के नाम पर गलत परोसना, तालिबानी सोंच इत्यादि ही आतंकवाद की जड़ में है और इसे समाप्त करने हेतु सभी बिंदुओं पर मनन करने के पश्चात्‌ एक ठोस नीति की जरूरत है और इस कड़ी में *आर्थिक बहिष्कार आन्दोलन* एक तुरुप का पत्ता साबित हो सकती है। क्योंकि इस आंदोलन की वज़ह से ही आज का म्यांमार और कल का बर्मा कमोबेश आतंकियों में खासकर इस्लामिक आतंकवादी कारवाईयों से निजात पा चुका है और अपने देश में उपस्थित रोहिंग्या को खदेड़ कर पूरे इस्लामिक जगत को एक चुनौती दे डाला है और इसके पीछे वहां के संत माननीय विराथू जी की सोंच एवं प्रयास सराहनीय है क्योंकि उनका कहना है कि "आप पागल कुत्तों के साथ नहीं सो सकते" और इससे निजात पाने हेतु आपको उसे भगाना ही होगा। उनका यह आंदोलन बहुत ही अहिंसक रूप से चलाया गया जिससे ऐसी सोंच वालों की आर्थिक कमर टूट गई और वे खाने - खाने को मोहताज हो गये और जिन्होंने गलत ढंग से धन बनाने की कोशिश की अपनी जीविकोपार्जन के लिए उन पर सख्ती भी की गई जिससे वहां से रोहिंग्याओं को भागना ही पड़ा।
अपने भारत में भी मुझ सहित कई राष्ट्र भक्तों द्वारा ऐसी आंदोलन की शुरूआत करीब तीन वर्ष पूर्व की गई है और धीरे धीरे आम जनता में जागरूकता आयी है और उन्होंने जेहादियों, गद्दारों एवं देशद्रोहियों के प्रतिष्ठानों, दुकानों इत्यादि से अपनी खरीदारी भी बंद कर दी है लेकिन यह मुहिम तब तक परावान नहीं चढ़ नहीं सकती जब तक देश की भोली -भाली जनता तक यह बात नहीं पहुंच जाती और वे उन ग़द्दार तत्त्वों से अपनी खरीदारी बंद नहीं कर देते।
इसके लिए मैं वैसे राष्ट्र भक्तों से आह्वान करते हैं जो सही मायनों में राष्ट्र की भलाई चाहते हैं कि वे अपने देश के लोगों को इस संबंध में जागरूक करते हैं तभी कामयाबी हासिल होगी और राष्ट्र सशक्तीकरण की ओर बढ़ेगी।
इसके लिए सरकार तथा उनकी मशीनरी को भी काम करने की जरूरत है लेकिन उनके हाथ कानून से बंधे हैं लेकिन उन्हें पता होनी चाहिए कि आज की देवबंदी मदरसा पॉलिसी ही शिक्षा की आड़ में अपने भोले - भाले बच्चों को आतंकवादी या कट्टर सोंच वाले व्यक्तिव का निर्माण कर रही है जिससे जहां एक ओर सख्त नीतियों द्वारा सरकार द्वारा ऐसे तत्त्वों पर लगाम लगाने की कोशिश हो रही है वहीं दूसरी ओर मदरसों द्वारा आतंकी फसल तैयार हो रही है।
इस हेतु मेरी भारत सरकार से आग्रह है कि ऐसी तमाम  मदरसों सहित वैसी शिक्षण संस्थानों पर बैन लगाई जाये जिसमें तालीम की जगह जहालत ज्यादा परोसी जाती है।
अंत में अजीत सिन्हा ने अपने देश के लोगों से आह्वान किया कि आज भारत सहित पूरा विश्व किसी न किसी रूप में इस्लामिक आतंकवाद के भेंट चढ़ चुका है और उनकी वैश्विक इस्लामीकरण की नीति का शिकार भी हो चुका है इसलिए समय रहते इन पर आर्थिक बहिष्कार आन्दोलन द्वारा यदि अंकुश नहीं लगाई गई तो वह दिन दूर नहीं कि भारत को एक और विभाजन का सामना करना पड़ सकता है और अखंड भारत के सपनों को देखने वालों राष्ट्र भक्तों के मुंह पर एक करारा झटका या तमाचा हो सकता है इसलिए मेरी समझ से आर्थिक बहिष्कार आन्दोलन को सफल बनाकर ही ऐसे विध्वंसक तत्त्वों पर विराम लगाई जा सकती है। जय हिंद,जय 
भारत ।

जनक्रांति प्रधान कार्यालय से प्रकाशक/सम्पादक राजेश कुमार वर्मा द्वारा कार्यालय रिपोर्ट प्रकाशित व प्रसारित ।

Comments

Popular posts from this blog

महज सोलह दिनों में छह रेल सिग्नल-कर्मचारी कार्य करते हुए हो गए रन-ओवर

पुलवामा अटैक में शहीद हुए जवानों को ब्लड फ़ोर्स टीम के सदस्यों द्वारा दी गई भावभीनी श्रद्धांजलि

दो दिवसीय इंटरनेशनल सेमिनार का आयोजन विद्या शोध संस्थान संस्कृति विभाग द्वारा किया गया आयोजित