हिन्दी को राष्ट्रभाषा घोषित करने के साथ ही हिन्दी को वैश्विक स्तर पर स्थापित करने हेतु अजीत सिन्हा ने कसी कमर उठाया बीड़ा

 हिन्दी को राष्ट्रभाषा घोषित करने के साथ ही हिन्दी को वैश्विक स्तर पर स्थापित करने हेतु अजीत सिन्हा ने कसी कमर उठाया बीड़ा 

जनक्रांति कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा


विद्यार्थी काल में मैंने अंग्रेजीयत से प्रभावित होकर अंग्रेजी में ही स्नातकोत्तर की है लेकिन सुख की बात यह है कि यह भाषा मेरे हृदय के कभी भी करीब नहीं रही और ज्ञान होने मैंने एक तरह से अंग्रेज़ी का बाॅयकाट ही अपने दैनिक जीवन में किया है : अजीत सिन्हा 

समाचार डेस्क, भारत ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 14 सितंबर, 2021 ) । हिन्दी को राष्ट्रभाषा घोषित करने इसके प्रचार - प्रसार के साथ ही हिंदी को वैश्विक स्तर पर स्थापित करने हेतु अजीत सिन्हा ने कसी कमर उठाया बीड़ा । अजीत सिन्हा ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से कहा की मित्रों,


आज हिन्दी दिवस है और सौभाग्य से मेरी जन्मदिन भी और यह दिवस इसलिये भी ख़ास है कि अँग्रेजीयत के प्रभाव को कम करने के लिए हम सभी ने हिन्दी को राष्ट्रभाषा घोषित कर इसके प्रचार - प्रसार तथा हिन्दी को वैश्विक स्तर पर स्थापित करने हेतु हम सभी ने बीड़ा उठाया है और अँग्रेजीयत की गुलामी से मुक्ति हेतु कमर कसी है । लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि अभी भी हिन्दी वैश्विक क्या राष्ट्रीय स्तर पर भी स्थापित नहीं हो पाई है । हालांकि इसे भारत में कार्यालय की भाषा के रूप में दर्जा मिली है, लेकिन दुःख की बात यह है कि सर्वोच्च न्यायालय सहित देश के सभी न्यायालयों में अधिकतर बहस एवं कार्य अंग्रेजी में ही होते हैं जो कि चिंतन के साथ सुधार की भी विषय है। और इसके लिए देश के सभी कार्यकारिणी के अंगों को ध्यान देकर हिन्दी को हृदय से अपनाने पर जोर देनी चाहिए।
दुर्भाग्य से अपने विद्यार्थी काल में मैंने अंग्रेजीयत से प्रभावित होकर अंग्रेजी में ही स्नातकोत्तर की है लेकिन सुख की बात यह है कि यह भाषा मेरे हृदय के कभी भी करीब नहीं रही और ज्ञान होने मैंने एक तरह से अंग्रेज़ी का बाॅयकाट ही अपने दैनिक जीवन में किया है जिससे अंग्रेजी मेरी हिन्दी की तुलना में कमजोर हो गई है लेकिन इसका मुझे अफसोस नहीं क्योंकि दिन - प्रतिदिन मैं हिन्दी के निकट हो रहा हूं और अब तो संस्कृत भी गौर से पढ़ने लगा हूं और हिंदी पर कमांड हेतु कम से कम अंग्रेज़ी लिखने का प्रयास करता हूं फिर भी अंग्रेजी के शब्द लिखने के क्रम में आ ही जाते हैं और मेरी कोशिश है कि इसकी दासता से जल्द ही मुक्ति पा सकूं।
मित्रों किसी भी भाषा का ज्ञान होना अच्छी बात है लेकिन उस पर निर्भरता गलत है क्योंकि राष्ट्र में एकरूपता लाने के लिए भाषा में भी एकरूपता होनी चाहिये और इस हेतु सभी को हिन्दी को हृदय से गले लगाने की आवश्यकता है।


आयें इस दिन प्रण करें कि अपनी राष्ट्रभाषा हिंदी को स्वयं तो सीखेंगे ही साथ में औरों को सिखाने के साथ-साथ पूरे देश वासियों को प्रेरित करेंगे।
मेरा जन्म इस हिन्दी दिवस को हुआ है या मेरी जन्म दिन हिन्दी दिवस के रूप में मनाई जाती है इसके लिए मैं अपने आपको सौभाग्यशाली समझता हूं और सभी से आशीर्वाद की अभिलाषा रखता हूँ। जय हिंद, जय भारत, जय हिन्दी, जय हिन्दुस्तान । उपरोक्त वक्तव्य अजीत सिन्हा वरिष्ठ पत्रकार सह समाजसेवी द्वारा प्रेस कार्यालय को दिया गया ।


जनक्रांति प्रधान कार्यालय से प्रकाशक/सम्पादक राजेश कुमार वर्मा द्वारा कार्यालय रिपोर्ट प्रकाशित व प्रसारित ।

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