नहाय खाय खरना के साथ ही लोक आस्था का महापर्व छठ व्रत पूजा हुआ प्रारम्भ आज देंगे छठ व्रती डूबते हुऐ सूर्य की उपासना के साथ ही संध्या अर्ध्य

 नहाय खाय खरना के साथ ही लोक आस्था का महापर्व छठ व्रत पूजा हुआ प्रारम्भ

आज देंगे छठ व्रती डूबते हुऐ सूर्य की उपासना के साथ ही संध्या अर्ध्य

जनक्रांति कार्यालय रिपोर्ट


जनक्रांति प्रकाशन परिवार द्वारा भी लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा मनाया जाएगा

समस्तीपुर,बिहार ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 10 नवंबर, 2021 ) । समस्तीपुर जिला के सुदुर ग्रामीण क्षेत्रों के अलावे शहर के निकटतम एरियाओं में नदी, तालाब के भरे रहने के कारण छठ व्रतियों द्वारा काफी मात्रा में इसबार अपने घर दरवाजे पर ही गढ्ढे बना उसमें जल डाल चार दिवसीय लोक आस्था का महापर्व छठ पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। ज्ञातव्य है की चार दिवसीय इस महापर्व की शुरुआत नहाय खाय से ही शुरू हो जाती हैं ।


नहाय - खाय से तात्पर्य यह है कि घर को पवित्र करने के बाद व्रती स्नान कर विभिन्न शाकाहारी सात्विक भोजन को ग्रहण करते हैं । जिसमें कद्दू (लौकी) का उपयोग भरपूर मात्रा में किया जाता है और साथ में कद्दू मिश्रित चना दाल, अरवा चावल का भात, लौकी की सब्जी, बचका इत्यादि व्रती सहित घर के लोग ग्रहण करते हैं, और यहां विदित हो कि सभी पकवान शुद्ध घी से बने होते हैं। उसके अगले दिन खरना होता है जिसमें व्रती दिन भर निर्जला (बिना पानी) उपवास रखते हुए शाम में गुड़, दूध व अरवा चावल मिश्रित खीर जिसे रसिया कहते हैं और रोटी अरवा चावल का पिट्ठा का प्रसाद ग्रहण कर बंधु - बांधव, परिजनों एवं समाज के लोगों को भी खिलाते हैं।

वहीं दूसरे दिन खरना के साथ ही छत्तीस (36) घंटों का निर्जला, निराहार अर्थात् बिना खाना - पानी का व्रत शुरू हो जायेगा। खरना के अगले दिन सूप - दौरा फल - फूल एवं सुगंध - दीया - बाती के साथ शुद्ध घी से बनी ठेकुआ से लदे सूप से अस्ताचलगामी (डूबते हुये सूर्य) का अर्घ्य व्रती सहित परिजन देते हैं । ठीक उसके दूसरे दिन उगते हुये सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।

ये अर्घ्य निकट के नदी, तालाब, पोखर या घर में बने विशेष तौर के हौदे जो पानी से कम से कम कमर भरी होती है और आजकल तो लोग भीड़ से बचने या अपनी सुविधा के अनुसार घर की छत पर बनाए हुए हौज में भी जल भर अर्ध्य देते हैं।
प्रातः कालीन अर्घ्य के बाद निकट में स्तिथ सूर्य मंदिर में जाकर अपनी मत्था भी टेक मुरादे मांगते है और उसके बाद सभी घर आकर प्रसाद ग्रहण कर व्रती विभिन्न सात्विक पकवानों को ग्रहण कर पारण की क्रिया को पूर्ण करते हैं।


यह व्रत सुख, शांति, समृद्धि के साथ पुत्र - पौत्र सहित पुत्री - दामाद इत्यादि के प्राप्ति हेतु ही की जाती है।
लोक आस्था के इस महापर्व को धूमधाम से पांचवें साल भी आयोजन करते हुए जनक्रांति प्रकाशन परिवार ने बताया कि हमलोग सूर्योपासना का महापर्व छठी मैया की पूजा विगत् पांच साल से लगातार करते चले आ रहें । माता की कृपा से हमलोग आगे बढ़ने में कामयाब हुऐ हैं । इसलिए इस महापर्व को अपने पुरे परिवार के साथ धूमधाम से मनाते हैं।


इस वर्ष तालाब, नदी में जल की समस्याओं को देखते हुए घर के दरवाजे पर ही जल का हौज बना छठी मैया की अराधना करते हुऐ  संध्याकाल में अर्ध्य देने का कार्यक्रम संपन्न करेंगे ।
खरना का प्रसाद ग्रहण जनक्रांति प्रकाशन परिवार के वरिष्ठ सदस्य अशोक कुमार सिंह, मो० मिथिलेश देवी, प्रकाशक राजेश कुमार वर्मा, राहुल कुमार श्रीवास्तव, प्रिंस राज, शिवम् राज, सचिन राज, प्रिंस श्रीवास्तव, काजल कुमारी, कोमल कुमारी, अंजली कुमारी, कल्पना कुमारी, गौरव कुमार, सौरभ कुमार, अर्चना देवी, पुनम वर्मा इत्यादि सहित परिवार के अन्य सदस्यों ने किया और छठी मैया से मुरादे मांगी ।


जनक्रांति प्रधान कार्यालय से प्रकाशक/सम्पादक राजेश कुमार वर्मा द्वारा कार्यालय रिपोर्ट प्रकाशित व प्रसारित।

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