त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में अपनी कुर्सी जाते हीं पूर्व जन प्रतिनिधि गण बौखलाहट में कर रहे दंगा फसाद

 त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में अपनी कुर्सी जाते हीं पूर्व जन प्रतिनिधि गण बौखलाहट में कर रहे दंगा फसाद


जनक्रांति कार्यालय रिपोर्ट


लोकतंत्र में अभिव्यक्ति का अधिकार हर किसी को मिला है।

समस्तीपुर, बिहार ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 18 नवंबर, 2021)। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में इस बार बहुतों को अपनी सीट गंवानी पड़ी है । अपनी कुर्सी जाते ही बौखलाहट में ऐ जीतने वाले प्रतिनिधि पर हमला करवाने पर आमादा हो जाते है और हमला भी करते है । ऐसा ही एक वाक्या मुखिया पद से जीत होने के बाद प्रतिद्वंद्वियों ने गोली मारकर घायल कर दिया । आखिर में लोग क्या जताना चाहते हैं...? आप अपनी खुशी का इजहार करें तो कोई बात नहीं। मगर दूसरा इजहार करें तो आपको बहुत तकलीफ होती है। ऐसा क्यों..?


जब तक लोग सत्ता में रहते हैं। सत्ता के नशे में चूड़ रहते हैं और जब सत्ता चली जाती है तो अजीब तरह की बेचैनी होती है। मगर यह बेचैनी नहीं बौखलाहट है। इस बौखलाहट में किसी पर हिंसक हमला करना या तंज कसना लोकतंत्र को कलंकित करना है।
लोकतंत्र में आम मतदाता हीं मालिक होता है।

आम मतदाता अपनें मताधिकार का प्रयोग कर किसी को बहुमत देता है तो उसे हर किसी को स्वीकार करना चाहिए न कि हिंसक वारदात पर आमादा होना चाहिए। याद कीजिए चुनाव कोई सा भी हो जो कोई भी जीतता है। उसे अपनी खुशी का इजहार करना उसके अधिकार क्षेत्र में आता है।

लोकतंत्र में अभिव्यक्ति का अधिकार हर किसी को मिला है। कोई उसे ढोल नगारा बजा के प्रदर्शन करता है तो कोई सादगी से। मगर उसे कोई छीन नहीं सकता। उसे कोई दबा नहीं सकता। न हीं उसे कोई डरा सकता है।

   अंत में मैं यही कहना चाहूँगा कि पंचायत के आम लोगों को जो सालों से दहशत भरी जिंदगी को जीने पर मजबूर थे। उनको दहशतगर्दी से आजाद कीजिए।

इसी आजादी को पाने के लिए पंचायत के आम जनों नें एकजुट होकर अपनें मताधिकार का प्रयोग कर सत्ता पर आसीन दहशतगर्दों को सत्ता से दूर किया है। अतः अगर आपको हार मिली है तो अपनी हार को सहर्ष स्वीकार कर अपनी भूल को सुधारने की कोशिश करें न कि किसी के अभिव्यक्ति को दबाने की कोशिश करें।


जनक्रांति प्रधान कार्यालय से प्रकाशक/सम्पादक राजेश कुमार वर्मा द्वारा सुरेन्द्र प्रसाद की सम्प्रेषित विचार प्रकाशित व प्रसारित । 

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