अध्यात्म डेस्क : पर्व त्यौहार दीपावली का त्यौहार

 अध्यात्म डेस्क : पर्व त्यौहार  दीपावली का त्यौहार


जनक्रांति कार्यालय से ज्योतिष पंकज झा शास्त्री



दीपावली का पर्व कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है। इस साल यह दिन 4 नवंबर को है और इसी दिन सूर्य, बुध, मंगल और चंद्रमा तुला राशि में गोचर करेंगे। चार ग्रहों की इस युति से दीपावली के दिन शुभ योग बन रहा है : पंकज झा शास्त्री


मधुबनी,बिहार ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 03 नवंबर,2021)। हिन्दू धर्म में दीपावली का त्यौहार हर साल खास होता है, लेकिन ज्योतिष की नजर से भी यह दिवाली खास होने वाली है। इस साल दीपावली का त्यौहार 04 नवंबर को गुरुवार के दिन मनाया जाएगा। पंकज झा शास्त्री के अनुसार इस दिन चार ग्रह एक ही राशि में रहेंगे। इस वजह से शुभ योग बन रहा है, जो कई सभी राशियों के लोगों को फायदा पहुंचाएगा।

दीपावली के त्यौहार पर धन की देवी और गणपति बप्पा की पूजा की जाती है। इस शुभ योग में मां लक्ष्मी की पूजा करने से देवी बहुत प्रसन्न होंगी और अपने भक्तों पर दिल खलकर कृपा बरसाएंगी।
दीपावली का पर्व कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है। इस साल यह दिन 04 नवंबर को है और इसी दिन सूर्य, बुध, मंगल और चंद्रमा तुला राशि में गोचर करेंगे। चार ग्रहों की इस युति से दीपावली के दिन शुभ योग बन रहा है।


दीपावली के दिन सूर्य, बुध, मंगल और चंद्रमा तुला राशि में गोचर करेंगे। तुला राशि के स्वामी शुक्र हैं और लक्ष्मी जी की पूजा के लिए यह अति शुभ समय है यह भी एक संयोग कह सकते है कि इस दिन गुरूवार है जो भगवान विष्णु जी का सबसे प्रिय दिन है, और लक्ष्मी जी की पूजा से शुक्र ग्रह के शुभ परिणाम और बढ़ जाते हैं।

ज्योतिष के अनुसार शुक्र ग्रह अच्छी जिंदगी, सुख-सुविधाओं आदि का कारक होता है, जबकि सूर्य ग्रहों के राजा, मंगल को ग्रहों के सेनापति और बुध ग्रहों के राजकुमार माने जाते हैं। वहीं चंद्रमा को मन का कारक होता है। इसके अलावा सूर्य पिता तो चंद्रमा को माता माना गया है। ऐसे में जब ये सभी शुभ ग्रह एक साथ एक ही राशि में रहते हैं तो सभी लोगों के लिए बहुत ही शुभ परिणाम देते हैं।
धर्म मान्यताओं के अनुसार इस दिन माता लक्ष्मी पृथ्वि लोक में भ्रमण के लिए निकलती है, मां लक्ष्मी का बास साफ सफाई और शांति में होता है परंतु कई लोग खुशी में बहुत कुछ भूल जाते है और केमिकल युक्त फटाके को फोरते है जो उचित नही , केमिकल युक्त फटाके से स्वयं भी दूर रहे। एक मान्यताओं के अनुसार इस रात्रि जब माता लक्ष्मी पृथ्वी पर निकली तो सभी जीव उस समय सो रहे थे लेकिन इस समय उल्लू ही जाग रहा था जिस कारण मां लक्ष्मी उल्लू को अपना सवारी बनाई, उल्लू दूर तक बिना रुकावट के ही अंधेरी रातों में देखने की क्षमता रखता है, कई लोग लक्ष्मी को प्रसन्नता हेतु उल्लू का बलि देते है यह भी उचित नही उल्लू का बलि देना अशुभ का संकेत होता है।


उल्लू का इस ज़रूर रक्षा करे।
इस रात्रि निशित काल में मां भगवती काली जी का पूजा करने का भी विधान है।
अमावस्या तिथि आरंभ 03/11/2021 के रात्रि 04:47 के उपरांत,
अमावस्या तिथि समापन 04/11/2021 के रात्रि 03:43 तक।
लक्ष्मी पूजा शुभ मुहूर्त 04/11/2021 गुरूवार को संध्या 05:40 से रात 07:16 तक अति शुभ रहेगा।
वैसे अपने समय सुविधा अनुसार दिन के 02:46 के उपरांत रात्रि 12:01 तक कर सकते है।
काली पूजा शुभ मुहुर्त रात्रि 11:40 से रात्रि 12:30 तक।
👉 उपरोक्त समय सारणी में अपने अपने क्षेत्रिय पञ्चांग अनुसार कुछ अंतर हो सकता है। 🌹🙏🌹 उपरोक्त विचार पंकज झा शास्त्री 9576281913 द्वारा प्रेस कार्यालय को दिया गया ।


जनक्रांति प्रधान कार्यालय से प्रकाशक/सम्पादक राजेश कुमार वर्मा द्वारा प्रकाशित व प्रसारित ।

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