कहीं आपका बच्चा ऑनलाइन जुआरी तो नही..?पंकज झा शास्त्री✍️

 कहीं आपका बच्चा ऑनलाइन जुआरी तो नही..?पंकज झा शास्त्री✍️


जनक्रांति कार्यालय से पंकज झा शास्त्री


दिनभर घर से बाहर रहकर खेलने के लिए उन्हें डांट भी पड़ती थी पर अब समय बदल गया है, अब हालात ऐसे हो गए हैं कि बच्चे खेलने के लिए घर से बाहर ही नहीं निकल रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण ऑनलाइन वीडियो गेम और स्मार्टफोन हैं : पंकज झा शास्त्री


मधुबनी, बिहार ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 18 दिसम्बर, 2021)। हम सभी को यह ध्यान देना जरुरी कि बच्चे कहीं ऑनलाइन जुआरी तो नहीं, यह सुनकर आश्चर्य जरूर होगा परंतु सत्यता से मुंह नही मोड़ सकते।
मेरा अनुमान है कि कई नामी कंपनियों से ऑनलाइनगेम के नाम पर बच्चो में खतरनाक असर डालते हुऐ जुए के लत को बढ़ावा दे रहा है, यह एक महामारी या युद्ध के तरह भारत सहित विश्व के कई देशों में फेल चुका है।


यदि अपने बच्चों को सुरक्षित रखना चाहते हैं तो उन पर नजर रखिए, कहीं वे ऑनलाइन गेम या जुआ तो नहीं खेल रहे हैं। एक समय वह भी था जब बच्चों को घर से बाहर खेलने जाने के लिए मना किया जाता था। दिनभर घर से बाहर रहकर खेलने के लिए उन्हें डांट भी पड़ती थी पर अब समय बदल गया है।
अब हालात ऐसे हो गए हैं कि बच्चे खेलने के लिए घर से बाहर ही नहीं निकल रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण ऑनलाइन वीडियो गेम और स्मार्टफोन हैं। वीडियो गेम खेलने वाले स्मार्टफोन 07-08 हजार रुपए तक आसानी से मिल रहे हैं। वहीं गूगल प्ले-स्टोर पर मुफ्त मोबाइल गेम भी मिल जाते हैं।

दरअसल, ऑनलाइन वीडियो गेमिंग का बाजार बहुत ही तेजी से बढ़ रहा है। इसी के साथ इसके दुष्परिणाम भी बढ़ रहे हैं। कई वीडियो गेम्स बच्चों के लिए बेहद ही खतरनाक साबित हो रहे हैं।  गेम्स के बारे में जो बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं, उन्हें हिंसक बना रहे हैं और यहां तक की जान देने के लिए भी उकसा रहे हैं।
यह गेम गूगल प्ले-स्टोर या एपल के एप्प स्टोर पर नहीं था, बल्कि इसे इंस्टाग्राम और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिंक के जरिए डाउनलोड कराया जा रहा हैं।कई गेम  युवाओं और बच्चो को मानसिक रूप से बीमार बना रहा है। कई गेम ऐसे है जिसे खेलकर बच्चे जान लेने या जान देने पर भी उतारू हो जाते है, धन का भी बर्बादी करते है। बच्चे के सुनहरा भविष्य अब खतरनाक जिंदगी की ओर बढ़ने लगा है। हम सभी को सावधान और सतर्क रहने की जरूरत है।


यदि बच्चे की दिनचर्या में बदलाव नजर आए। उसका पूरा कामकाज मोबाइल पर गेम के इर्द-गिर्द ही दिखाई देने लगे तो समझिए वह इस खेल की गिरफ्त में जा रहा है।
उसका स्वभाव आक्रामक और गुस्सैल हो सकता है। गेम खेलने से रोकने पर वह हिंसक हो उठता है या गाली-गलौज भी कर सकता है।
इस खेल की लत में आया बच्चा आमतौर पर गुमसुम दिखाई देता है। उसकी याददाश्त में कमी आना, बात बिगड़ने के संकेत हैं।
पैरेंट्स सामान्य मान रहे हैं, ताे उनकी भूल है।
बच्चों के मां-बाप इस आदत पर लगाम लगाने में खुद को असहाय पा रहे हैं। यह सिर्फ खर्च की बात नहीं है, बल्कि बच्चों के दिमाग पर जो इस खेल का असर हो रहा है, वह आगे जाकर जानलेवा हो सकता है। यदि पैरेंट्स इसे सामान्य मान रहे हैं, तो ये उनकी भूल है।
उपरोक्त विचार जाने माने ज्योतिष पंकज झा शास्त्री  9576281913 की बच्चे के अनुशासित करने को लेकर अभिभावकों को एक अथक सराहनीय विचार हैं इसे मानना ना मानना अभिभावक के उपर निर्भर करता हैं ।


जनक्रांति प्रधान कार्यालय से प्रकाशक/सम्पादक राजेश कुमार वर्मा द्वारा कार्यालय रिपोर्ट प्रकाशित व प्रसारित ।

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