प्रधानमंत्री की सुरक्षा में हुई चूक निश्चित रूप से निंदनीय एवं दुर्भाग्यपूर्ण साथ में जाँच की भी विषय : अजीत सिन्हा

 प्रधानमंत्री की सुरक्षा में हुई चूक निश्चित रूप से निंदनीय एवं दुर्भाग्यपूर्ण साथ में जाँच की भी विषय : अजीत सिन्हा


जनक्रांति कार्यालय से संवाद सूत्र की रिपोर्ट


वैश्विक स्तर पर भारत की बढ़ती साख एवं भारत के प्रधानमंत्री जी का बढ़ा हुआ कद निश्चित रूप से आतताइयों, खालिस्तानी समर्थकों एवं इस्लामिक आतंकियों को परेशान करने के लिए काफी है :अजीत सिन्हा 

राँची/झारखण्ड ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 07 जनवरी,2022)। भारत के यशस्वी प्रधान मंत्री नरेंद्र दास मोदी के काफिले को एक पुल पर 20 मिनट तक जिस तरह से रोकने की प्रयास पंजाब प्रशासन की गलतियों की वज़ह से हुई वह निश्चित रूप से केवल निंदनीय ही नहीं है अपितु भर्त्सना के योग्य है।
प्रधानमंत्री कोई आम व्यक्ति नहीं होता क्योंकि इस पद की अपनी गरिमा एवं प्रतिष्ठा होती है और उनके लिए हाई सिक्युरिटी की व्यवस्था होती है चाहे उनकी यात्रा देश में हो या विदेश में ।

और ये व्यवस्था सिक्युरिटी व्यवस्था के सभी एजेंसियों के आपसी ताल - मेल एवं सहयोग पर ही निर्भर करती है और इसमें मिनट दर मिनट के हिसाब होते हैं ताकि किसी भी तरह की विघ्नता यात्रा के दौरान न आये एवं किसी भी तरह की सिक्युरिटी ब्रीच न हो सके। और इसकी सूचना सभी सरकारी सुरक्षा के ऐजेंसियों को दी जाती है और साथ में राज्य सरकारों के मुख्यमंत्री एवं प्रशासन के शीर्ष अधिकारियों को भी होती है और ऐसे में व्यवस्था में गड़बडी निश्चित रूप से प्रशासन के कार्यप्रणाली पर एक प्रश्न चिन्ह है।


वैश्विक स्तर पर भारत की बढ़ती साख एवं भारत के प्रधानमंत्री जी का बढ़ा हुआ कद निश्चित रूप से आतताइयों, खालिस्तानी समर्थकों एवं इस्लामिक आतंकियों को परेशान करने के लिए काफी है इसलिये मेरी समझ से ऐसे तत्वों के निशाने पर हो सकते हैं और इसमे सुरक्षा की व्यवस्था में चूक भारतीयों के लिए चिंता की विषय है क्योंकि भारतीयों ने अभी तक तीन वैसे प्रधानमंत्रियों को खो दिया है जिसमें एक षड्यंत्र के शिकार होकर जहर देकर मार दिये गये और दो की हत्या हो चुकी है और यह सब सुरक्षा व्यवस्था में चूक की वज़ह से ही हुई है।


और इसके लिये निश्चित रूप से पंजाब सरकार की प्रशासनिक मशीनरी ही जिम्मेदार हो सकती है क्योंकि वी. आई. पी. दौरे के लिए ब्लू बुक में निर्गत निर्देश को सभी सुरक्षा के एजेंसियों को फाँलो करनी पड़ती है और यहां पर यह भी गौर करने वाली बात यह है कि प्रदर्शनकारियों को अचानक रोड से यात्रा की भनक आखिर कैसे लगी? और इस तरह की सूचना उन्हें किन अधिकारियों या पदाधिकारियों से मिली..? प्रदर्शन करना और उस हेतु रास्ता ब्लॉक करने के लिए प्रदर्शनकारियों को स्थानीय प्रशासन के जिले के महकमे से अनुमति लेनी पड़ती है फिर इस तरह की अनुमति उन्हें किसने दी..? यदि अनुमति नहीं दी गई तो प्रदर्शनकारी वहां पहुंचे कैसे..?

मेरी समझ से निश्चित रूप से जाँच की विषय है।
विदित हो कि भारत ने अपने द्वितीय यशस्वी प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी सुरक्षा में चूक की वज़ह से खो दिया चूंकि यह मामला विदेश की धरती पर था तो निश्चित रूप से वहां की शासन - प्रशासन ही फौरी तौर पर जिम्मेदार होगी लेकिन उनकी मौत का रहस्य, रहस्य ही रह गई क्योंकि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी इस प्रकरण के संबंध में पता ही लगाना नहीं चाहती थी। प्रस्तावित नेताजी सुभाष पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक एवं कई सामाजिक, धार्मिक, आध्यात्मिक एवं मीडिया - फाउंडेशन जैसे संस्थानों से जुड़े अजीत सिन्हा ने कहा कि मेरी आज भी मांग है कि शास्त्री जी के मौत के रहस्यों पर से पर्दा उठे।
खालिस्तान आंदोलन को ऑपरेशन ब्लू स्टार के माध्यम से कुचलने की वज़ह से इंदिरा गाँधी जी की भी हत्या उनके सुरक्षा कर्मियों द्वारा ही कर दी गई जिसके परिणाम स्वरूप उनके पुत्र राजीव गांधी जी सहानुभूति लहर की वज़ह से थंपिंग मेजोरेटी से प्रधानमंत्री बनें लेकिन उनकी भी हत्या लिट्टे द्वारा आहूत आंदोलन के कुचलने की वज़ह से बम विस्फोट के माध्यम से कर दी गई।
कहने का तात्पर्य यह है आखिर भारत की सुरक्षा की मशीनरियां यदि अपने प्रधानमंत्री जी की रक्षा नहीं कर सकती हैं तो आम जनता का क्या होगा? निश्चित रूप से सुरक्षा व्यवस्था में खामियां, देशद्रोही तत्त्वों की अनवरत प्रयास ही ऐसी घटनाओं को जन्म देती हैं लेकिन इसमें राज्य की सरकारें यदि शामिल होंगी तो कोई भी वी. आई. पी. अपने आपको सुरक्षित महसूस नहीं कर सकते हैं।
इसके लिए पंजाब सरकार को अपने अधिकारियों - पदाधिकारियों - कर्मचारियों में से जो भी ऐसी घटनाओं के लिये जिम्मेदार हो उस पर अवश्य ही कारवाई करनी चाहिए।
आगे प्रस्तावित नेताजी सुभाष पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अजीत सिन्हा ने कहा कि यदि प्रधानमंत्री मोदी जी खालिस्तानियों एवं पाक पोषित आतंकियों के टार्गेट पर हैं तो आतताइयों कान खोल कर सुन लो तुम्हारी मंशा इस बार कतई सफल नहीं होगी और यदि भूल से भी ऐसी गलती कर देते हो तो इस बार रण नहीं समर होगा और दुनिया के नक्शे पर पाकिस्तान नहीं होगा और खालिस्तान समर्थकों को दुनिया में कहीं भी सिर छुपाने की जगह नहीं मिलेगी।
उपरोक्त विचार अजीत सिन्हा द्वारा वाट्सएप माध्यम से प्रेस को दिया ।


जनक्रांति प्रधान कार्यालय से प्रकाशक/सम्पादक राजेश कुमार वर्मा द्वारा कार्यालय रिपोर्ट प्रकाशित व प्रसारित ।

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