डिजिटल चुनाव प्रचार का दौर: कांग्रेस अन्य विरोधी दलों से आगे रहेगी : पंकज कुमार श्रीवास्तव

 डिजिटल चुनाव प्रचार का दौर:

कांग्रेस अन्य विरोधी दलों से आगे रहेगी : पंकज कुमार श्रीवास्तव

जनक्रांति कार्यालय रिपोर्ट


आरएसएस और उनकी आनुषंगिक इकाइयां झूठ, मनगढ़ंत और बेबुनियाद बातों के प्रचार,प्रसार और विस्तार में सिद्धहस्त हैं -?? पंकज कुमार श्रीवास्तव

समाचार डेस्क/लखनऊ,उत्तरप्रदेश ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 14 जनवरी, 2022)। कोरोना की दूसरी लहर ने उत्तरप्रदेश पर जो कहर ढाया है, उसको याद कर हर उत्तरप्रदेश वासी को रोआं आज भी सिहर जाता है।न तो सुरक्षात्मक टीकाकरण की पर्याप्त व्यवस्था थी,न दवाइयां थी,न अस्पतालों में पर्याप्त बेड थे,ऑक्सीजन की कमी का संकट अलग था,500-700 के ऑक्सीमीटर 5-5, 6-6 हजार में बिके, बाजार से थर्मामीटर गायब, दवा की दुकानों पर एन-95 मास्क या फिर पारासिटामोल जैसी मामूली दवा उपलब्ध नहीं थी, आईसीयू बेड और वेंटीलेटर उपलब्ध होना, तो ईश्वरीय वरदान सरीखा था। लोग ऑक्सीजन की कमी से तड़प-तड़प कर मरे, जो मर गए, उनके लिए कब्रिस्तान में जगह नहीं थी, श्मशान में दाह संस्कार करने के लिए घंटों नहीं कई-कई दिन तक प्रतीक्षा करनी थी,जिनको कब्रिस्तान और श्मशान में अंतिम संस्कार नसीब नहीं हुआ,उनकी लाशें गंगा में बहाई गईं,नदियों की रेंजों में गाड़ी गईं।


जिस उत्तरप्रदेश ने यह आलम देखा हो,उसकी आधी आबादी को 31दिसंबर टीके के दोनों डोज नहीं लग पाए थे।एक तरफ,कोरोना की तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही थी,दूसरी तरफ सांवैधानिक प्रावधान पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की जरूरत बता रहे थे।कोरोना लहर की आशंका के मद्देनजर चुनाव टाले जाते,तो वह भी सार्वजनिक आलोचना का विषय बनता।आखिरकार,8जनवरी,2022 को निर्वाचन आयोग ने उत्तरप्रदेश सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की तारीखों के एलान और आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर दिए।
अभी तात्कालिक तौर पर 15 जनवरी तक किसी भी प्रकार की जनसभा, नुक्कड़ सभा,रैली, साईकिल रैली, मोटरसाइकिल रैली आदि पर प्रतिबंध लगाए गए हैं।जिस प्रकार,कोरोना के लाखों मामले प्रतिदिन सामने आ रहे हैं,इस प्रतिबंध के आगे विस्तारित किए जाने की  ही संभावना है।और ज्यादा संभावना यही है कि पूरा चुनाव प्रचार अभियान डिजिटल मोड में ही हो।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आरएसएस के प्रचारक भी रहे हैं। वह अपनी पार्टी भाजपा के सबसे बड़े प्रचारक हैं।वह इस मामले में दूरदर्शी रहे हैं।फेसबुक,व्हाट्स ऐप, ट्विटर,इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया का प्रभावशाली उपयोग अपनी इमेज बिल्डिंग और चुनाव प्रचार के लिए राष्ट्रीय स्तर पर 2013 से ही करते आए हैं। डिजिटल मोड का प्रभावशाली उपयोग करके ही उन्होंने भाजपा को दुनिया की सबसे बड़ी राजनैतिक पार्टी बनवा ली है।
वैसे भी,आरएसएस और उनकी आनुषंगिक इकाइयां झूठ,मनगढ़ंत और बेबुनियाद बातों के प्रचार,प्रसार और विस्तार में सिद्धहस्त हैं।डिजिटल प्लेटफार्म ने उनको और भी सक्षम बना दिया है।कोटा(राजस्थान)में अपनी पार्टी के सोशल मीडिया विशेषज्ञों की बैठक को संबोधित करते हुए एक बार अमित शाह ने कहा कि भाजपा किसी झूठी खबर को भी महज एक-दो घंटे में हर व्यक्ति,हर परिवार तक पहुंचा पाने में सक्षम है।

उन्होंने उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव, 2017 के प्रचार के दौरान एक दृष्टांत का उदाहरण दिया।भाजपा ने एक झूठी खबर फैलाई कि उत्तरप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने पिता को थप्पड़ मारा है।एक नारा गढ़ा गया-जो न हुआ बाप का,वह क्या होगा आपका..?मामला सुपरहिट हुआ और भाजपा ने समाजवादी पार्टी पर बढ़त बना ली।
लेकिन,सच यह भी है कि मोबाइल, स्मार्टफोन, फेसबुक, व्हाट्स ऐप, ट्विटर, इंस्टाग्राम, इंटरनेट आदि का उपयोग अब आमलोग भी धड़ल्ले से कर रहे हैं।स्वयं नरेंद्र मोदी के पोस्ट पर जितने लाइक्स मिल रहे हैं,उससे ज्यादा डिस्लाइक्स मिलने लगे,तो यह फीचर ही हटाना पड़ा।
स्मार्टसिटी बनाने,बुलेट ट्रेन चलाने और प्रतिवर्ष 2करोड़ लोगों को रोजगार देने के वादे को भाजपा कार्यकर्ता याद नहीं करना चाहते।बेशर्मी,बेहयापन और निर्लज्जता के साथ योगी आदित्यनाथ झूठा दावा कर रहे हैं कि उत्तरप्रदेश में 17% थी,जो घटकर महज 4% रह गई है।सबको शिक्षित और कौशल संपन्न होने करने के वादे पर मोदीजी अब चर्चा ही नहीं करना चाहते।स्किल इंडिया,मेड इन इंडिया जैसे जुमले याद कराने पर भाजपा कार्यकर्ता पानी-पानी हो जा रहे हैं।



महिला उत्पीड़न,यौन शोषण और अत्याचार के विरुद्ध महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण के वादे किए गए थे।लेकिन,सरकारी आंकड़े सरकारी दावों की पोल खोल रहे हैं।उज्जवला योजना के तहत मुफ्त गैस सिलिंडर और चूल्हा देने का ढोल खूब पीटा गया,लेकिन सिलिंडर की बढ़ती कीमतों ने सिलिंडर को गरीबों की पहुंच से बाहर साबित कर दिया।
प्रधानमंत्री के रूप में अपने पहले ही संबोधन में मोदीजी ने दागीविहीन संसद और केंद्रीय मंत्रिमंडल का वादा किया।दावा यह भी किया गया सांसदों/विधायकों के विरुद्ध तमाम अपराधिक मामलों का निपटारा एक वर्ष में कर दिया जाएगा, लेकिन जिस प्रकार केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी को बचाया जा रहा है,वह भाजपा के कथनी और करनी के विरोधाभास को उभार रहा है।


पेट्रोल/डीजल की कीमतों ने शतक लगा दिया है तो अंतर्राष्ट्रीय बाजार में रूपये की कीमत लगातार गिरी है।खाद्य सामग्री की बढ़ती कीमतों और कोरोना की आड़ में विभिन्न कारपोरेट हाउस कामगारों की छंटनी ने रोजगार के मुद्दे पर सरकार को बेपर्दा कर दिया है।
'देश नहीं बिकने दूंगा' का वादा करने और खुद को चौकीदार घोषित करने वाले मोदी हर सार्वजनिक उपक्रम ही नहीं रेलवे स्टेशन,हवाई अड्डा, बंदरगाह बेचने में जुटे हुए हैं।एक वक्त था-जब मोदी हर रैली में नारे लगाते- लगवाते थे-अच्छे दिन आएंगे,भाजपा का कोई कार्यकर्ता आम आदमी को इस मुद्दे पर कुछ भी कह पाने की स्थिति में नहीं है।
मोदी ने वादा किया था कि भारतीयों के जीवनस्तर में इतना परिवर्तन हो जाएगा कि आज हवाईचप्पल पहनने वाला हवाई जहाज में सफर किया करेगा। लेकिन,आम लोगों का जीवनस्तर बेहतर होने की जगह गिरता जा रहा है।
पांच साल हो गए-8नवंबर,2016को मोदीने नोटबंदी की घोषणा की थी।आज 5साल बाद सकारात्मक परिणाम बताने की स्थिति में भाजपा नहीं है।बिना संविधान सम्मत प्रक्रिया अपनाए-संविधान की धारा 370 समाप्त की गई,लेकिन क्या जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी घटनाएं रूकीं?क्या कश्मीरीपंडितों की घर वापसी हुई?अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण ट्रस्ट में चंदे के पैसों से भूमिक्रय में जो करोड़ों का घोटाला हुआ,उसने साबित किया कि ये लोग आस्था से खिलवाड़ करते हैं।
उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव,2017 के पहले मोदीजी ने उत्तरप्रदेश को उत्तमप्रदेश बनाने का,बनारस को क्वेटो शहर बनाने का वादा किया था,जो झूठे जुमले साबित हुए हैं।उन्होंने उत्तरप्रदेश में डबल इंजन की सरकार का वादा किया था।


……आज,भाजपा उत्तरप्रदेश में डबल एंटीइनकमबेंसी का सामना कर रही है।30अक्तूबर,2021को 14राज्यों में 3 लोकसभा की सीट और 29विधानसभा की सीटों के लिए उपचुनाव हुए,जिसमें भाजपा को जबरदस्त हार का सामना करना पड़ा।यही नहीं,2019के आमचुनाव के बाद जहां भी विधानसभा चुनाव हुए,भाजपा के वोटों में जबरदस्त गिरावट दर्ज हुई है।
2022के उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा अपने कोर वोट-15-20%बचा ले,तो बड़ी बात होगी।
12नवंबर,2021को प्रसारित एबीपी सी-वोटर का उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव,2022 का ओपिनियन पोल  आरएसएस के संघियों,भाजपा समर्थकों और मोदी के अंधभक्तों का दिल दहलाने के लिए काफी था। वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप सिंह,जो स्वयं पूर्वी उत्तरप्रदेश से आते हैं,और एक्सपर्ट कमेंट के लिए आमंत्रित किए गए थे  उनकी टिप्पणी रही कि उत्तरप्रदेश में राजनैतिक भूकंप बस आने ही वाला है,ज्वालामुखी फूटने ही वाला है,  उत्तरप्रदेश में भाजपा के सत्ता में लौटने की कोई संभावना या आशंका नहीं है।
लेकिन,त्रासदी यह है कि डिजिटल माध्यम से चुनाव प्रचार कर पाने में कोई भी विपक्षी दल भाजपा का मुकाबला कर पाने की स्थिति में नहीं है।उत्तरप्रदेश की जमीनी राजनैतिक सच्चाई यह है कि राजनैतिक विकल्प पेश कर पाने में अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी दिखती है।लेकिन,उनके गठबंधन का कोई भी अन्य दल तकनीकी तौर पर मुकाबले में नहीं है।
प्रियंका गांधी ने महिलाओं को 40% टिकट देने और लड़कियों को स्कूटी,स्मार्टफोन देने का वादा करके चुनाव को जाति और संप्रदाय से ऊपर उठकर लैंगिक समस्याओं,महिला सशक्तिकरण,महिला उत्पीडन, यौनशोषण जैसी समस्याओं पर केंद्रित किया है।
2019में प्रियंका गांधी ने कांग्रेस का महासचिव बनाए जाने के बाद उत्तर प्रदेश में कांग्रेस में जान फूंकने की कोशिश की है।जिला,अनुमंडल,प्रखंड और पंचायत स्तर तक कांग्रेस का ढांचा नए सिरे से खड़ा किया है।मुद्दों के आधार पर नई पीढ़ी को गोलबंद किया है।लगभग 20000 कार्यकर्ता आन्दोलनात्मक गतिविधियों में जेल गए हैं।उन्नाव हो या हाथरस महिलाओं के खिलाफ जुल्म और अत्याचार के खिलाफ सबसे पहले पहुंची हैं।सोनभद्र में मीड डे मील में गड़बड़ी हो या आगरा में बाल्मिकी समाज के व्यक्ति के खिलाफ ज्यादती प्रियंका हर उत्पीड़न के खिलाफ खड़ी हुईं हैं। लखीमपुर-खीरी कांड के बाद किसान आन्दोलन के प्रति भी उनका समर्थन स्पष्ट रहा है।कांग्रेस के मामूली से मामूली कार्यकर्ता से वह नियमित और सीधा संपर्क में हैं।सोशल मीडिया ही नहीं कांग्रेस के पास 4000से ज्यादा प्रचार वाहन हैं,जो डिजिटल माध्यम से प्रचार अभियान को सरल बना रहे हैं।
किसान हित की बात हो या मंहगाई, बेरोज़गारी,ढहती अर्थव्यवस्था,बिकते सार्वजनिक उपक्रम हों-तमाम राष्ट्रीय मुद्दों पर भाजपा का विकल्प कांग्रेस प्रियंका ही हो सकती हैं।जनसभाओं,नुक्कड़ सभाओं, रैलियों, जुलूसों पर प्रतिबंध के बाद कांग्रेस और प्रियंका ही संसाधन, मानव संसाधन,तकनीकी कौशल,आधारभूत संरचना के मामले में सक्षम हैं।यही वजह है कि कांग्रेस सबसे पहले 125उम्मीदवारों की सूची जारी कर भाजपा और सपा गठबंधन पर बढ़त कायम कर ली है। उपरोक्त आलेख वाट्सएप माध्यम से  पंकज कुमार श्रीवास्तव,
1.स्नातक(पत्रकारिता),स्नातकोत्तर(प्रबंधन)
सेवानिवृत्त प्रबंधक,झारखंड राज्य ग्रामीण बैंक डाल्टनगंज(झारखंड)
2.पूर्व अतिथि संकाय,
जेवियर समाज सेवा संस्थान,रांची
3.अध्यक्ष,
प्रगतिशील लेखक संघ,पलामू(झारखंड),
4.सहायक संपादक,
वैचारिक मासिक पत्रिका-'सुबह की धूप' द्वारा प्रेस कार्यालय को दिया गया।


जनक्रांति प्रधान कार्यालय से प्रकाशक/सम्पादक राजेश कुमार वर्मा द्वारा कार्यालय रिपोर्ट प्रकाशित व प्रसारित ।



















































































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