संविधान कितना भी श्रेष्ठ क्यों न हो यदि न्यायपालिका योग्य एवं निष्पक्ष नही होगी तो संविधान कुछ नहीं : शारीक इब्राहिम

 संविधान कितना भी श्रेष्ठ क्यों न हो यदि न्यायपालिका योग्य एवं निष्पक्ष नही होगी तो संविधान कुछ नहीं : शारीक इब्राहिम

जनक्रांति कार्यालय रिपोर्ट


नागरिक अधिकारों के लिए योग्य(योग्यता समय अनुसार होनी चाहिए) एवं स्वतंत्र न्यायपालिका अति आवश्यक है।

समाचार डेस्क, बिहार ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 08 फरवरी, 2022)। संविधान कितना भी श्रेष्ठ क्यों न हो यदि न्यायपालिका योग्य एवं निष्पक्ष नही होगी तो संविधान कुछ नहीं । वहीं कमजोर संविधान के बावजूद योग्य एवं निष्पक्ष न्यायपालिका, कार्यपालिका द्वारा नागरिकों के अधिकारों का हनन एवं शोषण नहीं होने देगी और भारत मे स्वतंत्र न्यायपालिका का मतलब है जजों द्वारा जजों की नियुक्ति (कॉलेजियम) जिसमे न तो योग्यता को परखा जाता है न ही नियुक्ति में सभी को अवसर की समानता दी जाती है।

इसकी सर्वाधिक कीमत समाज का बहुजन वर्ग सहित वंचित वर्ग भी चुकाता है पर मजाल क्या इस वर्ग के बुद्धजीवी इस पर प्रश्न उठाये और इस बात पर जोर दे कि राजनैतिक दलों से जुड़े परिवार का व्यक्ति उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय में जज के पद हेतु पात्र नहीं माना जायेगा साथ ही उच्च एवं उच्चतम न्यायालय से रिटायर्ड जज किसी भी पद को धारित नही करेंगे तथा यदि कॉलेजियम से ही नियुक्ति जरूरी हो तो कॉलेजियम में सिर्फ न्यायपालिका के जज ही क्यों सदस्य हो , संख्या 05 की जगह 25 हो और इसमें देश के श्रेष्ठ वैज्ञानिक, समाजशास्त्री, पर्यावरणविद, सोशल वर्कर आदि क्यों न शामिल हो। किसी जज के निर्णय की आलोचना कंटेम्प्ट होता है, न कि 21 वीं सदी में 15 वीं सदी की चयन प्रक्रिया अपनाना कंटेम्प्ट होता है , तार्किक चयन प्रक्रिया के लिए खुल कर बोले, न बोलना संविधान और लोकतंत्र दोनों के लिए हानिकारक होता है।
आपके नागरिक अधिकारों के लिए योग्य(योग्यता समय अनुसार होनी चाहिए) एवं स्वतंत्र न्यायपालिका अति आवश्यक है। बहुजनो की 90% समस्याओं का मूल कारण देर से न्याय है। एक अम्बेकरवादी इसके लिए अवश्य संघर्ष करेगा । उपरोक्त वक्तव्य समस्तीपुर निवासी शारीक इब्राहीम द्वारा वाट्सएप ग्रुप जारी किया संवाद सम्प्रेषित किया गया है।


जनक्रांति प्रधान कार्यालय से प्रकाशक/सम्पादक राजेश कुमार वर्मा कार्यालय रिपोर्ट प्रकाशित व प्रसारित ।

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