सीएम नीतीश कुमार ने राज्य पाल को लिखा पत्र : 496 दिनों तक के ही मेहमान थे मुकेश सहनी

 सीएम नीतीश कुमार ने राज्य पाल को लिखा पत्र : 496 दिनों तक के ही मेहमान थे मुकेश सहनी


जनक्रांति कार्यालय से अशोक कुमार की रिपोर्ट


रविवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाजपा के पत्र पर राज्यपाल फागू चौहान से उन्हें राज्य मंत्रिमंडल से पदमुक्त करने की कर दी सिफारिश

राजनीति डेस्क, बिहार ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 28 मार्च, 2022) । बिहार में बदले राजनीतिक घटनाचक्र में मुकेश सहनी अब नहीं रहे राज्य मंत्रिमंडल का हिस्सा । रविवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाजपा के पत्र पर राज्यपाल फागू चौहान से उन्हें राज्य मंत्रिमंडल से पदमुक्त करने की सिफारिश कर दी। सूत्रों के मुताबिक राज्यपाल ने मुख्यमंत्री की सिफारिश पर मुहर लगा दी है।

हालांकि देर रात तक राजभवन ने मीडिया को इसकी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी। विदित है कि मुकेश सहनी नीतीश सरकार में भाजपा की अनुशंसा पर ही मंत्री बनाए गए थे। रविवार को भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सहनी को पदमुक्त करने को लेकर दो पत्र मिले।

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डा. संजय जायसवाल और भाजपा विधानमंडल दल के नेता तथा उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने पत्र भेजकर मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के तीनों विधायक अब भाजपा का हिस्सा हैं। उनका भाजपा विधायक दल में विलय हो चुका है।

इसलिए अब वीआईपी के पास कोई विधायक नहीं बचा है। साथ ही, अब वीआईपी राजग का हिस्सा नहीं है। इसलिए मुकेश सहनी को पदमुक्त कर दिया जाए। भाजपा के इन दोनों पत्रों के बाद मुख्यमंत्री ने वीआईपी प्रमुख सहनी को मंत्रिमंडल से हटाने की सिफारिश राज्यपाल से कर दी।
भाजपा से ही था वीआईपी का गठबंधन
वर्ष 2020 विधानसभा चुनाव में एनडीए में सीट शेयरिंग जदयू-भाजपा के बीच हुई थी। पहले चरण के इस बंटवारे के बाद वीआईपी का समझौता भाजपा और हम का समझौता जदयू से हुआ। एनडीए के इन दोनों मुख्य दलों ने अपने हिस्से में आई सीटों में से वीआईपी और हम को सीटें दी थीं। भाजपा से वीआईपी के समझौते में भूमिका गृहमंत्री अमित शाह की थी। अब बोचहां उप चुनाव में जब मुकेश सहनी ने अपना प्रत्याशी उतार दिया है और भाजपा कोटे से मंत्रिमंडल में रहने के बावजूद वे उसके उम्मीदवार के खिलाफ बतौर मंत्री प्रचार में जाते तो स्थिति असहज होती। उसके पहले ही उनकी सरकार से छुट्टी हो गई।


20 मार्च को ही हटना हो गया था तय
बताया जाता है कि वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी का राज्य मंत्रिमंडल से हटना 20 मार्च को ही तय हो गया था। इस दिन शाम में केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री व बिहार भाजपा के वरिष्ठ नेता नित्यानंद राय ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की थी। विश्वस्त सूत्रों की मानें तो पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व तथा प्रदेश इकाई की मुकेश सहनी को लेकर मत से श्री राय द्वारा सरकार के मुखिया को अवगत करा दिया गया था।
इसके बाद 23 मार्च को विधानमंडल सत्र के बाद भाजपा अध्यक्ष डा. संजय जायसवाल, उप मुख्यमंत्री द्वय तारकिशोर प्रसाद व रेणु देवी संग वीआईपी के तीनों विधायक- राजू सिंह, स्वर्णा सिंह और मिश्रीलाल यादव ने विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा से उनके कक्ष में मुलाकात कर भाजपा को समर्थन देने का पत्र सौंपा। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने इन तीनों के भाजपा में विलय को मंजूरी दे दी। देर रात तीनों विधायक भाजपा में शामिल भी हो गये।

भाजपा लगातार मांग रही थी मुकेश सहनी से इस्तीफा


विधायकों की संख्या शून्य होने के बाद से भाजपा लगातार मुकेश सहनी से नैतिकता के आधार पर इस्तीफा मांग रही थी। प्रदेश अध्यक्ष डा. संजय जायसवाल समेत कई विधायक, सरकार में भाजपा कोटे के मंत्री तक ने उन्हें मीडिया में दिए बयान के माध्यम से इस्तीफा देने की नसीहत दी। हालांकि 24 मार्च की सुबह प्रेस कांफ्रेंस कर सहनी ने घोषणा की थी कि वे इस्तीफा नहीं देंगे और सरकार में काम करते रहेंगे।

यूपी चुनाव से ही बढ़ी भाजपा से मुकेश सहनी की दूरी
भाजपा और वीआईपी के बीच दूरी उत्तर प्रदेश चुनाव से ही बढ़ने लगी थी। हालांकि मुकेश सहनी को भाजपा ने अपने तरीके से कई बार संदेश देने की कोशिश की। पहली बार जब वे फूलन देवी की मूर्ति लगाने के लिए यूपी गए तो उन्हें एयरपोर्ट से ही वापस आना पड़ा। लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान मुकेश सहनी ने भाजपा के खिलाफ जमकर प्रहार किया।
अपने प्रचार में कहा कि निषाद समाज का भाजपा शोषण कर रही है और उनको अधिकार नहीं दे रही है। यही नहीं, सहनी यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ पर भी व्यक्तिगत रूप से हमलावर रहे। सहनी ने कई स्थानों पर भाजपा के खिलाफ न सिर्फ खुलकर पोस्टर-बैनर लगवाए, बल्कि भाजपा के खिलाफ वोट देने की भी अपील की। यह भाजपा को नागवार गुजरा और तभी से वह उसके निशाने पर थे।

राजद पर भी खंजर भोंकने का लगाया था आरोप
वर्ष 2020 में विस चुनाव के पहले मुकेश सहनी महागठबंधन के अंग थे। सीटों का बंटवारा जब पटना के एक होटल में चल रहा था तो प्रेस कांफ्रेंस के दौरान ही मुकेश सहनी ने महागठबंधन छोड़ने का ऐलान कर दिया। तेजस्वी यादव के सामने ही राजद पर खंजर भोंकने का आरोप लगाने वाले मुकेश सहनी लगातार कहते रहे कि उन्हें 25 सीट देने का वादा कर बाद में धोखा दे दिया गया। इसके बाद वे एनडीए का हिस्सा बने थे।

मुकेश सहनी 496 दिन ही रह सके मंत्री


साल 2020 में सहरसा के सिमरी बख्तियारपुर से विधानसभा चुनाव हारने के बावजूद सूबे के पशुपालन मंत्री बने मुकेश सहनी इस पद पर मात्र 496 दिन ही रह सके। गत 17 नवंबर 2020 को राज्य सरकार में शामिल हुए मुकेश सहनी अब केवल विधान पार्षद ही रह गए। विधान परिषद का कार्यकाल भी इसी साल 21 जुलाई को समाप्त हो रहा है। देखना यह होगा कि वे विधान पार्षद बने रहते हैं या वे इससे भी इस्तीफा देते हैं। क्योंकि, विधान परिषद में भी वे भाजपा के कोटे से ही गए थे।
संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा, 'गठबंधन आपसी समझदारी का आधार होता है। मुख्यमंत्री की यह अनुशंसा उसी के अनुकूल उठाया गया कदम है। मुकेश सहनी एनडीए में भाजपा के ही माध्यम से थे। अब जब भाजपा ने ही लिख दिया कि श्री सहनी एनडीए में नहीं हैं और उन्हें पदमुक्त कर दिया जाए तो यह आपसी समझदारी की वांछनीयता थी।'

एक नजर में मुकेश सहनी के पार्टी और उनका कार्यकाल
26 जुलाई 2018 को वी.आई.पी पार्टी का गठन किया गया था।
17 नवम्बर 2020: पशुपालन मंत्री बने 'मुकेश सहनी'
22 जनवरी 2021: विधान पार्षद बने थे मुकेश सहनी जी
21 जुलाई 2022 तक है विप का कार्यकाल ।


जनक्रांति प्रधान कार्यालय से प्रकाशक/सम्पादक राजेश कुमार वर्मा द्वारा अशोक कुमार की रिपोर्ट प्रकाशित व प्रसारित।

Comments

Popular posts from this blog

महज सोलह दिनों में छह रेल सिग्नल-कर्मचारी कार्य करते हुए हो गए रन-ओवर

पुलवामा अटैक में शहीद हुए जवानों को ब्लड फ़ोर्स टीम के सदस्यों द्वारा दी गई भावभीनी श्रद्धांजलि

दो दिवसीय इंटरनेशनल सेमिनार का आयोजन विद्या शोध संस्थान संस्कृति विभाग द्वारा किया गया आयोजित