तेरी याद में
तेरी याद में
जब भी तुम याद आती हो
दिल में कशक बढ़ जाती है,
जाने क्यों रूठ गयी मुझसे
पल पल याद खटक जाती है,
सुनी राह ना अनजान लगती है
सब कुछ होते भी बेजान सी है ।
एक बार आ तो जाओ अब भी
ना इतना इम्तिहान लो तू मेरी
गुनाह जो हुआ है संग मुझसे,
तसब्बूर में हर वक्त याद है तेरी
अब आ भी जाओ ना तड़पाओ
सपने में मिल ही लेती हो तुम
बुत बनकर भी दिखती हो
माना बहुत जुल्म हुए तुम पर,
फिर भी फूल बन खिलती हो,
कुबूल हो ये फरमान है मेरा,
तसब्बूर में दर्द क्यों सहती हो ।
जुल्म ना होगा भविष्य में कभी
दर्दे दिल अश्क़ बन निकलती हो ।
जनक्रांति प्रधान कार्यालय से प्रकाशक/सम्पादक द्वारा रचनाकार प्रमोद कुमार सिन्हा की काव्य रचना प्रकाशित व प्रसारित।
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